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दादा जी की मौत के बाद 6 साल की बच्ची ने चलाई मुहिम, 11 साल की उम्र में हज़ारों की सिगरेट छुड़वाकर दी नई 'दिशा'

दादा जी की मौत के बाद 6 साल की बच्ची ने चलाई मुहिम, 11 साल की उम्र में हज़ारों की सिगरेट छुड़वाकर दी नई 'दिशा'

Thursday January 21, 2016 , 5 min Read


अगर समाज को नई दिशा दिखानें का जज्बा हो तो उम्र आड़े नहीं आती। ये साबित कर दिखाया है इंदौर की रहने वाली 11 साल की दिशा तिवारी ने। दिशा ने तम्बाकू के खिलाफ तब प चलाई थी जब वो महज 5 साल की थीं। अब तक दिशा तीन हज़ार से ज्यादा लोगों की सिगरेट छुड़वा चुकी हैं और अब भी लगातार जारी है। स्कूल और होमवर्क के अलावा दिशा को जो भी वक्त मिलता है उसे वो अपने अभियान को सफल बनाने में लगाती है।

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घटना 6 साल पुरानी है। इंदौर के एक ओपन रेस्टोरेंट में कुछ युवक बैठे सिगरेट पी रहे थे। अचानक एक 5 साल की बच्ची ने उनके पास आकर सवाल जवाब करना शुरु कर दिया। अंकल आप सिगरेट क्यूं पी रहे हो.....सिगरेट पीने से क्या होता है....क्या आप को पता है कि आपकी ये बुरी आदत आपके साथ-साथ आपके आसपास के लोगों को भी नुकसान पहुंचा रही है......आपको पता है कि इस आदत के चलते आप समय से पहले मर जाओगे। ये वो भारी भरकम सवाल थे जो निकले तो एक नन्ही सी जान के मुंह से थे, मगर असर इतना बडा था जिसने सिगरेट के आदि इन युवकों को हिला दिया। ये बच्ची यहीं नहीं रुकी। उसने युवकों से तत्काल जलती हुई सिगरेट और पास पड़ा पैकेट फेंकने को कहा। असर ये हुआ कि सिगरेट पीते युवकों को बच्ची की बात माननी पड़ी। ये बच्ची थी दिशा तिवारी। जो अपने मम्मी पापा के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाने आई थी। दिशा के पापा के पास आकर खुद उन युवकों ने बताया कि अब तक सिगरेट छोडनें की सीख तो हमें कई लोगों ने दी मगर आपकी बेटी के एक एक शब्द का उनपर ऐसा असर हुआ है कि वो सिगरेट से तौबा कर रहे हैं। 

दिशा के पापा अश्विन तिवारी ने जब इस बाबत अपनी बेटी से बात की तो उसने कहा, 

मैं किसी को सिगरेट पीते देखती हूं तो मुझे लगता है कि वो भी जल्दी ही दादाजी की तरह मर जायेगा। और इसलिए मैं उनको रोकना चाहती है। 

दिशा के पापा ने उसको सलाह दी कि वो इसे मिशन बनाकर आगे बढा सकती है। इसमें पूरा परिवार उसकी मदद करने के लिए तैयार है। बस फिर क्या था, दिशा की मुहिम चल निकली। दिशा ने सबसे पहले अपनी सोसाइटी में रहने वाले उन लोगों को तलाशा जो सिगरेट पीते हैं। दिशा उनसे घर-घर जाकर मिलती। उनको सिगरेट के नुकसान बताती, सिगरेट छोडने का वादा लेती और डायरी में उनका नंबर नोट कर लेती। पहले हर दिन और फिर कुछ दिन छोडकर दिशा उनको फोन करके उनका किया वादा याद दिलाती। 

