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साइकोमेट्रिक टेस्ट से हो रहा है महिला उद्यमियों की योग्यता का आकलन

महिला उद्यमियों के व्यवहार की अनुकूलता को परखने के लिए पुणे में शुरू हुआ साइकोमेट्रिक टेस्ट... 

साइकोमेट्रिक टेस्ट से हो रहा है महिला उद्यमियों की योग्यता का आकलन

Tuesday March 27, 2018 , 7 min Read

देश में पाबी बेन रबाड़ी, राशी नारंग जैसी कुशल एवं सक्षम महिलाओं का भविष्य संवारने के लिए एबिलिटी, एप्टीट्यूड और पर्सनैलिटी असेस्मेंट के लिए पुणे में महिला उद्यमियों का साइकोमेट्रिक टेस्ट किया जा रहा है। स्टार्टअप से पहले इस टेस्ट का एक खास उद्देश्य उद्यमी महिलाओं को उनकी कमियों से वाकिफ कराने के साथ ही कार्यकुशलता के लिए उनका आत्मविश्वास भी प्रोत्साहित करना है।

सांकेतक तस्वीर: फोटो साभा, Shutterstock

सांकेतक तस्वीर: फोटो साभा, Shutterstock


इस टेस्ट के जरिए कंपनियां और संगठन संभावित कर्मी की काम और संस्थान के संबंध में व्यवहारिक अनुकूलता को परखते हैं। इसके अंतर्गत उसकी सोचने-समझने की क्षमता, टीम के रूप में काम करने, कराने की योग्यता और उसकी व्यक्तिगत वरीयता का आकलन किया जाता है। एबिलिटी टेस्ट में एक तरह से सामान्य क्षमता की जांच होती है, जिसमें संख्यात्मक, मौखिक, गैर-मौखिक योग्यताओं का आकलन किया जाता है।

उद्योग-धंधों में महिला उद्यमियों के व्यवहार की अनुकूलता को परखने के लिए पुणे में साइकोमेट्रिक टेस्ट शुरू किया गया है। इस टेस्ट का एक खास उद्देश्य सम्बंधित महिलाओं को सम्बंधित उद्यम में उनकी कमियों से वाकिफ कराने के साथ ही कार्यकुशलता के लिए उनके आत्मविश्वास को प्रोत्साहित करना भी है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आजकल पश्चिमी देशों में तरह-तरह के प्रयोग हो रहे हैं। उन्हीं में से एक साइकोमेट्रिक टेस्ट भी है, जिसकी शुरुआत पुणे से की जा रही है। साइकोमेट्रिक टेस्ट में एबिलिटी टेस्टिंग, एप्टीट्यूड टेस्टिंग और पर्सनैलिटी असेस्मेंट होते हैं।

एक तरह से इस टेस्ट के जरिए कंपनियां और संगठन संभावित कर्मी की काम और संस्थान के संबंध में व्यवहारिक अनुकूलता को परखते हैं। इसके अंतर्गत उसकी सोचने-समझने की क्षमता, टीम के रूप में काम करने, कराने की योग्यता और उसकी व्यक्तिगत वरीयता का आकलन किया जाता है। एबिलिटी टेस्ट में एक तरह से सामान्य क्षमता की जांच होती है, जिसमें संख्यात्मक, मौखिक, गैर-मौखिक योग्यताओं का आकलन किया जाता है। एप्टीट्यूड टेस्ट में उसके कार्य संबंधी व्यवहार की जांच की जाती है। एप्टीट्यूड के तहत महिला जिस तरह के उद्यम या उद्योग के लिए आवेदन कर रही है और जिस परिवेश में उसे काम करना है, उसमें उसके व्यवहार की अनुकूलता कैसी संभव है, उसको परखा जाता है। इस टेस्ट के जरिए उद्यमी महिला के व्यक्तित्व से जुड़े पक्षों को समझने में मदद मिलती है। 

चूंकि महिला उद्यमियों के साइकोमेट्रिक टेस्ट की शुरुआत पुणे से की जा रही है तो आइए, पहले वहीं की एक सफल महिला उद्यमी की सफलता की कहानी पर एक नजर डालते हैं। एक डॉग लवर हैं राशी नारंग, जो 'हेड्स अप फॉर टेल्स' नाम से पालतू कुत्तों के सामान बेचने का कारोबार कर रही हैं। पुणे समेत देश में उनके दिल्ली, बेंगलूरू आदि में आठ और स्टोर्स की चेन है। उन्होंने अपनी कार्यकुशलता से एक छोटी सी शुरुआत कर अपने कारोबार को करोड़ों के टर्नओवर वाला बना दिया है। मान लीजिए कि नारंग का साइकोमेट्रिक टेस्ट हो तो उनसे इन सवालों का जवाब पता चल सकेगा कि किस तरह अपना बिज़नेस बढ़ाने में उन्होंने अपने परिचितों, दोस्तों से मदद ली, किस तरह प्रोडक्ट्स के चयन और खरीदारी में सतर्कता बरती और फिर किस तरह उन्होंने बाजार को अचीव किया। उनकी कंपनी कुत्तों के लिए प्रीमियम प्रोडक्ट्स तैयार करती है तो शुरुआत में उनके मुनाफे का गणित क्या रहा होगा। जैसाकि उनके बिजनेस का सच है, उन्हें सौ रुपए का डॉग कॉलर पांच सौ रुपए में और छह सौ का बेड दो हजार रुपए में बेचने में किस तरह सफलता मिली। राशी ने कंपनी में शुरू में ही ज्यादा पैसा निवेश कर दिया। 

