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मेट्रो शहरों की भीड़ कम कर रहा है ये स्टार्टअप, लोगों के होमटाउन ले जाता है उनका ऑफिस!

मेट्रो शहरों में अधिकतर कंपनियों ने अपने ऑफिस खोले हुए हैं, जिसकी वजह से वहां भीड़ बढ़ रही है. मीक्रो ग्राफियो (Mikro Grafeio) नाम का एक स्टार्टअप इसे कम करने की दिशा में काम कर रहा है.

मेट्रो शहरों की भीड़ कम कर रहा है ये स्टार्टअप, लोगों के होमटाउन ले जाता है उनका ऑफिस!

Tuesday February 28, 2023 , 5 min Read

आज के वक्त में देश के तमाम मेट्रो शहरों में भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि आने वाले दिनों में शायद यहां रहना ही मुश्किल हो जाए. सवाल ये है कि आखिर मेट्रो शहरों में इतनी भीड़ हुई क्यों है? दरअसल, मेट्रो शहरों में अधिकतर कंपनियों ने अपने ऑफिस खोले हुए हैं, जिसकी वजह से वहां काम करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और इन शहरों में बस जाते हैं. इसी वजह से ये भीड़ बढ़ रही है, लेकिन क्या इसका कोई समाधान हो सकता है? जी बिल्कुल हो सकता है, मीक्रो ग्राफियो (Mikro Grafeio) नाम का एक स्टार्टअप इसी दिशा में काम कर रहा है, ताकि मेट्रो शहरों की भीड़ से निजात मिल सके.

मीक्रो ग्राफियो की शुरुआत अक्टूबर 2021 में हुई थी. मीक्रो ग्राफियो की शुरुआत Jaishankar Seetharaman, Santosh Mahalingam, Ranchu Nair और Mohan Mathew ने की थी. सभी की उम्र 50 साल के करीब है और हर किसी के पास 27-28 साल का अलग-अलग फील्ड का अनुभव है.

कैसे आया मीक्रो ग्राफियो शुरू करने का आइडिया?

कोरोना काल में जब दुनिया भर के लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे, उस वक्त कंपनी के को-फाउंडर्स ने सोचा क्यों ना कि लोगों को मेट्रो शहरों के ऑफिस तक लाने के बजाय इन ऑफिस को ही लोगों के घरों तक ले जाया जाए. इसी मकसद के साथ हुई मीक्रो ग्राफियो की शुरुआत, जिसका मतलब ग्रीक भाषा में होता है छोटा ऑफिस. यानी ये स्टार्टअप छोटे शहरों में छोटे ऑफिस सेटअप कर रहा है.

कंपनी के को-फाउंडर संतोष महालिंगम बताते हैं कि 2020 के आंकड़ों के अनुसार ऑफिस लीजिंग इंडस्ट्री करीब 1 अरब डॉलर की है. इसका 90 फीसदी सिर्फ 10 शहरों में है, जबकि देश में 700 से ज्यादा जिले हैं. ऐसे में छोटे शहरों में ऑफिस लीजिंग के लिए बहुत स्कोप है. यही वजह है कि आज कंपनी का सालाना टर्नओवर 8 करोड़ रुपये के करीब है.

Mikro Grafeio

छोटे ऑफिस का नेटवर्क बना रही है कंपनी

आसान भाषा में समझें तो कंपनी का बिजनेस छोटे ऑफिस का नेटवर्क बनाने का है. कोरोना के वक्त सभी घर से काम कर रहे थे और यह मिथ दूर हो गया हर किसी को फेस टू फेस ही काम करना होगा. लोग अलग-अलग शहरों से थे और कंपनियों के लिए काम कर रहे थे. कोरोना की वजह से बहुत सारे लोग अपने होमटाउन यानी घर चले गए थे.

संतोष बताते हैं कि वह केरल के कोझीकोड से हैं, लेकिन कई सालों से घर से दूर हैं. वजह सिर्फ ये है कि छोटी जगहों पर नौकरी नहीं है, मौके बहुत कम हैं. ऐसे में उन्होंने बाकी को-फाउंडर्स के साथ मिलाकर छोटी जगहों पर ऑफिस खोलने का प्लान किया.

क्या है कंपनी का बिजनेस मॉडल?

