पैसे की कमी को कीजिए दूर, शुरुआती कारोबार को नया 'रंग दें'
लघु सामाजिक निवेश RangDe के साथ लोगों के चेहरे पर खुशियाँ लाते हुए
अरुणाबाई बंसोडे मुंधावा, महाराष्ट्र से एक 52 वर्षीय फल विक्रेता है। वह थोक विक्रेताओं से ताजा फल खरीदतीं है और उन्हें लोगों के दरवाजे पर आपूर्ति करतीं है। वह पिछले एक वर्ष से यह काम कर रहीं हैं और उन्होंने कुछ वफादार ग्राहक भी जोड़ लिए हैं । अब वह और अधिक फल खरीदना और उसका बेहतर वितरण करना चाहतीं हैं जिससे की उनके कारोबार का विस्तार हो। इसके लिए उन्हें 8000 रुपये की जरूरत है।
अपने कारोबार में पैसा एक साथ लगाने के लिए उनके पास यह धनराशी नहीं है | अगर आपके पास यह धनराशी एक साल या कुछ अधिक के लिए हो जिसके बदले आपको कुछ समय बाद ब्याज समेत मूल राशि भी वापिस मिल जाए तो क्या आप उन्हें उधार देना चाहेंगे ? हममें से कई लोग यह सामाजिक निवेश करने के लिए तैयार हो जायेंगे जिससे कि अरुणाबाई के सपने सच हो जाएं |
जन वित्त पोषित सामजिक मंच , Rang De, ने दूरदराज के जरुरतमंद और उनके समर्थन में रूचि रखने वाले उधारदाताओं को जोड़कर यह संभव कर दिखाया है | Rang De ,की शुरुआत स्मिता रामकृष्ण एवं रामकृष्ण एन के द्वारा 2008 में की गई | उनकी सोच थी कि peer-to-peer उधार देने के मॉडल के द्वारा लघु ऋण का ब्याज कम किया जा सकेगा एवं भारत की गरीबी भी कम हो सकेगी |
हाल ही में हमारी स्मिता से मुलाक़ात हुई जिसमें उन्होंने हमको RangDe और एक सामाजिक उद्यमी बनने में लगे 5 साल के अपने सफ़र के बारे में बताया | इकोनॉमिक्स में B.A. एवं सामाजिक कार्य में M.A. पूरा करने के बाद , स्मिता ने विभिन्न पदों पर कई गैर लाभ संगठनो के साथ काम किया | समाज की समस्याओं के लिए काम करने वाले गैर लाभ संगठनो के दृष्टिकोण एवं कामकाज के प्रति उनकी धारणा आदर्शवादी थी | समाज के लिए काम करना उनमें स्वाभाविक ही आ गया था परन्तु उन्होंने सामाजिक उद्यमी बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था |
गैर लाभ के क्षेत्र में काम करते हुए कुछ घटनाओं एवं अनुभव से उन्हें एहसास हुआ कि आखिर क्यों नागरिक समाज ने धर्मार्थ का काम बंद कर दिया है | “नागरिक समाज में आचरण और कार्य के समय जवाबदेही एवं पारदर्शिता सर्वोपरि है, यह कोई नहीं करता यह सभी का काम है,” स्मिता कहती हैं |
यह देखने के बाद कि गैर लाभ संगठन सही से काम नहीं कर पाते स्मिता चाहती थी की वे ऐसा उदहारण प्रस्तुत करें जो एक स्थायी और विस्तार योग्य गैर लाभ सामाजिक व्यापर मॉडल की शक्ति एवं प्रभाव को दिखा सके |
RangDe भारत के 14 राज्यों में काम करता है और उन्होंने सामाजिक निवेशकों की भागीदारी बढाने के लिए सोच समझ कर निर्णय लिया की वे कम से कम 100 रुपये तक के लघु ऋण की अनुमति देंगे | सोच यह है की देन दाताओं को पहले कम राशि के साथ प्रयोग की स्वतंत्रता दी जाए जिससे कि RangDe के मॉडल की विश्वसनीयता और दृष्टिकोण के प्रभाव के बारे में यदि उनके कोई भी संदेह हों तो वे सब मिट जाएँ | कोई भी सामाजिक निवेशक ऑनलाइन ही एक लेनदार को चुन सकता है एवं पैसे उधार दे सकता है, RangDe के कार्यकर्ता सुनिश्चित करते हैं की पैसा लेनदार तक पहुच जाए और उसकी ऋण अदायगी एक निश्चित समयसीमाबद्ध तरीके से हो जाए | दीर्घकालिक दृष्टि से एवं स्वयं को बनाये रखने के लिए , लेनदारों द्वारा चुकाए गए पैसे का मामूली 1% RangDe अपने पास रख लेता है |
जन वित्त पोषण भारत में अभी प्रारंभिक चरण में है और RangDe ने इसको एक अच्छी शुरुआत दी है | “विश्वास की कमी” भारत में जन वित्त पोषण के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती है | स्मिता के अनुसार ऐसा इसलिए है क्यूंकि बचपन से ही हमें सिखाया जाता है की हम किसी पर भरोसा न करें | कई घोटालों एवं खुलासों के कारण लोगो में इन योजनाओं के प्रति संशय बढ़ता गया है | लोग ऐसे वित्त पोषण वाली गैर लाभ संगठनों से दूर न जाएँ, इसके प्रति विश्वास लाने के लिए RangDe ने सभी जानकारी एवं डेटा को शुरू से ही बहुत खुले और स्पष्ट रूप से सबके सामने रखा है |
“हम जन वित्त पोषण के सामजिक प्रभाव के मॉडल का प्रयोग कर रहे थे और इसमें असफल हो जाने के लिए मानसिक रूप से हम तैयार थे| कहीं न कहीं यही असफल हो जाने की मानसिक तैयारी ही हमारी सबसे बड़ी ताकत बनी | जब हम शुरू कर रहे थे तो कई लोगो ने कहा की मैं और राम अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं | सबसे अच्छी बात यह रही, कि हम इतना आगे आ जायेंगे इस बात की कल्पना हमने नहीं की थी,” स्मिता कहती हैं |
स्मिता बताती हैं की इन पांच सालों में हर दिन ही कुछ न कुछ चुनौती उनके सामने आयीं परन्तु एक सामजिक उद्यमी होने से ज्यादा रोमांचक उनके लिए कुछ भी नहीं है | RangDe की इस सफलता के लिए स्मिता अपने सह संस्थापक राम के योगदान को भी आवश्यक मानती हैं | “राम के बिना RangDe इन ऊँचाइयों तक नहीं पहुच सकता था | हम दोनों अलग अलग कुशलता के साथ काम करते हैं और यह हम लोगो को अपने लक्ष्य की दिशा में प्रगति में मदद करता है” स्मिता कहती हैं |
उनका विश्वास है कि अपने जूनून में थोड़ी सी योजना एवं सोच समझ के लिया हुआ जोखिम ही सामाजिक उद्यमी को महान ऊँचाईयाँ दिला सकता है |
वेबसाइट: RangDe