सब कुछ उजड़ जाने के बाद भी बसाई नई दुनिया 'सब रेंट करो डॉट कॉम' के राज शिवराजु की कहानी
आईटी क्षेत्र में कुछ दिन काम करने के बाद जमा पूँजी से शुरू की अपनी कंपनी... भारत से अमेरिका तक किया कारोबार का विस्तार, लेकिन...एक दिन सब कुछ बर्बाद हो गया....अमेरिका में आये तूफान ने सब कुछ छीन लिया.. और फिर से खड़ा होने के लिए की नौकरी..... फिर एक बार अपना स्टार्टअप लेकर हाज़िर हैं राज शिवराजु
नये व्यापार के नये प्रस्तावों के साथ मैदान में आने वाले व्यापारियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हैदराबाद के एक आईटी विशेषज्ञ ने एक नई वेबसाइट सब रेंट करो डॉट कॉम के साथ नए उद्यम में कदम रखा। इस वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति अपने घर या कार्यालय की कोई भी ऐसी चीज किराए पर दे सकता है, जो अपने काम में इस समय उपयोगी नहीं है।
हैदराबाद के राज शिवराजु ने मार्केट प्लेस आईटी सोल्यूशन के नाम से अपना नया सटार्टअप स्थापित किया है। इसी मंच पर उन्होंने सब रेंट करो कॉमर्स साइट शुरू की। इसके बारे में राजू ने योर स्टोरी को बताया कि इस क्षेत्र में काफी संभावनाएँ हैं। वह बताते हैं,
'' मैंने जब चीजों के सही उपयोग के बारे में सोचा तो लगा कि कई चीजें हम खरीदते तो हैं, लेकिन उपयोग ही नही कर पाते। क्यों न ऐसे लोगों को वह वस्तुएँ दी जाएँ, जिन्हें उनकी जरूरत है। यह वस्तुएँ उन्हें किराए पर दी जाएँ। इसी विचार ने इस नए कारोबार को जन्म दिया। ''
डेलॉईट कंपनी में 8 साल तक अपनी सेवाएँ प्रदान करने वाले राज शिवराजु हैदराबाद लिटिल फ्लावर स्कूल के छात्र रहे हैं। वह अपने परिवार से पहले आईटी स्नातक हैं। उन्होंने ई-कॉमर्स के क्षेत्र में सब रेंट करो नामक वेबसाइट शुरू की है। उन्होंने कहा कि सब रेंट करो अपनी तरह की नई सोच है। इस व्यापार ने छात्रों और गृहिणियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। उन्होंने बताया,
'' हमारे पास कई ऐसी वस्तुएँ होती हैं, जो उपयोगिता के बिना वे पड़ी-पड़ी खराब होती रहती है। ऐसे में अगर इसका इस्तेमाल भी हो और इससे आय भी हो तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है, उल्टे उसके पड़े पड़े उस पर होने वाले खर्च से बचा जा सकता है। ''
राज ने बताया कि कंप्यूटर, लैपटॉप, कैमरा, रेफ्रीजेटर, कार, मोटर साइकिल के अलावा कई सारी वस्तुएँ हैं, जिसे किराए पर दिया जा सकता है। वर्तमान में उनके साथ 8 हजार उत्पाद हैं। उनका सुझाव है कि पहले इस स्टार्टअप का वे देश के अन्य राज्यों में विस्तार कर रहे हैं, बाद में इसे दुनिया के अन्य देशों में भी फैलाया जाएगा। वर्तमान में कंपनी ने भारत के 10 बड़े शहरों में अपना जाल फैलाया है। उनका लक्ष्य है कि 2 साल में 3000 लोग कंपनी से रोज़गार प्राप्त कर सकेंगे।
राज के जीवन में नया स्टार्टअप आसान नहीं रहा है। उन्होंने अपने कारोबार की शुरुआत बहुत पहले की थी। एन आई आई टी में कुछ दिन तक काम करने के बाद उन्होंने 1994 के बाद जिओग्राफिक मैप कन्वर्शन में अपनी नई कंपनी की स्थापना की। व्यापार अच्छा चल निकला। इसे देखते हुए उन्होंने अपने पिता को भी नौकरी छोड़कर अपने साथ काम करने के लिए कहा, लेकिन एक दिन अचानक सब कुछ खत्म हो गया। इस घटना का उल्लेख करते हुए राज बताते हैं,
'' उस समय कंपनी में 400 लोग थे। अमेरिकी सरकार द्वारा उत्तरी अमेरिका में एक प्रोजेक्ट मिला। इसके लिए अपनी जमा पूँजी के साथ साथ मैं बैंक से भी ऋण लिया। काम पूरा होने को था, लेकिन पोर्त्रीका में बहुत बड़ा तूफान आया और सब कुछ कुछ ही सेकंड में समाप्त हो गया। समय 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इन हालात से मैंने हार नहीं मानी। जीवन फिर से शुरू करने के लिए नौकरी कर ली। ''
राज ने डेलॉईट में आठ साल तक काम किया। अब फिर उन्हें विचार आया कि आपकी कंपनी खोलनी चाहिए। वह बताते हैं, '' आज तो मेरा परिवार और दोस्त सब मेरे साथ हैं। सबने मुझे प्रेरित किया है। अब भविष्य के लिए मेरे पास कई सारे प्रस्ताव हैं। ''