सात लाख नौकरियां लेकर आ रहा नया साल 2018
देश के बेरोजगार युवाओं के लिए नया वर्ष 2018 सात से अधिक नौकरियों की बरसात करने वाला है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय इस बात को लेकर काफी आशान्वित है। दावा किया गया है कि इस वर्ष 75 स्टार्टअप को 337.02 करोड़ की आर्थिक मदद दी गई। लेकिन एक वैज्ञानिक शोध में बताया गया है कि स्टार्टअप के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी संतोषजनक नहीं है। उधर, मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया वर्ष 2018 में सात लाख से अधिक नौकरियां और वर्ष 2020 तक दस करोड़ नए रोजगार सृजन की उम्मीद लेकर चल रहा है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि डीआईपीपी (औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग) ने 5,350 ऐसे स्टार्टअप्स की पहचान की है, जो स्टार्ट अप इंडिया पहल के तहत लाभ पाने के पात्र हैं।
वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि अधिकतर पुरुष निवेशकों में उन कंपनियों में निवेश करने का रुख देखा गया है, जो किसी और पुरुष द्वारा संचालित हैं। महिलाओं के तकनीकी स्टार्टअप की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में इसके एक बाधक होने की आशंका रहती है।
देश के बेरोजगार युवाओं के लिए नया वर्ष 2018 सात से अधिक नौकरियों की बरसात करने वाला है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय इस बात को लेकर काफी आशान्वित है। दावा किया गया है कि इस वर्ष 75 स्टार्टअप को 337.02 करोड़ की आर्थिक मदद दी गई। लेकिन एक वैज्ञानिक शोध में बताया गया है कि स्टार्टअप के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी संतोषजनक नहीं है। उधर, मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया वर्ष 2018 में सात लाख से अधिक नौकरियां और वर्ष 2020 तक दस करोड़ नए रोजगार सृजन की उम्मीद लेकर चल रहा है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि डीआईपीपी (औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग) ने 5,350 ऐसे स्टार्टअप्स की पहचान की है, जो स्टार्ट अप इंडिया पहल के तहत लाभ पाने के पात्र हैं। स्टार्ट अप्स के लिए फंड आफ फंड्स के तहत 75 स्टार्टअप को 337.02 करोड़ रुपये का वित्तपोषण मिला है। इसके अलावा 74 ऐसे स्टार्ट अप्स की पहचान की गई है, जो आयकर कानून के तहत छूट पाने के पात्र हैं। डीआईपीपी द्वारा लाभ के पात्र जिन 5,350 स्टार्टअप्स की पहचान की गई है, उनमें कम से कम 40,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
महिलाओं द्वारा प्रवर्तित स्टार्टअप को अमूमन कोष जुटाने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है और यह बात वैज्ञानिकों के एक शोध में सामने आयी है। वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि अधिकतर पुरुष निवेशकों में उन कंपनियों में निवेश करने का रुख देखा गया है, जो किसी और पुरुष द्वारा संचालित हैं। महिलाओं के तकनीकी स्टार्टअप की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में इसके एक बाधक होने की आशंका रहती है। अमेरिका के सैन डिएगो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधार्थियों के अनुसार 90 प्रतिशत वेंचर कैपटिलिस्ट (जोखिम के आधार पर नए कारोबार में पैसा लगाने वाले निवेशक) पुरुष हैं।
उधर, पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया सरीखी योजनाओं के जरिए देश में निवेश की नई संभावनाओं को तलाशने की कोशिश की है। भारत सरकार की फ्लैगशिप योजना 'मेक इन इंडिया' 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार पैदा करने जा रही है। यह दावा नीति आयोग के महानिदेशक-डीएमईओ और सलाहकार अनिल श्रीवास्तव ने किया है। नौकरियों के सृजन और कौशल विकास के उद्देश्य से शुरू की गई इस सरकारी योजना को लेकर लोगों को काफी उम्मीदें हैं।
अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि हम चौथे तकनीकी रेवॉल्यूशन के दौर से गुजर रहे हैं। इसमें तकनीक का काफी इस्तेमाल है। मेक इन इंडिया के जरिए हम 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार सृजित करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मेक इन इंडिया प्रोग्राम के माध्यम से सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर काफी फोकस कर रही है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले कुछ महीनों में बड़ी संख्या में नए रोजगार के अवसर आएंगे। सरकार मेक इन इंडिया के जरिए भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर बनाना चाहती है।
इन्हीं प्रयासों को प्रमाण है कि पिछले दो वर्षों में 107 नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की गई हैं। कुछ अन्य यूनिट्स लाइनअप में हैं। दूसरी तरफ जॉब प्लेसमेंट फर्मों का अनुमान है कि मैन्युफैक्चरिंग, इंजिनियरिंग और इनसे जुड़े सेक्टर्स में तेजी आने की संभावना है। अगले एक साल में इनमें तकरीबन 7.2 लाख अस्थायी नौकरियां सृजित होने की संभावना जताई गई है।
इस बीच वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल निवेश को बढ़ावा देने के लिए माइनिंग पॉलिसी में बदलाव चाहते हैं। गौरतलब है कि अग्रवाल एंटरप्रेन्योरशिप के मामले में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। कारोबारी नीतियों को लेकर उनकी सोच हमेशा अलग तरह की रही है। एंटरप्रेन्योर को फ्री हैंड देने के पक्षधर अग्रवाल के लिए देश सबसे ऊपर है। वह मीडिया से अपनी बात साझा करते हुए बताते हैं कि चालीस प्रतित जिंक में उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर 10 हजार करोड़ रुपए का निवेश दीर्घ अवधि में करने की तैयारी है, इसके साथ ही उत्पादन क्षमता पचास प्रतिशत बढ़ाई जाएगी।
हिंदुस्तान जिंक में उनका लक्ष्य एक हजार टन सिल्वर बनाने का है, जो विश्व की चौथी सबसे बड़ी उत्पादन क्षमता हो सकती है। वह सिल्वर की प्रोसेसिंग भी इंडिया में ही करना चाहते हैं। उनकी कंपनी बाड़मेर में केयर्न में पंद्रह हजार करोड़ का नया निवेश करने जा रही है। दीर्घ अवधि में राज्य के जिंक कॉपर एरिया में नई खदानों पर 15 से 20,000 करोड़ का निवेश होने जा रहा है।
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