मधुर संगीत सुनाकर घायल और दृष्टिहीन विकलांग हाथियों की देखभाल करने वाला कलाकार पॉल बाॅर्टन
कहानी एक ऐसे कलाकार की है, जो कुछ महीने बिताने के लिए थाईलैंड आता है, लेकिन यहाँ उसकी मुलाकात अपनी प्रेयसी से होती है, जो प्राणियों से भी प्रेम करती है और फिर इस जोड़े का प्राणी प्रेम नया रंग लाता है। एक ऐसा रंग, जो इस ब्रिटिश पियानोवादक ने कभी नहीं सोचा था। इन्सानों से बहुत नज़दीकी रखने वाले हाथियों को संगीत सुनाने का रंग। उनके पुनर्वास को नयी दिशा देने का रंग। बीते दो दशकों से थाईलैंड में रहकर हाथियों के पुनर्वास में लगे पॉल ने क्वई नदी के किनारे अभ्यारण्य Elephant's World में दृष्टिहीन हाथियों को संगीत के जादू का वह आभास दिलाया कि वर्षों से जंगलकटाई के सौदागरों के हाथों सताये गये हाथियों को एक दोस्त मिल गया, वह दोस्त जो 1996 से उनके साथ है। जगंगल कटाई पर प्रतिबंध के बाद दृष्टिहीन और विकलांग हाथियों की सेवा में जीवन गुज़ार रहे हैं पॉल की कहानी।
थाईलैंड में पाये जाने वाली सागौन या टीक की लकड़ी समूचे विश्व में एक बेहतरीन स्थान रखती है और एक कड़वी हकीकत यह है कि सिर्फ इसकी वजह से ही इस देश का वन क्षेत्र जो पहले 61 प्रतिशत था 20वीं शताब्दी में 34 प्रतिशत तक आ सिमटा। 1975 से 1986 के 10 वर्षों के दौरान ही थाईलैंड ने अपने शेष बचे हुए वनों के 28 प्रतिशत भाग को भी गंवा दिया। इन खतरनाक आंकड़ों के सामने आने के बाद आखिरकार थाई सरकार की आंखें खुलीं और वर्ष 1989 में उसने लकड़ी की वाणिज्यिक कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया।
वनों के इस सामूहिक संहार के सबसे बड़े शिकार वे सौम्य और शांत निवासी हुए जो इन जंगलों में सदियों से निवास करते हुए अपनी आबादी को बढ़ा रहे थे। इनकी स्वतंत्रता को छीनते हुए इन जंगलों के मूल निवासी इन हाथियों को लकड़ी के भारी और बड़े लट्ठों को जंगल के बीच से लाने-ले जाने के काम में लगा दिया गया और इनके साथ कभी न खत्म होने वाला अमानवीय व्यवहार किया जाने लगा। लकड़ी के इन लट्ठों को अपनी सूंड में उठाकर जंगल पार करने के दौरान टहनियां और शाखाएं इनकी आंखों को बुरी तरह जख्मी कर देतीं और कई बार तो इनका पूरा शरीर खून से लथपथ हो जाता।
वनों में कटाई पर प्रतिबंध लगने के बाद ये हाथी, जिनमें से अधिकतर अपने ‘रोजगार’ के दिनों में काम के दौरान चोट लगने की वजह से अपनी आंखों की रोशनी खो चुके थे, अब ‘बेरोजगार’ हो गए थे और इन्हें अपने दम पर जीवित रहने का कोई तरीका नहीं मालूम था क्योंकि ये शुरू से ही भोजन इत्यादि के लिये अपने मालिक पर निर्भर रहे थे।
बेहद बुरी हालत में जीवन गुजार रहे इन हाथियों को एक शांतिपूर्ण और बेहतर स्थान मुहैया करवाने के उद्देश्य से क्वई नदी के किनारे ‘अभ्यारण्य का स्वर्ग’ कहे जाने वाले Elephant's World की स्थापना की गई जो पूरी तरह से मिलने वाले चंदे और दान से संचालित होता है। एक जाने-माने ब्रिटिश पियानोवादक पाॅल बाॅर्टन 1996 में जोखिम भरे अनुभव की तलाश में थाईलैंड आए। इसके उलट यहाँ उन्हें प्रेम और जीवन का एक नया रास्ता मिला। वे और उनकी पत्नी बीते दो दशकों से इन हाथियों के पुनर्वास के काम में लगे हुए हैं। हाल ही में अपने पचासवें जनमदिन के अवसर पर बाॅर्टन ने इन दृष्टिहीन हाथियों के लिए संगीत की प्रस्तुति देने का अपना वर्षों पुराना सपना पूरा करने का निर्णय लिया। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें अपना पियानो इन हाथियों के आमतौर पर जमा होने वाली पहाड़ी तक ले जाना पड़ा। हालांकि इसके पीछे उनका मुख्य मकसद कुछ चंदा इकट्ठा करना था, लेकिन उनका एक निजी मकसद भी था जो बेहद प्रेरणादायक और दिल को छूने वाला है। पेश हैं पाॅल बाॅर्टन से हुई बातचीत के कुछ अंशः
आपने संगीत की दुनिया में कब और कैसे कदम रखा?
