मीडिया के काम में सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के स्वर्ण जयंती समारोहों पर बोलते हुए मोदी ने मीडिया द्वारा स्व नियमन चाहे जाने पर अपनी बात के समर्थन में महात्मा गांधी का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, कि मीडिया के कामकाज में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। हालांकि, उन्होंने बाहरी नियंत्रण से चीजों के नहीं बदलने की बात कहते हुए समय के साथ उपयुक्त बदलाव कर स्व नियमन की सलाह भी दी। उन्होंने पत्रकारों की हाल में हुई हत्याओं पर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा, कि यह बहुत दर्दनाक है और सच्चाई को दबाने का सबसे खतरनाक तरीका है। उनकी टिप्पणी बिहार में दो पत्रकारों की हत्या के मद्देनजर आई है। भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के स्वर्ण जयंती समारोहों पर बोलते हुए मोदी ने मीडिया द्वारा स्व नियमन चाहे जाने पर अपनी बात के समर्थन में महात्मा गांधी का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि ‘महात्मा गांधी ने कहा था कि बेलगाम लेखन भारी समस्याएं पैदा कर सकता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी हस्तक्षेप अव्यवस्था पैदा करेगा। इसे (मीडिया को) बाहर से नियंत्रित करने की कल्पना नहीं की जा सकती।’ उन्होंने कहा, ‘‘
सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह सच है कि स्व नियमन आसान नहीं है। यह पीसीआई और प्रेस से जुड़ी अन्य संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे देखें कि आप समय के साथ क्या उपयुक्त बदलाव कर सकते हैं। बाहरी हस्तक्षेप से चीजें नहीं बदलती हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने किसी खास बदलाव का जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि अतीत में पत्रकारों के पास सुधार करने के लिए पर्याप्त समय होता था और अब इसके ठीक उलट तेज गति वाली इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल मीडिया के चलते ऐसी गुंजाइश नहीं है। उन्होंने 1999 में कंधार विमान अपहरण का जिक्र करते हुए कहा कि इंडियन एयरलाइंस की उड़ान में सवार यात्रियों के परिवारों की रोष भरी प्रतिक्रिया की चैनलों द्वारा चौबीस घंटों की रिपोर्टिंग ने आतंकवादियों के हौसले बुलंद किए क्योंकि उन्हें लगा कि वे इस तरह के जन दबाव से भारत सरकार से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि इस प्रकरण ने मीडिया में स्व नियमन शुरू कराया जो बाद में ऐसी घटनाओं की कवरेज के लिए नियमों के रूप में सामने आया। स्व नियमन के बारे में बोलते हुए मोदी ने एक उपमा देते हुए कहा कि एक मां अपने बच्चे को थोड़ा कम खाने या नहीं खाने को कहती है। बच्चा अपनी मां की सुनेगा लेकिन बाहरी व्यक्ति की नहीं सुनेगा। मीडिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका अंदर से नियमन होना चाहिए और समाज के हित में चीजें परिवार के अंदर ही सुलझाई जानी चाहिए।
सरकारों को दखल देने के इरादे से कदम नहीं बढ़ाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया, कि स्व नियमन से जुड़े मुद्दों को संगठनों के माध्यम से देखना चाहिए जैसे कि प्रेस काउंसिल। साथ ही, वरिष्ठ लोगों के अनुभव का लाभ लेना चाहिए और समाज के हित में होना चाहिए। स्व नियमन आसान काम नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कंधार हमले के बाद मीडिया संगठनों ने आत्मावलोकन किया और अपनी गलतियों को दूर किया। मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद आत्मावलोकन का एक और मौका आया, पर मामला अब भी अधूरा है। मेरा मानना है कि हम और आप गलतियां करते हैं। मीडिया का उसकी गलतियों से आंकलन नहीं करना चाहिए। साथ ही मोदी ने यह भी कहा, कि कमजोरियों को हटाने और इसे बेहतर बनाना चाहने वाले जिम्मेदार लोग जब तक हैं इस क्षेत्र में सकारात्मक कोशिश होती रहेगी।
1975 में जब आपातकाल लगाया गया तब प्रेस काउंसिल बंद कर दिया गया और 1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार आई तब यह पुनर्जीवित हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि प्रेस काउंसिल के लोगों को भी इस बारे में सोचना चाहिए कि चीजें कैसे बेहतर होंगी। यहां तक कि सरकार को भी कहा जा सकता है कि इसके संचार को कैसे बेहतर किया जाए। दुर्भाग्य से यहां तक कि सरकार भी कभी कभी अपने चहेते पत्रकारों को चुनिंदा तरीके से सूचनाएं लीक करने में शामिल रहती है। यदि इस बारे में प्रेस काउंसिल में कुछ चर्चा होती है तो उन्हें सरकार के समक्ष उसे रखना चाहिए।
संस्थाओं को बेहतर करने के लिए संचार होना चाहिए, जिससे लोगों को फायदा हो।
और आखिरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि मीडिया को स्वच्छता या साफ सफाई में प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की रैकिंग करने जैसी स्वास्थ्य प्रतियोगिता को बढ़ावा देना चाहिए।