5 भारतीय स्टार्टअप जो सभी सीमाओं को पार कर इनोवेशन को दे रहे हैं नया आयाम
यहां हम आपको बता रहे हैं भारत के उन स्टार्ट-अप्स के बारे में जो इनोवेशन में सबसे आगे रहे हैं.
भारत के विकसित होते स्टार्टअप सिस्टम में निवेशकों, उपभोक्ताओं एवं कर्मचारियों का भरोसा बढ़ रहा है. देश के विभिन्न हिस्सों के उद्यमी आधुनिक समाधानों के साथ कारोबार में विकसित हो रहे हैं, जो किसी सिलिकॉन वैली कंपनी से कम नहीं हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं भारत के उन स्टार्ट-अप्स पर के बारे में जो इनोवेशन में सबसे आगे रहे हैं.
पेटीएम देश में यूपीआई और पेमेंट इनोवेशन में अग्रणी रहा है. यह यूपीआई पेमेंट के लिए 2015 में क्यूआर कोड पेश करने वाले पहले स्टार्ट-अप्स में से एक था. एक ऐसे देश में जो लेनदेन के लिए बड़े पैमाने पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड अथवा कैश पर निर्भर था, क्यूआर कोड ने उपभोक्ताओं के लिए पेमेंट को बेहद आसान बना दिया. इसके द्वारा तुरंत और कम से कम लागत पर भुगतान होने लगे. तब से कंपनी एक फुल-फ्लेज्ड कंपनी के रूप में विकसित हो गई है. पेटीएम की स्थापना 2011 में विजय शेखर शर्मा ने की थी.
पेटीएम साउंड बॉक्स लाने वाली भी पहली कंपनी थी. इसने मर्चेन्ट के लिए यूपीआई पेमेंट को ट्रैक करना आसान बना दिया. क्योंकि साउंड बॉक्स पेमेंट मिलने पर घोषणा करता है. हाल ही में कंपनी ने दो तरह के साउंडबॉक्स लेकर आई है- एक जो म्युज़िक प्ले करता है और दूसरा जिसे जेब में रखकर अपने साथ आसानी से ले जाया जा सकता है.
कंपनी के ऑनलाईन पेमेंट गेटवे को भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. यह मर्चेन्ट को लोन देने में भी अग्रणी रही है.
Wahter
वॉहटर की स्थापना अमित और कशिश ए नेनवानी ने की, जो भारत के पैकेज्ड वॉटर उद्योग में ज़बरदस्त बदलाव लाने के लिए तैयार है. उपभेक्ताओं को मात्र 1 रू प्रति बोतल में साफ, प्रीमियम गुणवत्ता का पेयजल उपलब्ध कराने के विचार के साथ, वॉहटर साफ पेयजल की ज़रूरतों को पूरा कर रही है.
इसके अलावा कंपनी देश में पहली बार ब्राण्ड्स के लिए विज्ञापन का माध्यम भी लेकर आई है. ब्राण्ड वॉहटर बोतल के लेबल पर अपना विज्ञापन कर सकते हैं. इस तरह वॉहटर के माध्यम से अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक उनकी पहुंच बढ़ती है.
वॉहटर की 250एमएल की बोतल मात्र रु 1 में और 500 एमएल की बोतल मात्र रु 2 में उपलब्ध है, इस तरह यह साफ और प्रीमियम पेयजल हर श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए सुलभ है. स्थायित्व के लिए प्रतिबद्धता के साथ वॉहटर पूरी तरह से रीसायक्लेबल बोतल का इस्तेमाल करता है. वॉहटर पान की दुकानों से लेकर उड़ानों तक हर जगह उपलब्ध होगा. साफ एवं सुलभ पेयजल की समस्या बहुत पुरानी है, लेकिन वॉहटर सभी के लिए इस समस्या को हल करने के लिए प्रयासरत है.
ब्लूस्मार्ट एक राईड-शेयरिंग कंपनी है जो दिल्ली-एनसीआर और बैंगलुरू में तकरीबन 5500 इलेक्ट्रिक वाहनों के फ्लीट का संचालन करती है. अपने प्रतिस्पर्धियों ओला और ऊबर के विपरीत, जो एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म हैं, ब्लूस्मार्ट के पास अपनी खुद की कारों का फ्लीट है, यहां ड्राइवरों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम मिलता है. इससे कैंसीलेशन की समस्या कम हो जाती है और उपभोक्ताओं को यूनिफॉर्म सर्विस मिलती है. कंपनी की शुरूआत 2019 में अनमोल सिंह जग्गी, पुनीत के गोयल और पुनीत सिंह जग्गी ने की थी.