मैं एक पेशेवर कलाकार हूँ और मैंने 12 वर्ष की उम्र में ही पियानो बजाना सीख लिया था। मैं अपने पिता के साथ उत्तरी इंग्लैंड के एक छोटे से शहर में संगीत की प्रस्तुति देता था। मैं अपनी पूरी जिंदगी में संगीत के साथ ही जिया हूँ। इसके अलावा मैं चित्रकला से बेहद प्रेम करता हूँ। मेरे पिता भी एक कलाकार थे और उन्होंने ही मुझे चित्रकला के गुर सिखाए। मैं 16 वर्ष की उम्र में चित्रकला सीखने के लिए लंदन के प्रतिष्ठित राॅयल एकेडमी आॅफ आर्टस में शामिल हुआ।
आप थाईलैंड कब आए? यहां आने के बाद आप जानवरों के संरक्षण के कार्य में कैसे रम गए?
मैं वर्ष 1996 में थाई पियानो स्कूल में शिक्षण के कार्य के लिए आया था। मुझे लगा था कि यह मुझे हमेशा से अपनी तरफ आकर्षित करने वाले एशिया महाद्वीप में 3 महीने का समय बिताने का एक शानदार अवसर होगा। लेकिन उसी दौरान मेरी मुलाकात अपनी होने वाली पत्नी से हुई और मैं यहीं का होकर रह गया। अब हमारी शादी को 18 शानदार साल हो गए हैं। मेरी पत्नी हमेशा से ही पशु संरक्षण के प्रति जागरुक और सक्रिय रही है और इस क्षेत्र में मेरी रुचि उनसे ही प्रभावित रही।
दृष्टिहीन हाथियों के लिए संगीत की प्रस्तुति देने का विचार आपके मन में कैसे आया?
शुक्र है कि कुछ वर्षों पहले थाईलैंड में वनों की कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन इसका एक विपरीत प्रभाव यह हुआ कि इसके बाद जंगलों में काम करने वाले हाथी और इनके महावत इस प्रतिबंध के बाद बेरोजगार हो गए और इसने एक बड़ी समस्या का रूप ले लिया। ऐसे में हाथियों के लिए कुछ नए अभ्यारण्यों को तैयार किया गया जिनमें से कंचनाबौरी में स्थापित ‘एलीफैंट्स वर्ल्ड’ भी एक है। इस अभ्यारण्य में मुख्यतः उन घायल और विकलांग हाथियों की देखभाल की जाती है जिनके पास कोई और आसरा ही नहीं होता है। इसके द्वारा हम उन्हें क्वई नदी के किनारे जीवन बिताने की आजादी देते हैं ताकि उन्हें दोबारा अपने जीवन में फिर कोई काम न करना पड़े।
एक मादा हाथी प्लारा जंगलों में लकड़ी ढोते समय लगातार आंखों में शाखाओं और टहनियों से लगने वाली खरोंचों के चलते दृष्टिहीन हो गई थी। उन्होंने उसके जंगल जो उसका प्राकृतिक निवास भी था को पूरी तरह नष्ट कर दिया था और फिर जब वह उनके किसी काम की नहीं रही तो उसे निकालकर मरने के लिये अकेला छोड़ दिया। मैं पूर्व में भी दृष्टिहीन बच्चों के साथ दो वर्षों तक काम कर चुका था और मैं उनके जीवन पर संगीत द्वारा पड़ने वाले प्रभावों को जानता था। इसी वजह से मैं संगीत के इस आजमाये हुए सिद्धांत को इन दृष्टिहीन हाथियों पर भी आजमाना चाहता था। खासकर यह मादा हाथी तो बेहद बृद्धिमान थी और मुझे पूरी उम्मीद थी कि यह मेरे संगीत को पसंद करेगी। मैंने इन्हें सुनवाने वाले संगीत के बारे में बहुत गहन विचार किया और फिर आखिर में बीथोवन पर आकर टिका। संगीत सुनने के बाद उनकी प्रतिक्रिया बेहद आश्चर्यजनक थी और यहीं से इस परियोजना की शुरुआत हुई।
संगीत सुनने के बाद उसकी प्रतिक्रिया कैसी थी?
