गरीबी मिटाने के लिए महिला उद्यमियों का अनूठा प्रयास 'ग्रामालय'
महिलाओं को अपने परिवार के लिए आय अर्जित करने में सक्षम बनाना ही है ग्रामालय माइक्रो फाइनेंस फाउंडेशन का सपना
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को पैसे देने से धीमी गति से असर करने वाली एक ऐसी प्रक्रिया और प्रगति की शुरुआत की जा सकती है जिस से कि गाँवों की गरीबी ख़त्म की जा सकती है. विश्व बैंक की 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार " भारत में पुरुषों द्वारा आय का एक बड़ा भाग धूम्रपान, शराब और जुए जैसे अपने निजी उपयोग पर खर्च कर दिया जाता है, जबकि महिलाएं अपनी सम्पूर्ण आय परिवार के खाने, स्वास्थ्य, बच्चों की स्कूल फीस और कपडे जैसी जरूरतों पर खर्च करती है.
"ग्रामालय माइक्रो फाइनेंस फाउंडेशन" (GMF) जो तमिलनाडु स्थित एक गैर लाभकारी संस्था है, का मानना है कि उन्हें महिलासशक्तिकरण के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी है. और इसके लिए उन्होंने अपने कार्य करने के तरीके में एक अद्भुत बदलाव लाया है जोकि अन्य परम्परागत सूक्ष्म-वित्तीय संस्थानों से भिन्न है. GMF एक ऐसी संस्था है जो महिला उद्यमियों के सहयोग लिए अपनी वेबसाइट www.milap.org के माध्यम से निधि जुटाता है. और वास्तव में यही इसकी खासियत है.
GMF की सभी महिलाओं को Gramalaya Entrepreneurs Associates, Tamil Nadu (GREAT) Training Centre में क्षमता वृद्धि कार्यक्रम की तहत एक व्यापक प्रशिक्षण में हिस्सा लेकर उसे पूरा करना पड़ता है. मूल रूप से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मिलाप द्वारा वित्त पोषित है और इसके तहत महिलाओं को व्यापारिक परामर्श की माध्यम से कौशल विकास, तकनीक सहयोग तथा बाजार सम्बंधित अन्य विज्ञापन गतिविधियों से अवगत कराया जाता है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की पूरा कर लेने की बाद ही महिलाओं को आय उत्पादन के लिए ऋण दिया जाता है. महिलाओं को विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों जैसे, जैविक खेती, केले या ज्वार के उत्पाद, वस्त्रों की पेंटिंग और उनकी रूचि पर आधारित अन्य बहुत से शिल्प का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस प्रशिक्षण के पूरा हो जाने के बाद महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ दिया जाता है जिस से कि वो अपना कोई नया व्यवसाय शुरू कर सकें या वर्तमान व्यवसाय का विस्तार कर सकें.
अपने हाल कि एक साक्षात्कार के दौरान GMF की मुख्य कार्यकारी अधिकारी गीता जगन ने हमें महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने और उन्हें उनकी परिवार के लिए आय अर्जित करने में सक्षम बनाने के अपने सपने के विषय में बताया. "भय या आत्मविश्वास की कमी के कारण महिला को पता नहीं होता कि बैंकों की सेवा और सुविधाओं का लाभ कैसे लिया जाय? उन्हें अपने पति या बेटे द्वारा दिए गए पैसे पर ही निर्भर रहना पड़ता है जिस से की वो कोई बचत नहीं कर पाती है. इसलिए यदि औरत किसी मुसीबत में है और उसे अगर पैसे की आवश्यकता है उसे अन्य किसी से सहायता लेनी पड़ती है. GMF में हम प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करते हैं जिस से कि वो अपना स्वयं का रोजगार कर के आय अर्जित कर सकें. महिलाओं में बहुत क्षमता होती है लेकिन हैं उसका पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. यदि हम स्त्रियों को सशक्त करे और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दें तो मेरे विचार से यह हमारे देश के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. महिलाओं का समर्थन करने से पूरा परिवार लाभान्वित होगा और हम लैंगिक भेदभाव से लड़ने के लिए उनमें विश्वास का निर्माण कर सकेंगें."
