बदलाव ही मुझे लगातार आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता हैः अनु वैद्यनाथन
हाफ आयरनमैन विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय हैं अनुखेल के अलावा एक बौद्धिक संपदा कंपनी PatnMarks का भी करती हैं सफलतापूर्वक संचालन जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन को मानती हैं सफलता का मूलमंत्र
अनु वैद्यनाथन हाफ आयरनमैन विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय होने के अलावा अल्ट्रामैन में भाग लेने और उसे पूरा करने वाली पहली एशियाई हैं। अल्ट्रामैन एक तीन-दिवसीय ट्रायथलाॅन दौड़ है जिसमें प्रतियोगी को 10के तैराकी, 420के बाइक से सवारी करने के साथ-साथ 84.4के की दौड़ को सफलतापूर्वक निबटाना होता है। एक खिलाड़ी होने के अलावा अनु एक उद्यमी भी हैं और वे अपनी एक बौद्धिक संपदा कंपनी PatnMarks का भी सफलतापूर्वक संचालन कर रही हैं।
इसलिये उनकी यह कहानी इतनी खास है-
बचपन की सीख
मेरा बचपन मेरे जीवन का सबसे अधिक सुखद समय था। उस समय बैंगलोर अपने पुराने स्वरूप में था जहां चारों तरफ पेड़ और हरियाली थी और उस समय चूंकि इतने सारे सुपरमाॅल नहीं खुले थे इसलिये वह समय बच्चों के लिये एक बेहतरीन समय था। उस समय सड़कों पर सफर करना एकदम सुरक्षित था और हम लोग बिना अधिक चिंता किये साइकिल चलाते हुए आराम से घूमते रहते थे। अगर मुझे अपने बचपन का 1 से 10 के बीच मूल्यांकन करना हो तो मैं उसे 15 अंक दूंगी!
चूंकि मेरी माँ खुद एक नौकरीपेशा महिला थीं इसलिये मेरा प्रारंभिक बचपन तमिलनाडू के ग्रामीण इलाके में एक चाची के यहां बीता। मैं सिर्फ यह जानती हूँ के प्रकृति के साथ मेरा नाता सिर्फ कल का नहीं है बल्कि यह बहुत पुराना रिश्ता है।
मैंने बचपन से ही एक खानाबदोश का जीवन जिया है और शायद यही मेरे बचपन की सबसे अच्छी यादों में से एक है। मेरे पाच वर्ष के होने तक हम तीन या चार शहरों में रह चुके थे। यह एक माँ के कामकाजी महिला होने की वजह से संभव हो सका। इसके अलावा उन्होंने एक छोटे से व्यवसाय की भी नींव रखी और मुझे यह महसूस करवाया कि उस समय की पीढ़ी की सोच में कितनी लचीलापन था। वह समय आज के समान नहीं था। आज हमारे सामने कई विकल्प उपलब्ध हैं, हम घर पर खाना न पकाने का फैसला करते हुए बाहर का खाना खा सकते हैं, हमारे पति और सुसरालवाले हमें अधिक बेहतर ढंग से समझते हैं, हालांकि ऐसा हम मामले में नहीं होता।
मैं अपने पूरे जीवन में घूमती ही रही और विभिन्न लोगों से मिलकर उनके जीवन की कहानियों को सुनकर मुझे बेहद प्रसन्नता होती और उनसे प्राप्त होने वाले अनुभवों में से कुछ को मैं अपने जीवन में समेटने में भी कामयाब रही। अगर आपके अंदर स्वीकार करने की इच्छाशक्ति है तो आप अपने जीवन में होने वाली कई स्पष्ट गलतियों से खुद को बचा सकते हैं।
खेलकूद और व्यापार