हाथियों की खुराक बहुत अधिक होती है, आपकी सोच से भी ज्यादा। ऐसे में कई सारे हाथियों के लिये ढेर सारे भरपेट भोजन की व्यवस्था करनी एक टेढ़ी खीर है। जब एक हाथी खाना खाने पर आता है तो वह एक श्वान जैसा हो जाता है। एक श्वान अपने भोजन को जल्द से जल्द पेट में उतारने की कोशिश करता है, क्योंकि उसे पता नहीं होता है कि उसे दोबारा कब भरपेट खाने को मिलेगा और हाथियों की प्रवृति भी बहुत कुछ ऐसी ही होती है। अगर एक बार खाने के लिये मजेदार रसदार पत्तियां उनके हाथ लग जांए तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें उनसे दूर नहीं ले जा सकती है।
उस सुबह मैं अपना पियानो अभ्यारण्य में मुंह अंधेरे ही ले आया। प्लारा को बांस के स्वादिष्ट और रसदार पत्तों के बीच छोड़ दिया गया और उसने सबकुछ भूलकर अपना पूरा ध्यान उन्हें खाने में लगा दिया। जैसे ही मैंने बीथोवन बजाना शुरू किया उसने खाना रोक दिया। उसकी सूंड में एक आधी खायी हुई बांस की डंडी अटकी हुई थी और वह मुझे बेहद अजीब तरीके से घूर रही थी। ऐसी प्रतिक्रिया पहली बार देखने में आई थी कि एक हाथी ने संगीत के चलते अपना खाना रोक दिया हो।
अब आप बीते कई वर्षों से इन हाथियों के लिये संगीत बजा रहे हैं। मानव दर्शकों और इन विशाल चैपायों के बीच आपको क्या चीज सबसे समान लगती है?
संगीत सभी जानवरों को बेहद पसंद होता है चाहे वे कुत्ते हों, बिल्ली हों या अन्य जानवर। लेकिन समझबूझ के मामले में हाथी इंसान के सबसे अधिक समकक्ष होते हैं क्योंकि उनके और मनुष्य के दिमाग के न्यूराॅन एक जैसे ही होते हैं। इसके अलावा वे बेहतरीन याद्दाश्त के भी स्वामी होते हैं। अगर बचपन में कोई आपके साथ बेहद बुरा व्यवहार करे तो आप उसे ताउम्र याद रखते हैं। कुछ ऐसा ही हाथियों के साथ भी होता है। हाथियों के मस्तिष्क में भी मनुष्यों की तरह एक विशेष हिससा होता है जो उसे पुरानी यादों में ले जाता है। वे अपने जीवन में होने वाली बुरी बातों और बुरे बर्ताव को कभी नहीं भूलते हैं। आप एक हाथी को शास्त्रीय संगीत सुनवाएं, एक ऐसा संगीत जो मनुष्य सदियों से सुनता आ रहा है, जो दिल को छूने वाला और शांति देने वाला है, ऐसा संगीत जो शाश्वत है। और ऐसा संगीत आप एक दृष्टिहीन हाथी को सुनवाएं जिसने अपने जीवन में पहले कभी संगीत का आनंद ही न लिया हो, तो मिलने वाली प्रतिक्रिया बहुमूल्य होगी। आपके और हाथी के बीच एक खास रिश्ता होता है। आप उनके साथ एक विशेष भाषा में संवाद कर रहे होते हैं। एक ऐसी भाषा जो न उनकी होती है और न ही आपकी। बीथोवन के एक टुकड़े में अतिसूक्ष्म सा कुछ अद्भुत है जो मुझे उस हाथी से जुड़ने में मदद करता है और वह अनुभव एक दूसरी दुनिया का अनुभव होता है।
आपने खुद ही उस पहाड़ी पर पियानो ले जाने पर जोर दिया। आप 50 वर्ष के हैं और आप कमर संबंधी दिक्कतों से भी गुजर रहे हैं। इस कठिन चुनौती को लेने के पीछे आपका इरादा क्या था?
हाथी एक बेहद लंबे समय से इंसानों के साथ काम कर रहे हैं। उनका इस्तेमाल युद्धों में भी किया गया है और उन्हें उनके अपनी ही घरों को नष्ट करने में भी प्रयोग किया गया है। मुझे लगता है कि इस तरह से मैं अपनी प्रजाति द्वारा उनके साथ अबतक किये गए बुरे व्यवहार के लिये माफी मांग सकतर हूँ। इसके लिये मुझे इस भारी-भरकम चीज को अगर पहाड़ी तक भी ले जाना पड़े और जब हाथी अपने भोजन का आनंद ले रहे हों तो मैं उनके लिये संगीत बजाना चाहता हूँ।