GMF अपने उधार लेने वाले सदस्यों को 10000 से 12000 रूपये का ऋण देता है जिसके चुकाने की अवधि 12 से 18 महीने होती है. शुरुआत का यह कोष बैंकों, वित्तीय संस्थाओं या निजी दान या अनुदान के माध्यम से दिया जाता है. जनवरी 2013 तक GMF के कुल 2258 उधारकर्ता हैं जिन पर कुल ऋण 22 करोड़ 58लाख रूपये है. 39 वर्षीय रेवती मुत्थुस्वामी भी GMF की एक ऋण लेने वाली सदस्य हैं जिनके लिए यह निधि Milaap.org के माध्यम से जुटाई गयी है. रेवती कट्टुपुथुर गाँव में रहती हैं और इन्होने सिलाई के काम से अपने पेशे की शुरुआत की. शुरुआत में इन्होने अपना यह काम बस समय व्यतीत करने के लिए किया था और उन्हें कोई ज्यादा आय नहीं हो पाती थी लेकिन वो धीरे धीरे अपनी आय बढ़ाना चाहती थी. " मैंने GMF के और उनकी कौशल एवं व्यवसाय विकास के प्रशिक्षण के विषय में सुना और फिर मैंने अपना कुछ नया करने का निश्चय किया." रेवती कहती हैं. "और अब मैं 5 सदस्यी स्वयं सहायता समूह का हिस्सा हूँ और GMF के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मैंने ज्वार और केले के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लिया है." अपने काम करने की चाह और प्रेरणा के विषय में विस्तार से बताते हुए रेवती कहती हैं-" मुझे लगता है उपलब्धि की अनुभूति मुझे प्रेरित करती है.मैं सफल होना चाहती हूँ, मुझे संतुष्टि है कि अपने जीवन में मैं कुछ कर रही हूँ. मैं इस व्यापार को बढ़ते हुए देखना चाहती हूँ. हम सभी 5 महिलाओं को अपने पतियों से सहयोग मिलता है. और वो सभी लोग हमें कुछ करने कि लिए उत्साहित करते रहते हैं." हम ने जब रेवती से पूछा कि उद्यमी बनने की इक्षा रखने वाली महिलाओं को उनकी एकमात्र सलाह क्या होगी तो उन्होंने बहुत ही दृढ़ता से कहा-" सिर्फ और सिर्फ एक बात क्या कुछ करने की इक्षा होना ही पर्याप्त नहीं है? आपके अंदर बाहर निकल कर कुछ करने का आत्मविश्वास होना चाहिए. मैं सोचती हूँ कि इसमें पारिवारिक सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि आपकी सास या आपके पति कहेंगें कि औरतों को बाहर काम करने के बजाय घर पर ही रहना चाहिए. जबकि इसकी बजाय उन्हें आपको और आगे बढ़ने कि लिए सहयोग और प्रेरित करना चाहिए. बहुत सारी स्त्रियां शिक्षित नहीं होती और यही बात उन्हें कुछ करने से रोक देती है. मैं अन्य औरतों से कहती हूँ कि कुछ करने के लिए आपको शिक्षित होना आवश्यक नहीं है. और आपके सामने एक गृहणी की भूमिका से इतर भी इतना कुछ करने के अद्भुत अवसर हैं.
महिला दिवस मनाने के लिए "योर स्टोरी" मिलाप के अभियान "महिला ही महिला की मददगार" में शामिल हुयी. मिलाप द्वारा प्रवर्तित प्रेरक महिला उद्यमियों पर केंद्रित तीन भाग की इस श्रृंखला का यह आखिरी भाग है. अगर आप भी किसी महत्वकांक्षी महिला उद्यमी को जानते हैं जो आपको प्रेरक लगाती है तो आप #women4change marking @YourStorydotin and @Milaapdotorg पर उनके विषय में ट्वीट कीजिये. ट्वीटर के माध्यम से चलाये जा रहे इस अभियान से चिन्हित महिला को इस में २५ डॉलर का उपहार कूपन प्राप्त करने का अवसर मिल सकता है जिसे वो मिलाप को जरूरतमंद उद्यमी महिलाओं को सहयोग करने के लिए दे सकती है.