वजन घटाने वालों के लिए खुशखबरी, 'ट्रूवेट' का दावा, 'सुपरफूड' खाएं खुद जान जाएं
भारत में वजन घटाने के नाम पर चल रहे गोरखधंधे से लोगों को बचाना चाहते हैं विष्णु सर्राफ और मेघा मोरेट्रूवेट का दावा, सुपरफूड किट वजन कम करने में सहायकबीते 18 महीनों में 10 गुना से अधिक वृद्धि के साथ 1 हजार से अधिक उपभोक्ता बनाने में रहे हैं सफलजल्द ही मोबाइल एप्लीकेशन लाकर बाजार पर छा जाने का रखते हैं इरादा
(अपडेट) योरस्टोरी द्वारा की गई कवरेज के एक सप्ताह बाद ही ‘ट्रूवेट’ ने कलारी कैपिटल द्वारा का निवेश पाने में सफलता प्राप्त की है। पहले दौर के बाद कलारी के बोर्ड सदस्यों में से राजेश राजू और मंदार दांडेकर ‘ट्रूवेट’ में शामिल हो गए हैं।
कंपनी इस धन का उपयोग एक प्रौद्योगिकी टीम के निर्माण में करने के अलावा वजन घटाने और फिटनेस की दिशा में एक समाधान पेश करने के लिये एक मोबाइल एप्लीकेशन के विकास में करने की योजना है। ‘ट्रूवेट’ की सह-संस्थापक मेघा मोरे कहती हैं, ‘‘इसके अलावा हम 10 नए खाद्य पदार्थों के अनुसंधान और विकास के क्रम में अग्रिम कार्यवाही की ओर बढ़ेंगे और बैंगलोर और चेन्नई में अपने आहार केंद्रों का विस्तार करेंगे।’’
भारत में बीते पांच वर्षों में फिटनेस और लोगों को पतला करने का व्यापार दिन दोगुनी रात चौगुनी गति से आगे बढ़ा है। एक तरफ जहां स्वास्थ्य सेवाओं ने इस खंड के लगभग आधे से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है वहीं दूसरी तरफ वजन कम करने वाले उत्पादों की बिक्री में बीते एक वर्ष के दौरान ही 35 से 40 प्रतिशत की दर से अधिक से वृद्धि हुई है। इस वृद्धि का मुख्य कारक वे शहरी उपभोक्ता रहे हैं जो दुबले दिखने और स्वस्थ रहने पर अधिक जोर दे रहे हैं।जैसे-जैसे लोगों के बीच खुद को स्वस्थ दिखाने की होड़ बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे ही भारत में वजन घटाने के कारोबार से जुड़े बाजार में नित नये उत्पादों और सेवाओं का उद्गम हो रहा है। लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से अधिकतर मौजूदा उत्पाद लाभकारी न होकर सिर्फ शाॅर्टकट ही हैं। जहां इनमें से कुछ सौना बेल्ट बेच रहे हैं तो कुछ वजन घटाने की मशीन और गोलियों से जनता को रूबरू करवाने के अलावा पेय पदार्थ भी उन्हें बेच रहे हैं।
इनमें से कुछ भी लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता और अंत में वे खुद को ठगा हुआ सा महसूस कहते हुए निराश होते हैं। अगर आप वैश्विक स्तर पर वजन घटाने के बाजार पर नजर डालें तो यह मुख्यतः स्वस्थ आहार के विचार पर टिका है। दुनियाभर में शाॅर्टकट और जन घटाने के नामपर चालबाजियां बहुत कम प्रचलन में हैं लेकिन भारत में चलन दुनिया से बिल्कुल उलट है।
वजन घटाने के क्षेत्र में विश्वसनीय मंचों की कमी ने विष्णु सर्राफ और मेघा मोरे को ‘ट्रूवेट’ शुरू करने की प्रेरणा दी। ‘‘‘ट्रूवेट’ को शुरू करने के पीछे हमारा सिर्फ एक ही मकसद रहा है, ‘कोई झूठ बोले बिना ईमानदारी से वजन घटाना।’ ‘ट्रूवेट’ का पूरा ध्यान सिर्फ स्वस्थ भोजन पर रहता है न कि किसी भी प्रकार की मशीन, बेल्ट या गोलियों पर।’’