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दिशा की ये कोशिश सोसाइटी से निकलकर अपनी कॉलोनी, फिर दूसरी कॉलोनी और फिर शहर के दूसरे इलाकों तक पहुंच गई। अभियान बडा हुआ तो दिशा के साथ कई लोग जुड़े और दिशा की फोटो के साथ अपील के पोस्टर शहर के ऐसी सार्वजिनक जगहों पर लगने लगी जहां लोग खडे होकर सिगरेट पीया करते थे। अचरज तो जब हुआ जब 2012 में वर्ल्ड नो टोबेको डे पर दिशा ने सभी पान की दुकानों पर जाकर उनसे अपील की कि वे सिर्फ 1 घंटे के लिए तम्बाकू प्रोडक्ट न बेचें और इसका असर भी हुआ। दिशा की ये मुहिम सराही गई। उसके बाद हर साल दिशा की अपील पर 1 घंटे के लिये वर्ल्ड टोबेको डे पर दुकान दारों नें तम्बाकू प्रोडक्ट की बिक्री बंद करना शुरु कर दी। 8802170916

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दिशा दुकानदारों से सिगरेट और तम्बाकू के पाऊच इकट्ठा करती है और सार्वजनिक जगहों पर जाकर उनकी होली जलाती है। दिशा का मानना है कि भले ही उसकी मुहिम चंद हजार लोगों तक ही पहुंच पाई है मगर एक दिन वो आयेगा जब समाज का एक बडा तबका तम्बाकू से तौबा कर चुका होगा। दिशा की कॉलोनी में रहने वाले कई लोग ऐसे हैं जो अपनी सिगरेट की बुरी लत को तो नहीं छोड़ पाये, मगर सिगरेट पीते वक्त दिशा उनको दूर से ही आती दिख जाये तो वो सिगरेट फेंक देते हैं। दिशा आज पांचवी क्लास में पढ रही है, वो पढाई और खेल के साथ स्कूल की दूसरी गतिविधियों में भी बराबरी से हिस्सा लेती है, मगर उसे बाद भी वो जहां मौका मिलता है अपने मिशन के लिये हर दिन वक्त जरुर निकालती है।

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तम्बाकू के खिलाफ मिशन के पीछे दिशा का खास मकसद है। दिशा अपने दादाजी से बहुत प्यार करती थी। घर में दादाजी के साथ खेलना, उनके साथ बगीचे में घूमने जाना, उनसे कहानियां सुनना। कहा जाये तो दिशा दादाजी की लाडली थी। अचानक हुई दादाजी की मौत के बाद दिशा गुमसुम रहने लगी। उस वक्त दिशा की उम्र महज तीन साल थी। मगर जब दिशा 5 साल की हुई तो उसे अपने पापा से पता चला कि दादाजी की मौत ज्यादा सिगरेट पीने की वजह से हुई थी। पापा से ये बात पता चलने पर मासूम दिशा के मन में ये बात घर कर गई। और ये छोटी सी टीस कब एक बडे मिशन में बदल गई पता ही नहीं चला। 

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हाल ही में दिशा ने तम्बाखू के सेवन के खिलाफ एक किताब लिखी है जिसका नाम है ‘नई दिशा- बदलते रास्ते’। इस किताब में दिशा ने अपने दादाजी के साथ बिताये पल, सिगरेट की वजह से उनका बिगडता स्वास्थ्य और फिर उनकी मौत से जुडे किस्से लिखे हैं। साथ ही नशे से बर्बाद लोगों की कहानियां और नशा छोडने के बाद जिंदगी में आये बदलाव की कहानियां लिखी हैं। जल्दी ही ये किताब स्कूल के बच्चों को बांटी जायेंगी। जिसे पढकर दूसरे बच्चे अपने घर और आसपास के लोगों से तम्बाकू छोडनें की समझाईश दे सकें। दिशा के पिता बिजनेस मैन हैं मगर वक्त निकालकर वो अपनी बेटी की मिशन में मदद कर रहे हैं। दिशा की लिखी किताब को हर छोटे बडे स्कूल में बच्चों को बंटवाने की तैयारी की जा रही है।