समर में कैसे करें आंखों की खास केयर, बता रही हैं डॉ. रितिका
हम मौसम और फैशन के मुताबिक आंखों को स्टाइलिश बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करने के चक्कर में आंखों की चमक धुंधली हो सकती है।
किसी भी मौसम का आना और जाना सबसे पहले आखों को ही प्रभावित करता है। तपती गर्मी व धूप से शरीर के कई अंगों पर मौसम की मार पड़ती है जैसे त्वचा, बाल आदि। तो भला इस कतार में आंखें कैसे पीछे रह सकती हैं?
आंखें तो चेहरे का वो आइना होती हैं जो हमारे अस्तित्व को बयां करती हैं। हम मौसम और फैशन के मुताबिक आंखों को स्टाइलिश बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करने के चक्कर में आंखों की चमक धुंधली हो सकती है। चूंकि गर्मी का असर शरीर के बाकी हिस्सों के साथ आंखों पर भी असर डालता है। इसका बचाव करना बेहद जरूरी है। किसी भी मौसम का आना और जाना सबसे पहले आखों को ही प्रभावित करता है। तपती गर्मी व धूप से शरीर के कई अंगों पर मौसम की मार पड़ती है जैसे त्वचा, बाल आदि। तो भला इस कतार में आंखें कैसे पीछे रह सकती हैं? आंखों की कई बीमारियां जैसे लू, सूजी और थकी लाल आंखें, शुष्क आंखें, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम आदि अधिक देखने को मिलती है। सेंटर फॉर साइट.
नई दिल्ली की एडिशनल डायरेक्टर डॉ. रितिका सचदेव आपको कुछ ऐसी ही टिप्स देने जा रही हैं, जिनसे आप अपनी आंखों की देखभाल आसानी से कर सकते हैं।
क्या हो सकती है परेशानियां
गर्मियों में बढ़ते हुए प्रदूषण तथा कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने की वजह से शुष्क आंखों की परेशानी बढऩे लगती है। इस समस्या के दौरान आंखों में खुजली या जलन होने लगती है। आंखें प्राय: कीचड़ से भर जाया करती हैं। इसी तरह अपने काम के सिलसिले में प्रदूषित क्षेत्रों से प्रतिदिन गुजरने वालों के बीच भी एलर्जी की समस्या और शुष्क आंखों के लक्षण आम हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की वजह से आंखों की समस्याएं और बढ़ जाती हैं। वातावरण का प्रदूषण आंसुओं की इस कोमल परत को नुकसान पहुंचाती है। जिसके परिणामस्वरूप वह बहुत ही असंतुलित हो जाती है।
हो सकता है खतरनाक
कंजक्टिवाइटिस जो कि गर्मियों में सबसे आम बीमारी होती है, इसके दौरान आंखें सूज जाती हैं। इनमें बराबर दर्द बना रहता है और आंखों से पानी आता रहता है। आंखों की यह सब संक्रमण सबंधित समस्याएं बहुत ही तेजी से आसपास के लोगों तक पहुंच जाती हैं। एक दूसरे को छूने, आंखों में देखने से ही यह संक्रमण किसी को भी दुष्प्रभावित कर सकता है। मोतियाबिंद भी गर्मियों में अक्सर लोगों को परेशान करता है।
खास टिप्स:-
कडकड़ाती धूप में अल्ट्रावायलट किरणें आपकी आंखों पर सीधे तौर से प्रहार करती हैं। इसीलिए धूप में जाते समय छतरी का उपयोग करें।
ज्यादा धूप पर बाहर न रहें। अगर जाना जरूरी हो तो सन ग्लासेस लगाना न भूलें। आठ घंटे की नींद अवश्य लें, वरना आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हो जाते हैं।
मुलायम और खूबसूरत त्वचा के साथ ही उचित यूवी संरक्षण प्राप्त करने के लिए उच्च एसपीएफ मॉइस्चराइजर(30 से 50) या फाउंडेशन का प्रयोग करें।
अक्सर आइलाइनर गर्मी और उमस में बहुत आसानी से दाग छोड़ जाती है। इसलिए पेंसिल या तरल लाइनर के बजाय आखों के लिए पाउडर आइज शेडों का प्रयोग करें। यदि आप पुल या बीच पर जा रहे है तो लाइनर ना लगाएं।