‘ट्रूवेट’ की नींव डालने से पहले यह जोड़ी महिलाओं के लिये ‘आईडेंटिटी’ के नाम से एक फिटनेस सेंटर का संचालन करती थी। इनका यह फिटनेस सेंटर वैश्विक स्तर पर महिलाओं के लिये मान्यता प्राप्त कसरतों के एक माॅडल पर आधारित था। कुद वर्षों के सफल संचालन के बाद इनके समझ में आया कि अधिकतर लोग फिटनेस सेंटर में फिट रहने के लिये न आकर सिर्फ अपना वजन कम करने की उम्मीद में आते हैं।
‘ट्रूवेट’ की सह-संस्थापक मेघा कहती हैं, ‘‘आईडेंटिटी में लगातार आने वाली महिलाओं में से 90 प्रतिशत मुख्यतः सिर्फ अपना वजन कम करने के लिये कसरत करने आ रही थीं। लेकिन कुछ व्यवसायिक कारणों के चलते इस प्रकार के जिमों को वजन कम करने वाला क्लब न कहकर फिटनेस क्लब कहकर पुकारा जाता है। वजन घटाने में या काबू में रखने में कसरत का सिर्फ 20 प्रतिशत ही योगदान होता है। तो इसका साफ मतलब है कि हम सिर्फ 20 प्रतिशत समाधान ही अपने उपभोक्ताओं के सामने पेश कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि फिर यह बाकी का 80 प्रतिशत क्या है? जवाब है भोजन।’’
और यही इसके संस्थापकों के लिये जीवन बदलने वाला क्षण था। ‘ट्रूवेट’ अपने उपभोक्ताओं को सुपरफूड उपलब्ध करवाने के अलावा विभिन्न खाद्य पदार्थों से रूबरू करवाता है।
विष्णु आईआईएम अहमदाबाद और दिल्ली के प्रसिद्ध श्रीराम कामर्स काॅलेज के पूर्व छात्र हैं। इसके अलावा वे मैक्किंसे, लंदन के डच बैंक और कोटक इंवेंस्टमेंट बैंक के साथ काम कर चुके हैं। इसके अलावा वे भारत और चीन के ऊपर एक पुस्तक भी लिख चुके हैं जिसे मैकमिलान ने प्रकाशित किया था।
मेघा ने दिल्ली के लेडी श्रीराम काॅलेज से स्नातक करने के बाद गुड़गांव के एमडीआई से एमबीए कर चुकी हैं। वह स्कूली दिनों से लेकर लेडी श्रीराम काॅलेज और एमडीआई के दिनों तक लगातार अपने राज्य की टाॅपर रही हैं। वे भी गोल्डमैन सैचस और मैक्किंसे के साथ कुछ समय बिता चुकी हैं।
अब आपको सुपरफूड के बारे में बताते हैं। वर्तमान समय में सुपरफूड मुख्यतः स्वास्थ्य और सेहत के लिये कथित तौर पर लाभकरी पोषक तत्वों के रूप में परिभाषित किया जा रहा है। ‘‘अपने शोध के दौरान हमने पाया कि कई सुपरफूड स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद हैं लेकिन उनकी जानकारी और उपलब्धता की कमी के चलते हम अपने देनिक जीवन में उनका उपभोग नहीं कर पाते हैं।’’
नासा के अनुसार 1 ग्राम स्पिरुलीना 1 किलो मिश्रित सब्जियों के बराबर है। इनके खाद्य पदार्थ ऐसे ही 25 से अधिक सुपरफूड से निर्मित होते हैं जिनमें मुख्यतः जौ घास, अल्फाल्फा घास, बबूल की गोंद, जड़ी-बूटियां और फाॅक्सटेल मिलट शामिल हैं।
