Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

पश्चिम बंगाल की पहली ग्रीन सिटी: चलती हैं इलेक्ट्रिक बसें, चारों तरफ सिर्फ हरियाली

पश्चिम बंगाल की पहली ग्रीन सिटी: चलती हैं इलेक्ट्रिक बसें, चारों तरफ सिर्फ हरियाली

Thursday August 23, 2018 , 4 min Read

 शहरों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए ही ग्रीन सिटी का कॉन्सेप्ट तैयार किया गया था ताकि लोगों की दिनचर्या और शहरी विकास से पर्यावरण को क्षति न पहुंचे। हाल ही में इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल ने पश्चिम बंगाल के न्यू टाउन उपनगर को ग्रीन सिटी का तमगा दिया है।

image


न्यू टाउन कोलकाता विकास परिषद के चेयरमैन देबाशीष सेन ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि IGBC की ओर से न्यू टाउन को ग्रीन सिटी के रूप में प्रशस्ति पत्र दिया गया है।

शहरों में अत्यधिक बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। हालांकि लोगों में जागरूकता भी आ रही है। यही वजह है कि शहरों के भी लोग काफी जागरूक हो रहे हैं और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए कई सारे कदम उठा रहे हैं। शहरों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए ही ग्रीन सिटी का कॉन्सेप्ट तैयार किया गया था ताकि लोगों की दिनचर्या और शहरी विकास से पर्यावरण को क्षति न पहुंचे। हाल ही में इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल ने पश्चिम बंगाल के न्यू टाउन उपनगर को ग्रीन सिटी का तमगा दिया है।

इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज का हिस्सा है जो राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित बिल्डिंग्स को सर्टिफिकेट जारी करता है। बड़े शहरों और महानगरों में अधिक से अधिक पेड़ लगाने एवं शहरों को पयार्वरण अनुकूल बनाने के लिए इंडियन ग्रीन सिटी काउंसिल की स्थापना की गई थी। देश भर के शहरों व उपनगरों को संस्था की ओर से चिन्हित कर सर्वेक्षण किया गया था जो ग्रीन सिटी का तमगा हासिल करने लायक थे।

image


न्यू टाउन कोलकाता विकास परिषद के चेयरमैन देबाशीष सेन ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि IGBC की ओर से न्यू टाउन को ग्रीन सिटी के रूप में प्रशस्ति पत्र दिया गया है। उन्होंने बताया कि किसी भी शहर को ग्रीन शहर के रूप में चिन्हित करने के लिए कई प्रावधान हैं जिस पर न्यूटाउन पूरी तरह से खरा उतरा है। इसमें सबसे पहली जरूरत यह है कि शहर के अधिकतर हिस्सों में पेड़ लगे होने चाहिए।

अच्छी बात ये है कि कोलकाता के उपनगर के रूप में विकसित किए गए इस शहर की शुरुआत से ही सभी इमारतों, सड़कों के दोनों किनारे और बीच में एवं सभी सरकारी और गैर सरकारी आवासों के परिसरों में अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाए गए हैं। साथ ही यहां बैटरी से चलने वाले ऑटो, कैब और बसें भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा छोटे-बड़े 15 पार्क बनाए गए हैं. जिसमें फूल और छोटे छोटे पौधे लगाए गए हैं. जहां भारी संख्या में लोग समय बिताते हैं।

कोलकाता शहर के उत्तरी हिस्से में स्थापित किया गया यह उपनगर एक नई सैटेलाइट सिटी के तौर पर उभरा है। यहां बड़ी और अच्छी जगह होने की वजह से सुनियोजित तरीके से निर्माण किया गया है। यहां पर ठोस कचरे के निपटान के लिए 20 वाहन लगाए गए हैं जिसमें जीपीएस सिस्टम भी लगा हुआ है। इससे नगरपालिका के अधिकारियों को वाहन को ट्रैक करने में काफी आसानी होती है।

न्यू टाउन में 20 इलेक्ट्रिक बसें भी चलती हैं जो कि एयरकंडीशन्ड हैं। इन बसों में 32 सीटे हैं और इन्हें चार्ज करने के लिए अलग से चार्जिंग पॉइंट भी बनाए गए हैं। मिलेनियम पोस्ट के मुताबिक इन बसों का किराया काफी सस्ता है और इसमें सिर्फ 10 रुपये में सफर किया जा सकता है। न्यू टाउन में प्रवेश करने पर चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आती है। यहां तक कि सड़कों को दो भागों में बांट कर उसके बीच में भी कंक्रीट की जगह बनाकर पेड़ लगाए गए हैं। साथ ही प्रत्येक महत्वपूर्ण चौराहे पर पानी के एटीएम और जन स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम सुविधाओं को विकसित किया गया है।

यहां पर साइकिल चलाने को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए किराए पर साइकिल लेने की व्यवस्था की गई है। बाकी गाड़ियों से प्रदूषण होता है वहीं साइकिल एक सस्ता और सुलभ प्रदूषण न करने वाला साधन है। हरित पर्यावरण को प्रोत्साहित करने वाला ये नया सा शहर तमाम बाकी शहरों को साफ बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार के शहरी विकास विभाग ने ग्रीन सिटी (हरित शहर) परियोजना के लिए 1372 करोड़ रुपए खर्च किये हैं।

यह भी पढ़ें: मुस्लिम युवक को मॉब लिन्चिंग से बचाने वाले उत्तराखंड के पुलिसकर्मी को मिला पुलिस मेडल