कंपनी सरकार के दृष्टिकोण के अनुसार स्वच्छ उर्जा को बढ़ावा देने और वायू प्रदूषण की समस्या को हल करने में भी योगदान देना चाहती है. ब्लूस्मार्ट को अब तक विभिन्न निवेशकों से 133 मिलियन का ऋण एंव इक्विटी फंडिंग मिल चुकी है.
कंपनी ने अगले साल अपने पैमाने को 8000 कैब्स तक पहुंचाने की योजना बनाई हैं कंपनी के दिल्ली-एनसीआर और बैंगलुरू में 4000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन भी हैं. यह 2024 में कमर्शियलाइज़ेशन की शुरूआत भी करेगी, यानि अन्य ईवी मालिक और फ्लीट ऑपरेटर भी अपने वाहनों को चार्ज करने के लिए इनका उपयोग कर सकेंगे.
यात्रीकार्ट एक टेक-इनेबल्ड कंपनी है जो रीटेलिंग-ऑन-द-गो पर ध्यान केन्द्रित करती हैं. कंपनी की तकरीबन 40 ब्राण्डेड रोडसाईड रीटेल शॉप्स और लम्बी दूरी की ट्रेनों पर कार्ट्स हैं. यह हॉकर्स और वेंडर्स के साथ साझेदारी कर उन्हें इन्वेंटरी, प्रशिक्षण एवं वेंडिंग लाइसेंस उपलब्ध कराती है. बदले में हॉकर्स जिन्हें कंपनी ‘कैप्टन’ कहती है, को प्रोडक्ट्स पर 20 फीसदी कमीशन मिलता है, जबकि 20 फीसदी यात्रीकार्ट के द्वारा रखा जाता है.
कंपनी अब तक 450,000 डॉलर की सीड फंडिंग जुटा चुकी है. गौरव राणा और शिवांगी शर्मा द्वारा स्थापित यात्रीकार्ट एक टेक-इनेबल्ड ट्रांज़िट रीटेल चेन है, हॉकर्स और रीटेलरों को सड़क एवं रेल यात्रियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए सशक्त बनाती है. इन हॉकर्स और रीटेलरों को लीगल वेंडिंग के लिए नहीं जूझना पड़ता. कंपनी ने डव, कोलगेट, कलरबार, पेप्सी, पीसेफ़, युनिलीवर और आईटीसी जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी की है. इसके अलावा स्टार्ट-अप छोटे कारोबारों का मुनाफ़ा बढ़ाने और उनके विकास को गति प्रदान करने के लिए चैनल पार्टनरशिप के अवसर भी देता है.
ज़ोहो एक भारतीय मल्टीनेशनल सॉफ्टवेयर-ऐज़-अ-सर्विस कंपनी है जिसकी शुरूआत 1996 में श्रीधर वेम्बु द्वारा की गई. ज़ोहो को इसके प्रोडक्ट ज़ोहो ऑफिस स्यूट के लिए जाना जाता है, जो दुनिया भर में 100 मिलियन से अधिक उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं प्रदान करता है.
हाल ही में ज़ोहो सुर्खियों में आया जब इसने बताया कि यह अपना लार्ज लैंग्वेज मॉडल बनाने की प्रक्रिया में है, हालांकि यह मौजूदा मॉडल्स जैसे ओपन एआई के जीपीटी तथा गूगल के जेमिनी की तुलना में छोटा होगा. ज़ोहो ने हाल ही में अपने प्रोडक्ट्स में चैटबोट सहित कई जनरेटिव एआई टूल्स इंटीग्रेट किए हैं. आने वाले समय में यह 7 मिलियन से 20 मिलियन मानकों पर आधारित अपना एलएलएम विकसित करेगी. इसके लिए जीपीसी 4 के 1.76 ट्रिलियन मानक है. इस परियोजना का निरीक्षण कंपनी के सीईओ वेम्बु द्वारा किया जा रहा है. कंपनी बचत के लिए अपना जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर) भी तैयार करेगी.
ज़ोहो अपने आप में खास है क्योंकि यह ग्रामीण भारत से प्रतिभा जुटाने में भरोसा रखती है. यह ग्रामीण भारत के लिए आधुनिक प्रणाली के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित कर रही है.