अपनी सुपरफूड किट के रूप में प्रत्येक उपभोक्ता को एक सुपर जूस, सुपर फाइबर और सुपर ग्रीन जैसे सुपरफूड से सुसज्जित किया जाता है। विष्णु कहते हैं, ‘‘इसमें स्वस्थ अल्पाहार की 7 से 8 किस्मों के अलावा तीन किस्म के सूप, दो किस्म के आटे और 3 से 4 नाश्ते में प्रयोग होने वाले खाद्य पदार्थ होत हैं। हमनें काफी अनुसंधान के बाद ही यह किट विकसित की है। इस सुपरफूड किट के पीछे का मुख्य विचार आपकी वजन कम करने की यात्रा को सुगन और सुविधाजनक रूप से आसान करना है।’’
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘ट्रूवेट’ अपने उपभोक्ताओं को वजन घटाने के नाम पर सिर्फ एक शेक के सहारे या एक कटोरे काॅर्नफ्लेक्स के सहारे दिन गुजारने पर यकीन नहीं करता है। यह आपको सबकुछ और कुछ भी खाने की आजादी देने के अलावा अधिकतर भोज्य पदार्थों का एक स्वस्थ संस्करण उपलब्ध करवाता है। आपको एक नियमित डोसा परोसने के स्थान पर इनका दावा है कि ये आपको उससे 50 प्रतिशत अधिक प्रोटीनयुक्त रूपांतर परोसते हैं।
इनके उत्पाद पूरे देश से इकट्ठे किये जाते हैं जो जोधपुर से लेकर सोनावाला और सूरत से लेकर कोलकाता तक से आते हैं। 2013 में अपने उद्गम के बाद से इस कंपनी से बीते 18 महीनों में 10 गुना से अधिक की तेजी से तरक्की की है फिलहाल इसके एक हजार से अधिक सक्रिय उपभोक्ता हैं।
वर्तमान में कंपनी का औसत मासिक कारोबार 50 लाख रुपये से अधिक का है और ये आने वाले वर्ष में पूरे देश में प्रसार की योजना पर काम कर रहे हैं।
वजन कम करने की इच्छा लेकर इनके साथ जुड़ने वाले उपभोक्ता अपने कार्यक्रम के रूप में इनसे तीन चीजें पाते हैं। पहला है साप्ताहिक आधार पर अनुकूलित पोषण योजना, दूसरा है एक सुपरफूड किट जिसमें प्रतिमाह 12 से 20 खाद्य पदार्थ दिये जाते हैं और तीसरा है सलाह जिसमें 30 आहार विज्ञानियों द्वारा विशेष रूप से तैयार किये गए डाइट प्लान के अलावा ऐसे भोजन की सूची होती है जो उन उपभोक्ताओं के लिये वजन घटाने में कारगर हो।
‘ट्रूवेट’ जल्द ही अपनी मोबाइल एप्लीकेशन के साथ बाजार में आने वाला है जिसकी सहायता से वह उपभोक्ताओं के डाइट चार्ट को उनकी रुचि के अनुसार तैयार करने में सफल रहेगा। इसके उपयोग के लिये उपभोक्ता को प्रतिमाह करीब 9 हजार रुपये और तिमाही आधार पर करीब 18 हजार रुपये अदा करने होंगे।
तकनीक और प्रौद्योगिकी बहुत तेजी से स्वास्थ्य उद्योग के कामकाज के तरीकों पर हावी हो रही है। उपभोक्तावाद में हो रही वृद्धि के चलते और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती चेतना की वजह से कई दशकों तक जंकफूउ के चंगुल में फंसे भारतीय उपभोक्ता अब स्वस्थ और पौष्टिक खाने की अहमियत को समझने लगे हैं। ऐसे में ‘ट्रूवेट’ अपने दृष्टिकोण, ग्राहक आधार और राजस्व के आधार पर जल्द ही बाजार में छाने की तैयारी में औरों से कहीं आगे दिख रहा है।
जैसा कि हमने प्रारंभ में ही उल्लेख किया है, वजन घटाने का दावा करने वाले अधिकतर समाधान केंद्र उत्पाद पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जगह सिर्फ ग्राहकों को अपनी ओर खींचने की चाल से अधिक कुछ नही प्रतीत होते हैं।