मैं अपनी कंपनी को अपने तरीके और हिसाब से संचालित करते हुए अपने उपभोक्ताओं का दिल जीतने में यकीन करती हूँ। अभी हम एक छोटी सी टीम हैं। हम कभी भी करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनी नहीं होंगे और वह कभी हमारा लक्ष्य भी नहीं था। इसके बाद दूसरी चीज जो मेरे दिल के बहुत करीब है वह है खेल। यह मेरे होने का एक बहुत बड़ा हिस्सा है, और यही मेरी पहचान को परिभाषित करता है। मैं यह कह सकती हूँ कि नए अनुभव मुझे प्रेरित करने का काम करते हैं। यहां तक कि अबसे तीन वर्ष पहले जब मैंने बच्चों को पढ़ाने के फैसला किया तो यह मेरे लिये बिल्कुल नया अनुभव था और बच्चों की सोचने ओर समझने की शक्ति के बारे में जानना मेरे लिये बिल्कुल अनोखा था। चाहे वह खेल हो, व्यवसाय हो, शिक्षण या अध्यापन हो या फिर कुछ भी हो, वह कुछ समय बाद बदल जाना चाहिये। मेरे ख्याल ये बदलाव ही मुझे लगातार आगे बढ़ने में मदद करता है।
स्कूल के दिनों में पीटी और मार्च पास्ट नियमित रूप से आयोजित होते थे लेकिन मुझे साइकिल चलाकर स्कूल जाना बेहद पसंद था। कई बार मुझे महसूस होता है कि एक खिलाड़ी बनने के लिये मैंनें किनती मूर्खतापूर्ण तरीकों से रास्ते में आने वाली बाधाओं को पार किया था। लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि मेरी याख बेहद आनंददायक और उत्साह से भरपूर रही है। इसी के साथ मैं यह साबित करने की कोई कोशिश नहीं करूंगी कि महिलाएं इस धरती पर सबसे सशक्त प्राणी हैं, क्योंकि वास्तव में ऐसा नहीं है। हमारे सामने बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिनका सामना हमें रोजाना करना पड़ता है। हम दुनिया में सबसे अधिक परिश्रम करने वाले देशों में से एक हैं लेकिन अगर आप दूसरे देशों के साथ तुलना करें तो जीवन और स्वास्थ्य के मामलों में हम कहीं नहीं ठहरते हैं।
मेरे लिये खेल जीवन की यात्रा बहुत ही बेहतरीन रही है और इसने मुझे बारम्बार और लगातार खुद को तलाशने में मदद की है। जब तक मैं दीर्घकालिक रूप से ऐसा करने में सफल हो रही हूँ मुझे रुकने का कोई माकूल कारण दिखाई नहीं देता।
सबसे बड़ी उपलब्धियां
मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि मेरे जीवन साथी से मुलाकात रही है। मुझे लगता है कि वे एक माकूल व्यक्ति हैं जो मुझे लगातार प्रेरित करते हैं। मुझसे कई बार पूछा जा चुका है कि किसी भी महत्वाकांक्षी महिला को जीवन में आगे बढ़ने के लिये कैसे जीवनसाथी की तलाश होती है और मेरे ख्याल से एक दूसरे के रास्ते में न आना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
इसके अलावा अब मैं अपने माता-पिता को कुछ समय निकालकर अपनी पसंद के काम करते हुए देख पाती हूँ। उदाहरण के लिये अब मैं अपनी माँ के साथ बागवानी का आनंद लेती हूँ और अपनी पिता के साथ लंबी दूरी तक पैदल चलने के लिये समय निकाल पाती हूँ। मेरे ख्याल से जीवन की यही छोटी-छोटी बातें मेरे जीवन की उपलब्धियां हैं।
समय प्रबंधन
मैंने हमेशा से यह माना है कि समय के हर बिंदु पर आपके पास सबकुछ नहीं हो सकता है ओर अगर कोई आपसे यह कहता है तो आपको उनकी बातों के बारे में वास्तव में सोचना चाहिये। जब मैं 6 महीने बाद होने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहीहोती हूँ तो वह मेरा ध्यान केंद्रित करने का समय होता है। उस समय मैं और कुछ नहीं करती, यहां तक कि अपने उपभोक्ताओं से भी नहीं मिलती हूँ। इसके बाद के छः महीनों में मैं पूरी तरह से अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित रहती हूँ और लंबी अवधि की रणनीतियों को तैयार करने में व्यस्त रहती हूँ। लंबे समय तक टिके रहने के लिये आपको अपनी प्राथमिकताओं का प्रबंधन करना आना