6 करोड़ से शुरू स्टार्टअप की नज़र 60 करोड़ टर्नओवर पर
दो साल पहले ही 06 करोड़ रुपए के स्टार्टअप से प्लास्टिक की बोतलें रिसाइकिल कर टी-शर्ट बनाने वाली कंपनी एल्सिस स्पोर्ट्स का लक्ष्य अब अपना सालाना टर्नओवर 60 करोड़ रुपए कर लेने का है। फिलहाल, दिल्ली, हरियाणा, मुंबई, कोच्चि, जयपुर, गुवाहाटी, बेंगलुरु, गोवा आदि में इसके कुल 11 ब्रांड स्टोर्स ग्राहकों को रिझा रहे हैं।
स्टार्ट-अप कंपनियां ऐसे-ऐसे प्रॉडक्ट लेकर बाजार में उतर रही हैं कि उनका टर्नओवर दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से आसमान छूने लग रहा है। कई कंपनियों के लिए तो ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणवादी जागरूकता ही अच्छा-खासा बाजार लेकर आ गई है। नए उद्यमी रौशन बेद और रवीश नंदा की मात्र दो साल पुरानी ऐसी ही एक उदीयमान स्टार्ट अप कंपनी है एल्सिस स्पोर्ट्स (Alcis Sports), जिस पर ग्राहकों की शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। इतने कम समय में ही इसका टर्नओवर दोगुना हो चुका हैं।
अपने पहले वित्त वर्ष 2016-17 में जहां कंपनी का कारोबार छह करोड़ रुपये का रहा था, दूसरे वित्तीय सत्र 2017-18 में छलांग मारकर 24 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा और अब चालू वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी की नजर 60 करोड़ रुपये के टर्नओवर पर है। कंपनी सालाना सौ फीसदी से ज्यादा गति से प्रगति कर रही है। ब्रांड के इतने तेजी से प्रमोट होने की वजह किफायती कीमत और अच्छी क्वालिटी मानी जा रही है।
गर्मियों में स्टैनफोर्ड के वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कृत प्लास्टिक से बने किफायती रेशों की याद आना स्वाभाविक है, जिनसे तैयार कपड़े शरीर को अधिक ठंडक प्रदान कर सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि इस तरह के फैब्रिक वैसे कपड़ों के निर्माण में सहायक सिद्ध हो सकते हैं, जो जलवायु में उष्णता बढ़ने पर भी हमारे शरीर को ठंडा रखें। अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर यी कुई का कहना है कि लोग जहां रहते हैं या जहां काम करते हैं, उन परिसरों को ठंडा रखने के बजाय हम लोगों को ठंडा रखें तो इससे उर्जा की बचत होती है। सूती कपड़ों की तुलना में इसे पहनने वाला करीब चार डिग्री फारेनहाइट ठंडा महसूस कर सकता है।
फिलहाल, हम बात कर रहे हैं नवोदित कंपनी एल्सिस स्पोर्ट्स की, जिसके लॉन्च होने के मात्र दो महीनों के भीतर ही उसके वैशाली और जयपुर के एक्सक्लूसिव आउटलेट्स पर ग्राहकों की संख्या में रोजाना औसतन तीस फीसदी का इजाफा होने लगा। कंपनी अपने अलग-अलग सेलिंग प्लेटफॉर्म से देश के करीब सात सौ आउटलेट में हर महीने कम से कम चालीस हजार आइटम सेल कर ले रही है। कंपनी के खास पसंदीदा प्रॉडक्ट लाइफ स्टाइल, सुपर स्टॉप, सेंट्रल, ग्लोबस, स्पोर्ट स्टेशन नाम के बड़े स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट पर भी इन्हें खरीदा जा सकता है। नई दिल्ली, मुंबई, कोच्चि, जयपुर, गुवाहाटी, बेंगलुरु, गोवा, बागरू और कुरुक्षेत्र में इसके कुल ग्यारह एक्सक्लूसिव ब्रांड स्टोर्स ग्राहकों के पसंदीदा बने हुए हैं।
कंपनी के संस्थापक द्वय रौशन बेद और रवीश नंदा ने वर्ष 2016 में स्पोर्ट्स वियर स्टार्टअप शुरू किया था। वे चाहते थे कि उनका प्रॉडक्ट और से कुछ अलग और आकर्षक हो। कंपनी स्थापित हो जाने के बाद प्लास्टिक की बोतलों को रीसाइकिल कर उम्दा क्वालिटी पर किफायती कपड़े बनाने लगी। इस तरह के प्रॉडक्ट की अवधारणा के पीछे डाइरेक्टर्स का पर्यावरण संबंधी सामाजिक सरोकार भी रहा। घरेलू किस्म की कंपनी अब अलग-अलग कैटेगरी में रनिंग, ट्रेनिंग, योग, बर्फ पर खेले जाने वाले गेम्स आदि के स्पोर्ट्स वियर बना रही है। हर सेगमेंट के कपड़े खास एक्टिविटीज को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किए जाते हैं। फिलहाल कंपनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले प्रोडक्ट-'वंडर ट्री' और 'वंडर पोलो' हैं। क्रिकेटर शिखर धवन कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हैं।
गौरतलब है कि आज ज्यादातर लोग अपनी फिटनेस और हेल्थ को लेकर जागरूक हुए हैं। उधर बाजार का नेचर कुछ ऐसा है कि ऐसी कैटेगरी के उत्पादों के घटिया क्वालिटी में या तो बहुत महंगे अथवा बेहद सस्ते और सीमित विकल्प हैं। दूसरे, अच्छे स्पोर्ट्स वियर की मांग महानगरों, छोटे शहरों से होती हुई कस्बों तक के युवाओं में तेजी से बढ़ती जा रही है। कंपनी के 399 रुपये से लेकर 3,999 रुपये तक के अच्छी क्वालिटी के स्पोर्ट्स वियर किफायती दाम पर ग्राहकों को खूब रिझा रहे हैं। अब कंपनी निकट भविष्य में गारमेंट के 50 फीसदी रीसाइकिल पॉलिएस्टर से प्रॉडक्शन की तैयारी में है।
आमतौर से पॉलिएस्टर के टी-शर्ट बनाने में मानव निर्मित फाइबर, भारी मात्रा में पानी, केमिकल, जीवाश्म ईंधन, बाई-प्रोडक्ट जहरीले होने, उनके द्वारा हवा-पानी को दूषित कर स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों की वजह होने के कारण एल्सिस स्पोर्ट्स के सह-संस्थापकों ने R-PET (रीसाइकिल्ड पॉलीइथाइलीन टेरीफ्थलेट) का इस्तेमाल करने का फैसला किया, जो अपेक्षाकृत अधिक मजबूत और टिकाऊ होता है। आठ प्लास्टिक बोतलों से एक टी-शर्ट तैयार हो जाती है। प्रत्येक टी-शर्ट पर पचास फीसदी ऊर्जा और 27 लीटर पानी की बचत हो जाती है।