भारतीय महिलाओं के बीच ईको-फ्रेंडली मेंस्ट्रुअल कप्स के प्रयोग को लेकर जागरुकता फैलातीं प्रियंका जैन
प्रियंका जैन को महीने के उन पांच दिनों में एक काम करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था और वह था स्विमिंग पूल का रुख करना। ऐसे में उन्होंने इन दिनों से पार पाने के इरादे से बाजार में प्रचलित मेंस्ट्रुअल कप्स का प्रयोग करके देखने की सोची। और उन्हें अपने इस फैसले को लेकर तब काफी खुशी भी हुई जब ये कप उन्हें मासिक धर्म की उस अवधि से निबटने में काफी सुविधाजनक साबित हुए।
बीते कई वर्षों तक इनका सफल प्रयोग करने और लाभ उठाने के पश्चात प्रियंका का इरादा अन्य महिलाओं को भी इस उत्पाद से रूबरू करवाने का था। लेकिन उन्हें इस काम को करने के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का बखूबी पता था और वे इस सच्चाई से भी भलीभांति परिचित थीं कि महिलाओं को परंपरागत सैनेटरी नैपकीन के स्थान पर मेंस्ट्रुअल कप्स जैसी ‘आधुनिक’ चीज के प्रयोग के लिये समझाना और राजी करना काफी टेढ़ी खीर साबित होगा।
आखिरकार उन्होंने अपनी शादी के कुछ वर्षों के बाद ‘हाईजीन एंड यू’ (Hygiene and You) के माध्यम से उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया।
प्रियंका ने इंग्लैंड में पांच वर्ष का समय बिताया और उस दौरन आर्किटेक्चर के क्षेत्र में उच्च अध्ययन करने के पश्चात भारत आने से पूर्व कुछ समय तक वहां काम करने का अनुभव भी प्राप्त किया। लंदन के अपने प्रवास के दौरान वे पहली बार मेंस्ट्रुअल कप्स से रूबरू हुईं और जल्द ही वे इनकी कायल हो गईं।
भारत वापस लौटने के बाद वे अपनी पसंद के क्षेत्र में करियर का विस्तार कर रही थीं तभी उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि उन्हें अपने जीवन में कुछ सार्थक करने की आवश्यकता है। अपने पति प्रणव जैन के निरंतर प्रोत्साहन के बल पर उन्होंने मेंस्ट्रुअल कप्स को केंद्र में रखते हुए कुछ नया करने की ठानी।
प्रियंका कहती हैं, ‘‘हालांकि जब मैंने पहली बार उन्हें मेंस्ट्रुअल कप के बारे में बताया तो वे आश्चर्यचकित रह गए लेकिन उन्हें समय के साथ यह समझ में आया कि ये वास्तव में मेरे लिये बहुत अधिक सुविधाजनक हैं। इसी के बाद उन्होंने सोचा कि हमें इसको लेकर जागरुकता फैलाने के इरादे से कुछ सकारात्मक करना चाहिये।’’
एक समय ऐसा आया जब उनका कल-पुर्जों का व्यवसाय बुरे दौर से गुजर रहा था तब प्रणव ने उनका साथ देने का फैसला किया और फिर दोनों पति-पत्नी ने मिलकर ‘हाईजीन एंड यू’ की नींव रखी।
मेंस्ट्रुअल कप्स को लेकर फैली भ्रांतियां
भारत में तो लोगों को सदमा पहुंचाने और आश्चर्य में डालने के लिये तो सिर्फ मेंस्ट्रुअल कप्स शब्द ही बहुत है। प्रियंका कहती हैं, ‘‘मेरी महिला मित्रों को मेरे इनके प्रयोग करने पर कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन जब मैंने उन्हें इनके प्रयोग और विशेषताओं के बारे में पूरी जानकारी देते हुए उनसे इनके प्रयोग के बारे में पूछा तो उनका जवाब ‘ना’ में था।’’