चाहिये। जब आपके साथ आपका परिवार होता है और आपके बच्चे हो जाते हैं तो आप खुद से अपनी भूमिका के बारे में सवाल करने लगते हैं। आपको यह समझना होगा कि जीवन कोई अलादीन का चिराग नहीं है। आप एक सुरक्षित नौकरी में खुद को बांधकर सबकुछ अपने आप होने देने का इंतजार नहीं कर सकते हैं बल्कि आपको खुद आगे बढ़कर सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार रहना चाहिये। मेरे लिये एक महिला होना काफी मजेदार और चुनौतीपूर्ण रहा है और मैं मल्टी-टास्किंग को बहुत पसंद करती हूँ।
अगर हम समय से प्रबंधन की बात करें तो मेरी हमेशा से ही कुछ प्राथमिकताएं रही हैं जिनका मैंने सदा ही पालन किया है। मैं हमेशा से ही कहती रही हूँ कि खेल मेरे जीवन में सिर्फ शोहरत और वाहवाही ही लेकर नहीं आया है बल्कि इसकी बदौलत मेरे जीवन में अनुशासन आया है। आपको अपने मस्तिष्क में इस विभाजन को स्थान देना ही होगा।
वास्तव में मैं चीजों के बीच संतुलन बनाने में इतनी अच्छी नहीं हूं और मैं कई बार घबरा भी जाती हूँ लेकिन में अपनी भावनाओं को छिपाना जानती हूँ। मैं अपनी प्राथमिकताओं का प्रबंधन बेहतर तरीके से करना जानती हूँ।
अनुशासन को विकसित करना
जहां तक अनुशासन की बात है तो यह धीरे-धीरे आने वाली आदत है और आप इसे अपने जीवन में रातोरात नहीं अपना सकते। यहां तक कि अगर आप बागवानी जैसे साधारण काम पर भी ध्यान दें तो आपको पौधों को रोजाना पानी देना हेाता है, आप उन्हें ऐसे ही नहीं छोड़ सकते।
अनुशासन वास्तव में बहुत कम उम्र से ही आ जाता है ओर इसके लिये कोई राॅकेट साईंस नहीं है। आपको कुछ अपने जीवन में कुछ साधारण बदलाव लाने होते हैं और आप का जीवन अनुशासित हो जाता है। जैसे आप दूसरों को सम्मान दें, टेबल को डालें और उसे समय पर साफ करें, अगर आप 21 वर्ष की उम्र के बाद भी अपने अभिभावकों के साथ रह रहे हैं तो कराया आप स्वयं दें और कुछ करें।
और चूंकि मेरे माता-पिता काफी कठोर प्रवृति के थे इसलिये अगर मैं कुछ करना भूल जाती थी तो वे मुझे याद दिला देते थे। उन्होंने ऐसा कभी अधिकार के भाव से नहीं बल्कि आपसी सम्मान से भाव से किया। वे कहते, ‘अगर आप इन दो-तीन कामों को करेंगे तो आप मेरे जीवन को बेहतर करेंगे और मुझे उम्मीद है कि आप इसे समझेंगी।‘ उन्होंने हमेशा हमसे व्यस्कों जैसा व्यवहार किया और कभी हमसे अधिक अपेक्षा नहीं रखी और न ही कभी हमारे ऊपर 85 प्रतिशत या उससे अधिक अंक लाने का दबाव डाला।
सलाह
मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि वास्तविकता में जियो। में कभी भी करोड़ों के व्यापार की आकांक्षी नहीं रही बल्कि मेरा हमेशा से यह मानना रहा कि आप जो भी काम करें उसे दिल से करें। व्यापार सिर्फ फेसबुक और यूट्यूब की तरह मशहमर होने का ही नाम नहीं है बल्कि आप कई ऐसे छोटे व्यवसाइयों को पाएंगे जो कई दशकों से व्यापार में लगे हुए हैं और अपने क्षेत्र में सफलता के शिखर पर हैं लेकिन अब भी अगर आप उनके दफ्तर में जाएं तो वे खुद उठकर आपको पीने के लिये पानी देंगे। मुझे आजकल ऐसी नैतिकता की बेहद कमी महसूस होती है।
आप अपने जीवन में जो भी करें उसे वास्तविक बनाए रखें, नैतिकता पर टिके रहें, एक मान्यता पर टिके रहने के लिये जीतोड़ मेहनत करें और कभी भी पद और प्रतिष्ठा की लड़ाई में शामिल न हों।