गौरतलब है कि उन्होंने इस चेन की शुरुआत वर्ष 2015 में एक मिलियन डॉलर से की थी, जिसमें इस साल उन्हें दो मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है। अब तो उनकी राह पर कई और उद्यमी चल पड़े हैं। नारंग बताती हैं कि उनकी कंपनी के रेवेन्यू में पिछले साल छह गुना से ज्यादा प्रोन्नति हो चुकी है। बाजार में खुद को साबित करने के लिए उन्होंने अपने उत्पाद की गुणवत्ता पर लगातार निगाह रखी।

महाराष्ट्र चैंबर्स ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर के महानिदेशक डॉ अनंत सरदेशमुख बताते हैं कि महिलाओं की उद्यमशीलता को देखते हुए भारत में पहली बार कामकाजी, कारोबारी और नया कारोबार शुरू करने की इच्छुक महिलाओं के लिए साइकोमेट्रिक टेस्ट की शुरुआत की गयी है। इससे नये कारोबार में निवेश से महिलाओं की उद्यमशीलता का आंकलन संभव हो पायेगा। इस टेस्ट का उद्देश्य महिलाओं की उद्यमशीलता की पहचान करना और उनमें इस कौशल को विकसित करना है। इस टेस्ट के बाद उन्हें यह पता रहेगा कि वे नया कारोबार शुरू करने के लिए तैयार हैं या उनमें अभी कोई कमी है। इससे उन्हें पता चल पायेगा कि क्या वाकई वे उद्यमी बन सकती हैं। चैंबर इन महिलाओं को उनका कारोबार शुरू करने और उसने कारोबार को बढ़ाने में मदद करेगा। यह टेस्ट क्षमता, झुकाव और निजी गुणों का आंकलन करता है। सफल कारोबार के लिए जरूरी कौशल के लिए विकास योजना तैयार की गयी है। यह टेस्ट तीन घंटे का है। यह मराठी और अंग्रेजी दो भाषाओं में उपलब्ध है।

टेस्ट की रिपोर्ट आठ कार्यदिवसों में ईमेल से भेज दी जाती है। आजकल तरह-तरह के कारोबार के लिए इस टेस्ट की तेजी से मांग होने लगी है। दूसरा बैच इस माह के टेस्ट की लिए तैयार है। वह बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का रुख इस समय मिश्रित है। आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां, प्रदूषण और रोजगारपरकता चुनौतियां हैं। इसका हल नावाचार, उद्यमशीलता और कुशलता है। मार्च 2017 में चैंबर को डायमंड ग्रेड रेटिंग मिली थी और इसके एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस टेस्ट की शुरुआत की गयी। चैंबर मेक इन इंडिया पहल की दिशा में विनिर्माण क्षेत्र, खासकर लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा इनोवेशन और स्टार्ट अप को समर्थन दिया जा रहा है। अपने इनोवेशन एंड टेक्नोलॉली ट्रांसफर सेल के जरिये चैंबर महाराष्ट्र में हो रहे नये आविष्कारों और इनोवेशन को मदद दे रहा है। चैंबर आविष्कार से उद्यमियों को टेक्नालॉजी के हस्तांतरण में मदद करता है। इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए चैंबर ने कई पक्षों के साथ समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। इसके साथ ही स्टार्टअप इंडिया की नोडल एजेंसी सिडबी के साथ चैंबर पुणे क्षेत्र के नये उद्यमियों के लिए जागरुकता अभियानों का भी आयोजन करता है। आज महिला उद्यमियों में क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीशियनों का कौशल विकास कर रोजगारपरकता बढ़ाना वक्त की जरूरत है।

महिला उद्यमियों की आत्मनिर्भरता के लिए देश में विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। चेंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर प्रबंधन की इस दिलचस्पी के पीछे एक कारण और समझ में आता है कि आज महिलाएं पूरे देश में आर्थिक विकास में बदलाव का एक समर्थ कारक बन चुकी हैं। भुज (गुजरात) की पाबी बेन रबाड़ी ऐसी महिला हैं, जिन्होंने समाज में बदलाव की बयार ला दी है। कल तक जहां इन इलाकों में महिलाएं घर से बाहर काम नहीं किया करती थीं वहीं पाबी ने न केवल अपना कदम घर से बाहर रखा बल्कि आजकल ग्रामीण महिलाओं को उद्यमी बनने के हुनर सिखा रही हैं।

ऐसी ही मिसाल कायम करने वाली महिलाओं को पिछले दिनो स्नाइडर इलेक्ट्रिक ने प्रेरणा अवार्ड से सम्मानित किया। स्नाइडर इलेक्ट्रिक ने अपने वैश्विक इनोवेशन समिट में पथ-प्रदर्शक कार्यों के लिए तीन साहसी महिलाओं को प्रेरणा अवार्ड दिया। उनमें एक, मात्र चौथी क्लास तक पढ़ी-लिखीं पाबी बेन रबाड़ी ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता के हुनर सिखा रही हैं। वह ऑनलाइन पोर्टल 'पाबीबेन डॉट कॉम' के माध्यम से हस्तकला से निर्मित वस्तुओं का व्यापार भी कर रही हैं। एक अन्य अवॉर्डी लक्ष्मी मेनन बताती हैं कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक छोटा सा प्रयास किया है। तीसरी सम्मानित अवॉर्डी महिला चिंग अपने 'शक्ति फाउंडेशन' के माध्यम से दिल्ली की मलिन बस्तियों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं। गरीबी से जूझ रहे बच्चों को पढ़ा रही हैं।

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