कंपनी सबसे पहले किसी छोटे शहर में एक बड़ी सी जगह किराए पर लेती है. कुछ जगहों पर कंपनी जगह खरीद भी लेती है. उसके बाद वहां 4-5 क्लाइंट्स के लिए ऑफिस सेटअप किया जाता है. उनके लिए ऑफिस में मिलने वाली हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है. साथ ही मीक्रो ग्राफियो अपने क्लाइंट्स के लिए रिक्रूटमेंट करती है, उन्हें ट्रेनिंग देती है और साथ ही तमाम सपोर्ट मुहैया कराती है.

रिक्रूटमेंट और ट्रेनिंग जैसे कामों के लिए कंपनी वन टाइम फीस लेती है, लेकिन असली कमाई होती है स्पेस को किराए पर देकर. कंपनी का काम को-वर्किंग स्पेस मॉडल जैसा है. कंपनी की तरफ से एचआर उपलब्ध कराने की सुविधा दी जाती है. साथ ही कंपनी लोकल इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य तरह का सपोर्ट मुहैया कराती है. यानी ये स्टार्टअप तमाम सेंटर को मैनेज करता है, जबकि उसमें काम करने वाली कंपनियां अपने कोर ऑपरेशन खुद करती हैं.

कई चुनौतियों का करना पड़ा सामना

मीक्रो ग्राफियो की राह में बहुत सारी चुनौतियां भी आईं. जब किसी कंपनी से छोटी जगह पर ऑफिस सेटअप करने को कहा जाता था, तो उसका यही कहना होता था कि आखिर वहां सपोर्ट कैसे मिलेगा? अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा, टैलेंट को हायर कैसे करेंगे? ऐसे में उन क्लाइंट्स को समझाने में भी बहुत सारा समय लगा, लेकिन नतीजे बेहतर मिले. उन्हें इस बात के लिए मनाया कि टैलेंट को हायर करना उनका काम होगा, जो बेहतर काम करेंगे, लेकिन अंग्रेजी बोल सकें ये जरूरी नहीं. धीरे-धीरे क्लाइंट्स समझने लगे और बिजनेस बढ़ता चला गया.

शुरुआती 6 महीने इस बिजनेस के लिए काफी कठिन थे और ये वक्त लोगों को समझाने में ही निकल गया. कोरोना भी था और वैक्सिनेशन पूरी तरह नहीं हुआ था. अप्रैल 2022 में अच्छा मौका मिला और बिजनेस चल निकला. छोटी जगहों में सोशल सिक्योरिटी होती है, लोगों के परिवार वहीं हैं, उनके दोस्त वहीं हैं. इनकी वजह से ग्रोथ तेजी से हो रही है.

Mikro Grafeio

भविष्य की क्या है प्लानिंग?

आने वाले दिनों में ये कंपनी नागपुर और पुणे जाने पर फोकस कर रही है. कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में पहले से ही तगड़ी पकड़ है. आने वाले दिनों में कंपनी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तक भी पहुंच जाएगी. अगले साल ये कंपनी देश के बाकी राज्यों तक भी पहुंचने की योजना बना रही है. मौजूदा वक्त में कंपनी की उपस्थिति दक्षिण भारत में है और आने वाले दिनों में यह कंपनी महाराष्ट्र तक अपनी सेवाएं शुरू करने की योजना बना रही है.

अभी ये कंपनी भारत के 22 शहरों में हैं. इसके पास करीब 55 क्लाउंट हैं. दिल्ली-मुबंई में भी एक-एक ऑफिस है, लेकिन कंपनी का असली फोकस छोटी जगहों पर है. कंपनी को उम्मीद है कि 2024 तक ये बिजनेस 44 शहरों तक पहुंच जाएगा. इसकी वजह से अगले 5 सालों में इन छोटे शहरों में करीब 5 लाख नौकरियां पैदा हो सकेंगी.

बिजनेस बढ़ाने के लिए जुटाएंगे फंडिंग

इस बिजनेस की शुरुआत को एक बूटस्ट्रैप्ड कंपनी की तरह हुई थी, लेकिन अक्टूबर-नवंबर 2021 में एंजेल राउंड के तहत करीब 1.1 मिलियन डॉलर जुटाए. जल्द ही ये कंपनी अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए और फंड जुटाने की सोच रही है. इससे कंपनी बिजनेस का विस्तार करेगी. कंपनी भारत के अन्य राज्यों के साथ-साथ ग्लोबल मार्केट पर भी फोकस करना चाहती है.