Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

असम की ट्रांसजेंडर स्वाति बरुआ ने जज बनकर रच दिया इतिहास

 ट्रांसजेंडर बनी जज

असम की ट्रांसजेंडर स्वाति बरुआ ने जज बनकर रच दिया इतिहास

Sunday July 22, 2018 , 3 min Read

स्वाति का मूल नाम बिधान बरुआ था। 2012 में वह उस वक्त चर्चा में आई थीं जब अपने अधिकार के लिए वह बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गई थीं। दरअसल वह लिंग परिवर्तन सर्जरी करवाना चाहती थीं लेकिन उनका परिवार इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। 

स्वाति बिधान बरुआ

स्वाति बिधान बरुआ


मूलरूप से गुवाहाटी की रहने वाली स्वाति शहर में नेशनल लोक अदालत में काम करेंगी। वह 20 जजों के साथ काम करेंगी। उन्हें डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी द्वारा नियुक्त किया गया है। 

2017 की बात है जब जोयिता मंडल ने भारत में पहली बार जज की कुर्सी पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था। उन्होंने न केवल रूढ़िवादी समाज को चुनौती दी, बल्कि अपने समाज के लोगों के लिए एक नया रास्ता भी प्रशस्त किया। जोयिता के ही पदचिह्नों पर चलते हुए असम की स्वाति बिधान बरुआ ने भी जज बनकर करिश्मा कर दिया है। 26 वर्षीय स्वाति असम की पहली और देश की तीसरी ट्रांसजेंडर जज हैं।

स्वाति का मूल नाम बिधान बरुआ था। 2012 में वह उस वक्त चर्चा में आई थीं जब अपने अधिकार के लिए वह बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गई थीं। दरअसल वह लिंग परिवर्तन सर्जरी करवाना चाहती थीं लेकिन उनका परिवार इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। वह काफी लंबे समय से ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। वह कहती हैं, 'हम ट्रांसजेंडर्स को समाज में तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। लोग हमें ताने सुनाते हैं और हमें बाकी इंसानों से अलग देखा जाता है।'

मूलरूप से गुवाहाटी की रहने वाली स्वाति शहर में नेशनल लोक अदालत में काम करेंगी। वह 20 जजों के साथ काम करेंगी। उन्हें डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी द्वारा नियुक्त किया गया है। नॉर्थईस्ट टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेवानिवृत्त डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज एच. अली हजारिका की अध्यक्षता वाली पीठ में स्वाति को काम करने का मौका मिलेगा। यह लोक अदालत गुवाहाटी की कामरूप मेट्रो डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट परिसर में आयोजित की जाती है।

स्वााति का मानना है कि इस नियुक्ति से समाज में ट्रांसजेंडर के लिए एक नई राह खुलेगी और लोगों का माइंडसेट भी बदलेगा। वह कहती हैं कि ट्रांसजेंडरों को समाज में अछूत माना जाता है जो कि पूरी तरह से गलत है। देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल को भी सिविल कोर्ट की एक लोक अदालत में नियुक्त किया गया था। इसके बाग महाराष्ट्र विद्या कांबले को दूसरा ट्रांसजेंडर जज बनने का गौरव हासिल हुआ था। इसी साल फरवरी में उन्हें नागपुर की एक लोक अदालत में नियुक्ति मिली थी।

इस साल स्वाति ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में एक पीआईएल फाइल की थी ताकि ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़े 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रदेश में लागू करवाया जा सके। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने मई 2018 में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि छह महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को नियमानुसार लागू किया जाए।

यह भी पढ़ें: इस आईपीएस अफसर की बदौलत गरीब बच्चों को मिली पढ़ने के लिए स्कूल की छत