“कंपनी में काम की बेहतर संस्कृति बनाए बिना उसे सीरीज ए, बी, सी में लाना संभव नहीं”
“हम कहते तो ज़रूर हैं कि हमें उन लोगों पर भरोसा है जो हमारी कंपनी में काम करते हैं, लेकिन क्या सच में ऐसा है? शायद नहीं। जिस दिन हम अपने लोगों पर भरोसा करने लगेंगे, हमारी कंपनी की स्थिति बेहतर होने लगेंगी। वजह साफ है वो लोग कंपनी को अपना समझने लगेंगे।” वाकई यही किसी भी कंपनी की तरक्की का सबसे बड़ा मंत्र है। सफलता के इस मंत्र को साझा किया इनमोबी के संस्थापक और कंपनी के सीईओ नवीन तिवारी ने।
टेकस्पार्क 6 में कंपनियों में बेहतर कल्चर करने और दुनियाभर में कामयाबी के झंडे गाड़ने के बारे में बात करते हुए नवीन तिवारी ने अहम बातें की। नवीन ने बताया कि जब इनमोबी छोटी कंपनी थी तो उन्होंने कई गलतियां की।
“असल में होता ये है कि कंपनी में काम करने वाला हर आदमी स्वतंत्र रहकर जीवन जीना चाहता है। सच भी तो है हम स्कूल में नहीं हैं। हम वयस्क लोगों के साथ काम कर रहे है। अगर हम सार्थक काम करना चाहते हैं तो हमें अपने लोगों से भी सार्थक काम करवाना होगा। इसमें ध्यान रखना होगा कि हम अपने लोगों को संसाधन के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना होगा।”
नवीन तिवारी ने माना कि जैसे ही उन्हें ये बातें समझ में आईं, उन्हें लगा कि वाकई ऐसी छोटी बातों में ध्यान देना समय और मेहनत दोनों को ज़ाया करने जैसा है।
आज़ाद वर्क कल्चर का बेजा इस्तेमाल कम होता है
नवीन तिवारी का मानना है कि जैसे ही उन्होंने अपनी कंपनी का वर्क कल्चर बदला उसका फायदा एकदम से दिखने लगा। आंकड़े कंपनी के फायदे में आने लगे। और तो और सबसे बड़ी बात यह दिखी कि लोग आज़ाद वर्क कल्चर का बेजा इस्तेमाल नहीं करते हैं। जबकि इससे पहले लोगों पर तमाम तरह अंकुश थे लेकिन लोगों का रवैया इससे बिलकुल इतर था। नवीन ने माना कि अब सिर्फ एक फीसदी लोग ऐसे थे जो कंपनी में आज़ाद वर्क कल्चर का गलत इस्तेमाल कर रहे थे जो कि पहले की अपेक्षा बहुत कम था। इन हालात में लोग अपना उत्तरदायित्व समझने लगते हैं। और एक कंपनी के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता है-कंपनी का फायदा भी और कंपनी में माहौल भी अच्छा।
कस्तुरी तो खुद के पास है, बाहर ढूंढने की ज़रूरत नहीं
नवीन तिवारी ने बताया“कंपनी में अगर अच्छा वर्क कल्चर होगा तो काम करने वाले नौकरी नहीं छोड़ेंगे। सबकुछ भरोसा से जुड़ा है। अगर कंपनी में काम करने वालों को कंपनी पर भरोसा नहीं होगा तो कंपनी की तरक्की कभी नहीं हो सकती। ऐसे में ज़रूरी ये है कि पहले तो लोगों में कंपनी के प्रति भरोसा दिलाओ उसके दूसरा ये कि जो नए लोगों की भर्ती की बारी आए तो अंदरुनी भर्ती (इंटरनल हायरिंग) सिस्टम को बढ़ावा दो।”
नवीन का कहना है
“इसका सबसे फायदा यह भी होता है कि जब आप की कंपनी में लोग एक पद से दूसरे पद पर जाते हैं तो एक तो वो दूसरी चीज़ें भी सीखते हैं और दूसरा ये कि उनके अंदर कंपनी के प्रति विश्वास और अटूट होता है।”
कहते हैं हर बड़ी चीज़ की शुरुआत एक छोटे कदम से ही होती है। लेकिन उसके लिए ज़रूरी है कदम उठाने की। अगर फैसले नहीं लिए जाएंगे तो पता कैसे चलेगा कि उसका फायदा कितना है और उसका नुकसान कितना। नवीन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “जब आप एक कंपनी बनाते हैं तो आप उसी समय सोचना होगा कि इसका दायरा कितना बड़ा या छोटा होगा। क्या आपने कम लोगों को ध्यान में रखकर अपना काम शुरू किया है? या फिर आपकी नज़र में पूरा देश है या उससे भी बढ़कर दुनिया। अगर बड़ा काम करना है तो याद रखना होगा कि उसके लिए वर्क कल्चर बेहतर रखना होगा। तभी ये सपना पूरा होगा। इसलिए ज़रूरी है कि जब आपकी कंपनी छोटी है उसी समय से वर्क कल्चर पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है।”
सौ बात की एक बात, कंपनी को अगर बेहतर बनाना है तो कंपनी के संस्थापक को बेहतर वर्क कल्चर बनाने के लिए समय देना होगा। सिर्फ निवेशकों को पकड़ना काफी नहीं है बल्कि उसके साथ ही ज़रूरी है कंपनी में भरपूर समय देना। “अगर कंपनी को सीरीज ए, बी, सी से ऊपर बनाना है तो याद रखें कि उसके लिए कंपनी में काम के लिए बेहतर संस्कृति बनाना ही होगा। इसके लिए ह्यूमन रिसोर्स आउटसोर्स बिलकुल नहीं करें। खुद समझें और लोगों को अपनी समझ का हिस्सा बनाएं।”