गर्म व नम जगह की तुलना में अपने कॉस्मेटिक को ठंडी और ड्राई जगह पर रखें। अपने आइज ब्रश मेकअप को नियमित रूप से स्प्रे या हल्के प्राकृतिक शै पु से अवश्य साफ करें।
अगर आप मसकारा पहनना चाहते है तो सुनिश्चित वॉटरप्रुप फॉ युला का प्रयोग करें। चमकीले काले रंग की जगह भूरे काले रंग और वो भी केवल एक कोट का प्रयोग करें। इस गर्मी एक नचुरल लुक के लिए केवल अपने शीर्ष पलकों पर ही मसकारा का प्रयोग करें।
पसीना, गर्मी और नमी के कारण आइज शेडों में चुन्नट और पिघलने लगती है। लाइट आइज शेडों कलर चुनें जो आपके स्कीन टोन के करीब हो। धूप के चश्में आपको केवल धूप से ही नहीं बल्कि धुएं और गंदगी से होने वाली एलर्जी से भी बचाते हैं। ध्यान रखें कि अपने आखों के मेकअप का सामान किसी के साथ न बांटे। खाने में हरी सब्जियां जैसे पालक, गाजर, बथुआ, सरसों, अंकुरित अनाज आदि का इस्तेमाल बढ़ाएं।
दिन में कम से कम दो लीटर पानी पीएं ताकि आप के शरीर की गंदगी बाहर निकले और नमी बनी रहे जो कि आंखों के लिए भी जरूरी है। अगर आप पावर लेंस लगाते हैं तो भी आप को धुपी चश्मा पहनना होगा ताकि अल्ट्रावायलट किरणें आंखों को नुकसान न पहुंचा सकें। हमेशा ऐसा धूपी चश्मा पहनें जो कि आप की आंखों को अल्ट्रावायलट किरणों से बचा सके।
आंखों पर दिन में कई बार ठंडे पानी की छींटें मारें। आंखों पर खीरे के टुकड़े, रुई के फाहे में गुलाबजल डालकर आंखों पर रखें। इससे आंखों को ताजगी मिलेगी।
आंखों के मेकअप के लिए सबसे पहले आईब्रो की शेप ठीक करवाएं। आई ब्रो की शेप अपने माथे और चेहरे की शेप के अनुसार बनावाएं। आंखों को आकर्षक बनाने के लिए आईशैडी का प्रयोग करें। आई शैडो लगाने से पूर्व आईशैडो प्राइमर लगाएं। इससे आईशैडी अधिक समय तक टिका रहेगा। आईशैडो अधिक शिमर या ग्लिटर वाला प्रयोग न करें। इसके प्रयोग से गॉडी लुक आती है। सेमी मैट या मैट आई शैडो का प्रयोग करें।
रात्रि के समारोह में जाना हो तो हल्का सा शिमर लगा सकते हैं। आई शैडो फेस मेकअप से पहले ही प्रयोग कर लें तो बेहतर होगा नहीं तो आई शैडो के कुछ पार्किल्स चेहरे पर गिर जाते हैं और कभी-कभी रंग चेहरे पर रह जाता है। ऐसे में कंसीलर और फाउंडेशन की मदद से चेहरे का मेकअप ठीक कर लें। बेस्ट ऑप्शन होता है पहले आंखों का मेकअप फिर चेहरे का मेकअप करें।
क्रीम बेस या वाटरप्रुप मस्कारा का प्रयोग करें ताकि फैले नहीं। अगर आई लैशेज बहुत छोटी या पतली है तो आर्टिफिशल आई लैशेज को प्रयोग में लाएं। खरीदते समय उनके कलर पर विशेष ध्यान दें कि वो आईब्रोज के रंग से मैच करती हों।
अगर आप दिन के समारोह में जा रहे हैं तो आंखों का मेकअप लाइट रखें। आई मेकअप आप स्वयं तभी करें जब आपको उसका प्रॉपर प्रयोग करना आता हो नहीं तो मदद लेकर ही करें।
इस प्रकार अपनी आंखों के प्रति थोड़ी सी सजगता बरतने से आंखों को होने वाली परेशानियों से बचाया जा सकता है। थोड़ी सी सावधानी जीवन के सबसे अनमोल उपहार को खोने से बचा सकती है। अत: अपनी इस अनमोल देन को खोने ना दें। इसलिए सावधान रहें और आंखों पर विशेष ध्यान दें।
सावधानी
हालांकि विशेषज्ञ यह दावा करते हैं कि इस प्रक्रिया का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि सरेस और कृत्रिम बालों के कारण स्क्रेेचेज पड़ सकते हैं, इसलिए डॉक्टरों से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
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