बाढ़ से 169 लोगों की जान बचाने वाले शहीद जवानों का एहसानमंद है सारा देश
एक बहादुर ने शहीद होने से पहले देश के लिए निभाया अपना फर्ज़...
शहीद होने से पहले बहादुरों ने देश के लिए अपना फर्ज निभाया और बाढ़ में फंसे 169 लोगों की जिंदगियों की रक्षा की। अफसोस की बात, कि बहादुर एक और अनहोनी को नहीं टाल सके और शहीद हो गए...
अरुणाचल प्रदेश में लोगों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर ले जाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। लेकिन एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान विंग कमांडर मनदीप सिंह ढिल्लन और फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद कुमार सिंह समेत सार्जेंट गुर्जर एक हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हो गए।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद कुमार सिंह और विंग कमांडर मनदीप सिंह ढिल्लन दोनों ही असम के तेजपुर स्थित एयरफोर्स की 115वीं हेलीकॉप्टर यूनिट में पोस्टेड थे। दोनों को अरुणाचल प्रदेश के पापुन पारे जिले में भूस्खलन के बाद आई भयंकर बाढ़ में राहत कार्य के लिए लगाया गया था।
अरुणांचल प्रदेश में इस वक्त भयंकर बाढ़ आई हुई है। वहां पर लोग अथाह जल प्रवाह के बीच फंसे हुए हैं, उनकी जिंदगियां खतरे में हैं। लोगों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर ले जाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। लेकिन एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान विंग कमांडर मनदीप सिंह ढिल्लन और फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद कुमार सिंह समेत सार्जेंट गुर्जर एक हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हो गए। शहीद होने से पहले इन बहादुरों ने देश के लिए अपना फर्ज निभाया और बाढ़ में फंसे 169 लोगों की जिंदगियों की रक्षा की। अफसोस की बात ये बहादुर एक और अनहोनी को नहीं टाल सके और शहीद हो गए। वहीं दोनों के सूझबूझ भरे एक फैसले ने कई लोगों की जान भी बचाई।
कैसे हुआ हादसा
फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद कुमार सिंह और विंग कमांडर मनदीप सिंह ढिल्लन दोनों ही असम के तेजपुर स्थित एयरफोर्स की 115वीं हेलीकॉप्टर यूनिट में पोस्टेड थे। दोनों को अरुणाचल प्रदेश के पापुन पारे जिले में भूस्खलन के बाद आई भयंकर बाढ़ में राहत कार्य के लिए लगाया गया था। इनकी यूनिट को अरुणाचल प्रदेश के पापुन जिले में भूस्खलन के बाद आई बाढ़ में फंसे 170 लोगों को निकालने का निर्देश था।
04 जुलाई को विंग कमांडर मनदीप सिंह ढिल्लन, फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद कुमार सिंह ने अपनी टीम के साथ एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। खराब मौसम के बाद भी नहीं हटे पीछे एक फ्लाइट इंजीनियर और अरुणाचल प्रदेश पुलिस के एक जवान के साथ विंग कमांडर ढिल्लन और फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव के साथ सागली रवाना हुए। मौसम लगातार बिगड़ता जा रहा था लेकिन फिर भी दोनों ने हार नहीं मानी। मौसम खराब होने के कारण दो दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हो सका। तीसरे दिन चार जुलाई को कुछ देर के लिए मौसम खुला, तो रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। दोनों ने फैसला किया कि वे आम नागरिकों की जिंदगियों को खतरे में नहीं डालेंगे। इसके साथ ही उन्होंने और लोगों को हेलीकॉप्टर पर न लेने का मन बनाया।
सागली से नाहरलागुन तक पांच उड़ानों के बाद 169 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया। उन्होंने खतरे को देखते हुए और लोगों को हेलीकॉप्टर में नहीं लिया था। इस हेलीकॉप्टर को पापुम पारे और दाम्बुक जिले में एएचएल ने रेस्क्यू ऑपरेशन में 169 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। छठवीं उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया और रडार से उसका संपर्क टूट गया। गांव से टेक ऑफ करने के कुछ ही मिनटों बाद रडार से हेलीकॉप्टर का संपर्क टूट गया और फिर एक बुरी खबर आई। संपर्क टूटने के गाद वायुसेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया, दो दिन चले ऑपरेशन के बाद हेलीकॉप्टर के अवशेष और शहीदों के शव मिल गए।
शहीदों के सम्मान में
अरुणाचल विंग कमांडर ढिल्लन और फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद का अंतिम संस्कार तेजपुर में ही किया गया। अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू भी इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि 'दोनों बहादुर पायलट्स ने लोगों की जान बचाई और सैंकड़ों लोग उनके और एयरफोर्स के अहसानमंद रहेंगे।'
विंग कमांडर मनदीप के पास 18 वर्षों तक फ्लाइंग का अनुभव था। उन्होंने बर्फीली पहाड़ियों से लेकर नॉर्थ ईस्ट के जंगलों तक में अपने अनुभव का बेहतर प्रदर्शन किया था। उनके साथी मानते हैं कि उनके जाने के बाद से एयरफोर्स ने एक बेहतरीन पायलट खो दिया है। वह यंग ऑफिसर्स के लिए जहां एक रोल मॉडल थे तो वहीं नेशनल डिफेंस एकेडमी के कैडेट्स के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा। वह एनडीए के इंस्ट्रक्टर भी रहे थे। विंग कमांडर ढिल्लन के पिता भी एयरफोर्स से ही रिटायर हैं।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद आगरा के रहने वाले थे और उनकी पत्नी अदिति भी एक एयरफोर्स ऑफिसर हैं। अदिति एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर हैं। उनके बड़े भाई सेना में हैं और उनका नाम मेजर प्रवीण सिंह है। फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिंह के पिता भी सेना से रिटायर हैं। इतनी कम उम्र में अपने बेटे के चले जाने से दोनों सदमे में हैं, लेकिन उन्हें इस बात का गर्व हैं कि उनके बेटे ने लोगों की रक्षा में अपने प्राण त्यागे।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रमोद कुमार सिंह की अंतिम बार अपनी मां पुष्पा से फोन पर बात हुई थी, उनसे कहा था कि ध्यान रखना। इससे पहले एक जुलाई को भाभी रिया सिंह को जन्मदिन की बधाई दी थी। भाई मेजर प्रवीण से दो दिन पहले बात हुई थी। शहीद प्रमोद के पिता ने बताया, 'मुझे गर्व है मेरे बेटे ने अपनी जान की परवाह किए बिना बाढ़ में फंसे लोगों की जान बचाई। बेटा खोने का दुख भी है, क्योंकि वो मुझसे व अपनी मां से बहुत प्यार करता था।'