एक रूपये के किराये पर ओर्थोपेडिक इक्विपमेंट्स
होम साइंस इन टेक्सटाइल डिजाइनिंग कर चुकी फाल्गुनी की शादी वडोदरा में एक बिज़नेस फैमिली में हुई थी। फाल्गुनी के दिल में हमेशा से समाज के लिए कुछ करने की इच्छा तो थी ,पर उन्हें अपनी इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में इतना समय नही मिल पाता था की वह अपनी इस इच्छा को पूरा कर सकें। उनका यह सपना तभी साकार हुआ जब उनके बच्चे बड़े हुए और उन्हें अपने लिए कुछ समय मिल सका। उनके दिल में समाज को लेकर कुछ करने के हौसले ने उन्हें आज ऐसे मुकाम पर पहुँचाया है जहाँ उन्होंने अपने सपने को न सिर्फ पूरा किया बल्कि समाज के लिए ख़ुशी का कारण बनीं।
यह कहानी तब शुरू हुई जब फाल्गुनी अपनी दोस्त के घर गयी थीं। बातचीत के दौरान उनकी नज़र कुछ ऐसे इक्विपमेंट्स पर पड़ी जिनका इस्तेमाल लम्बे समय ने नहीं हुआ था। जैसे व्हील चेयर, स्टिक, वॉकर आदि। इनके बारे में जानकारी लेने पर उन्हें पता चला कि वह इक्विपमेंट्स उनकी दादी माँ इस्तेमाल करती थी जो कि आज इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी दोस्त ने यह भी कहा कि इन चीज़ों का अब क्या किया जाए, यह समझ से परे है। तभी फाल्गुनी को ख्याल आया की क्यों न वो कुछ ऐसा करें कि इनका इस्तेमाल भी हो जाए और लोगों के काम भी आ जाए। क्यों न इन्हें फ्री रेंट पर लोगों को ज़रूरी समय के लिए दिया जाए। आइडिया सही था। बस उसको फलीभूत करना था। फाल्गुनी और उनकी दोस्त ने अपने इस फ्री रेंट ओर्थोपेडिक सामान के बारे में लोगों को बताना शुरू किया। और देखते ही देखते उनकी यह सर्विस बहुत जल्द मशहूर हो गई। फाल्गुनी और उनकी दोस्त ने कुछ नए और पुराने सामान को ख़रीदा जिसके द्वारा वह ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर सकें।
इस सेवा के दौरान फाल्गुनी और उनकी दोस्त को एक अगल तरह का अनुभव हुआ। कई बार ऐसा होता कि फ्री रेंट पर दिए गए उपकरण बुरी अवस्था में वापस मिलते। इससे इन्हें समझ में आया कि लोगो को चीजें अगर मुफ्त में मिले तो वे उसकी कद्र नहीं करते चाहे वह कितनी भी महंगी क्यों न हो। उन्होंने तभी से अपने इन सामान को 1 रुपये प्रतिदिन किराये पर देना शुरू कर दिया। इससे जो पैसे आते उसका इस्तेमाल और नए उपकरण खरीदने में करने लगीं। उन्होंने अपनी इस सर्विस के इश्तेहार अपने पास के ओर्थोपेडिक हॉस्पिटल में भी लगाये ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी इस सर्विस का इस्तेमाल कर सके।
फाल्गुनी की दोस्त अपनी किसी निजी वजहों से इस काम में अपनी भागीदारी जारी नहीं रख पाईं। लेकिन फाल्गुनी ने अकेले ही इस प्लेटफार्म को आगे बढ़ाने का फैसला लिया। आज इनके पास कुल मिलाकर 100 से भी ज़्यादा इक्विपमेंट्स का कलेक्शन है जिसमे शामिल हैं टॉयलेट चेयर्स, स्टिकस, क्रुचेस, वॉकर्स, व्हील चेयर्स, एयर बेड्स, हॉस्पिटल बेड्स इत्यादि जिन्हें वे अकसर किराये पर ज़रूरतमंद लोगो को देती हैं। उनका मानना है कि वे इस प्लेटफार्म को किसी प्रॉफिट के लिए नहीं बल्कि ज़रूरतमंद लोगों कि सहायता के लिए चलाती हैं। ऐसा करने से उन्हें लोगों का आशीर्वाद मिलता है और उन्हें मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है।
फाल्गुनी मानती हैं कि नए इक्विपमेंट्स लेने के बजाये अगर लोग इनके प्रयुक्त इक्विपमेंट्स इस्तेमाल करते हैं तो एक तो उन्हें ताउम्र सम्भालने कि ज़रुरत नहीं रहेगी क्योंकि इस्तेमाल के बाद वे उन्हें कभी भी वापिस कर सकते हैं और इसके साथ ही उनके पॉकेट पर भी ज़्यादा मार नहीं पड़ेगी। याद करते हुए वे कहती हैं कि जब उनकी माता जी को कुछ इक्विपमेंट्स कि ज़रुरत पडी थी तो उनके भाई ने उन्ही से रेंट पर वे सब लिए थे। हालाँकि वे अफ़सोस के साथ बताती हैं कि उनकी माता जी ने इनका इस्तेमाल डेढ़ साल तक किया और उसके बाद उनका निधन हो गया। परन्तु उनके भाई ने उन्हें 25000 रुपये डोनेशन पर देते हुए इस सेवा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें I
फाल्गुनी ने अपनी इस सेवा के ज़रिए समाज में न सिर्फ अपनी एक अलग पहचान बनाई बल्कि ज़रूरतमंद लोगों का असीम प्रेम भी बटोरा है।