इस तथ्य के बावजूद कि ये बहुत हद तक पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद हैं, मेंस्ट्रुअल कप का एक और स्पष्ट लाभ है कि इनकी लागत भी बहुत अधिक नहीं है। उपयोगकर्ता सिर्फ एक कप का प्रयोग करके ही दो से तीन वर्षों तक की छुट्टी पा लेता है और अगर आप बेहतर गुणवत्ता वाला खरीदते हैं तो वह अधिकतर सात से आठ वर्षों तक काम करता है। यह सिलिकाॅन का बना हुआ एक घंटी के आकार का एक कप होता है जो एक बार शरीर में फिट होने के बाद टेम्पोन के आकार में स्वयं को ढाल लेता है। यह कप प्रवाह के आधार पर खून को चार से छः घंटे के लिये एकत्रित करता है और इसके बाद इसे अगले महीने प्रयोग से पहले सिर्फ कीटाणु और रोगाणुमुक्त करना होता है।
पुराने किस्से को याद करते हुए प्रियंका बताती हैं, ‘‘हो सकता है कि पहली बार इसे पहनने पर आपको कुछ अजीब सी अनुभूति हो। लेकिन एक बार कोई इसकी आदी हो जाता है तो वही इसके सही मूल्य को समझ पाता है। इसका प्रयोग इतना सुगम है कि एक बार तो एक महिला को लगा कि उसका पुराना कप खो गया है और वह काफी परेशान होने के बाद एक नया कप खरीदकर ले गई। लेकिन उसे सिर्फ चार दिन बात ही इसका अहसास हुआ कि पुराना कप खोया नहीं है बल्कि उसने उसे ही पहन रखा है।’’
कई बार ऐसे किस्से भी सामने आए हैं जब एक महिला के घर पर बिल्कुल नया कप पहुंचा और उसके दो या तीन वर्ष के बच्चे ने उसे जूस परोसने वाला कप समझ लिया और वह मेहमानों को इसमें जूस डालकर परोस रहा था। इसके बाद उस महिला ने उस कप को छिपाकर रखना ही बेहतर समझा।
एक हरित समाधानः मेंस्ट्रुअल कप का प्रयोग प्रारंभ करें
यह विश्वास करना काफी मुष्किल है कि एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में करीब 150 किलोग्राम डिस्पोजेबल सैनेटरी कचरा उत्पन्न करती है जिसमें से प्रत्येक सैनेटरी पैड को विघटित होने में 500 से 800 साल तक लगते हैं। सैनेटरी पैड में समाहित रसायन महिलाओं में मधुमेह, एलर्जी और त्वचा संबंधी रोगों के एक बहुत बड़े कारण हैं।
हाईजीन एंड यू के माध्यम से प्रियंका भारतीय और विदेशी ब्रांडों के कुल मिलाकर 5 प्रकार के मेंस्ट्रुअल कप बेचती हैं।
हालांकि प्रारंभ में उन्हें भारतीय महिलाओं को बेचने के लिये सिर्फ 15 कप लेने की सलाह दी गई थी लेकिन अब वे यह सोचकर काफी खुश होती हैं कि उन्होंने उस सलाह को दरकिनार करते हुए अपने मन की सुनी और कहीं अधिक कप खरीदे। बीते करीब 3 वर्षो में वे अबतक इससे कहीं अधिक संख्या में कप बेचने में सफल रही हैं।
अपनी वेबसाइट प्रारंभ करने के मात्र 6 महीनों के भीतर ही वे उसके माध्यम से 125 से भी अधिक मूनकप्स भी बेच चुकी हैं। कई कुंवारी लड़कियों की माताओं को इस बात की चिंता होती है कि बाहरी वस्तु के प्रवेश से उनकी बेटी का हाईमन खंडित हो जाएगा। इसके अलावा युवा माताएं भी इनके प्रयोग को लेकर उहापोह की स्थिति में होती हैं और वे अपने पारंपरिक ज्ञान के साथ प्रयोग करने को लेकर डर के साये में रहती हैं।
प्रियंका जल्द ही गूगल और फेसबुक पर विज्ञापन के माध्यम से अपने व्यवसाय के विस्तार की योजना तैयार कर रही हैं। इसके अलावा उन्होंने मेंस्ट्रुअल कप को लेकर यूट्यूब पर एक संक्षिप्त वीडियो भी तैयार किया है।