हरियाणा का 13 वर्षीय शुभम गोल्फ की दुनिया में कर रहा है देश का नाम ऊंचा
हरियाणा के पानीपत जैसे छोटे कस्बे के नौल्था गांव में दूध का कारोबार करने वाले शख्स के बेटे शुभम जगलान ने गोल्फ खेल कर ऐसा कारनामा किया है कि लोग हैरत में आ गए हैं। शुभम गांव की गलियों से निकलकर अमेरिका में दो टूर्नामेंट जीत चुका है। हालांकि उसने 100 से ज्यादा टूर्नामेंट जीते हैं। लेकिन अमेरिका में वर्ल्ड जूनियर मास्टर गोल्फ चैंपियनशिप खिताब अपने नाम करने के बाद इंडिया के लिटिल टाइगर के नाम से मशहूर शुभम की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है।
गोल्फ की दुनिया में भारत का नाम ऊंचा कर रहा है हरियाणा का 13 साल का लिटिल मास्टर शुभम
शुभम ने 2015 में अमेरिका के लॉस वेगास में आयोजित वर्ल्ड जूनियर मास्टर गोल्फ चैंपियनशिप में खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था। उसके पिता दूध का कारोबार करते हैं और मां घर और खेती के कामों में हाथ बंटाती हैं। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि शुभम एक दिन ऐसी प्रसिद्धि हासिल करेगा, जिस पर उसके परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे देश को नाज है।
गोल्फ का नाम सुनते ही हमारे जेहन में साफ सुथरे हरे-भरे मैदान और एक खास एलीट वर्ग का चेहरा उभरकर सामने आ जाता है। हमारे समाज में यह धारणा बन गई है कि यह अमीर लोगों का खेल है। लेकिन हरियाणा के पानीपत जैसी छोटे कस्बे के नौल्था गांव में दूध का कारोबार करने वाले शख्स के बेटे शुभम जगलान ने ऐसा कारनामा किया कि लोग हैरत में आ गए। शुभम गांव की गलियों से निकलकर अमेरिका में दो टूर्नामेंट जीत चुका है। हालांकि उसने 100 से ज्यादा टूर्नामेंट जीते हैं। लेकिन अमेरिका में वर्ल्ड जूनियर मास्टर गोल्फ चैंपियनशिप खिताब अपने नाम करने के बाद इंडिया के लिटिल टाइगर के नाम से मशहूर शुभम की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है।
पानीपत के लिटिल मास्टर ने आईएमजी चैंपियनशिप अपने नाम की है। जीत के बाद उसने कहा थी कि यह उसके सपने के सच होने जैसा है। वह अपने स्कूल, अपने परिवार और अपने कोच नोनिता लाल कुरैशी का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने खेत-खलिहान में ही प्रैक्टिस की है। उनके पिता दूध का कारोबार करते हैं और उनकी मां भी घर और खेती के कामों में हाथ बंटाती हैं। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि शुभम एक दिन ऐसी प्रसिद्धि हासिल करेगा। उस पर सबको नाज है। शुभम की सफलता से बेहद खुश उसके दादा जी ईश्वर सिंह कहते हैं कि किसी सरकारी अफसर या नेताओं ने शुभम की खबर नहीं ली है और इस बात का उन्हें अफसोस भी है। उनका कहना है कि शुभम ने एक छोटे से गांव से निकलकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है।
शुभम की जीत का श्रेय गोल्फ फाउंडेशन के मुखिया अमित लूथरा को जाता है। जिन्होंने शुभम की हर संभव मदद की और उसे आज इस मुकाम तक पहुंचाया। एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में शुभम ने बताया कि तीन साल पहले गांव से बाहर निकलकर उसने दिल्ली में गोल्फ फाउंडेशन जॉइन किया था। फाउंडेशन में ही उसकी ट्रेनिंग हुई।
दिल्ली आकर शुभम ने पहली बार गोल्फ स्टिक से प्रैक्टिस की। शुभम ने 7 साल की उम्र में ही गोल्फ की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। शुभम ने बताया कि अपने कोच नोनिता लाल कुरैशी की मदद से उसने 100 जूनियर प्रतियोगिताएं जीती। इस तरह धीरे-धीरे अपना खेल सुधारा। इन्ही प्रतियोगिताओं की मदद से शुभम का लक्ष्मण पब्लिक स्कूल में एडमिशन हुआ। शुभम को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों सम्मान भी मिल चुका है।
शुभम के अनुसार, स्कूल में उसकी अंग्रेजी और खेल दोनों में सुधार आया और आज वह फर्राटेदार अमेरिकी लहजे में इंग्लिश बोलने लगा है। शुभम ने आगे कहा, 'हालांकि शुरू में मुझे झिझक होती थी, लेकिन बाद में मेरे अंदर आत्मविश्वास आया और फिर मैंने सिर्फ जीत के बारे में सोचा।'
शुभम ने जूनियर गोल्फ इवेंट के आईजेजीए वर्ल्ड स्टार्स खिताब जीतकर भी इतिहास रचा है। शुभम ने इस खिताब को जीतने से कुछ दिन पहले ही कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में जूनियर वर्ल्ड गोल्फ चैंपियनशिप जीती थी। इस तरह दो हफ्ते में उसने दो विश्व खिताब अपने नाम किए थे।
शुभम ने 2015 में अमेरिका के लॉस वेगास में आयोजित वर्ल्ड जूनियर मास्टर गोल्फ चैंपियनशिप में खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था।
लॉस वेगास में आयोजित वर्ल्ड जूनियर मास्टर गोल्फ चैंपियनशिप 2015 में 160 देशों के गोल्फरों ने हिस्सा लिया था। 2015 में 23 से 26 जुलाई तक एंजल पार्क गोल्फ कोर्स में हुई प्रतियोगिता में शुभम ने तीन दिन में 27 हाल में पांच अंडर स्कोर हासिल किये थे। उसने जापान के केन सिबता का स्कोर को पीछे कर यह खिताब अपने नाम किया था। यह पहला मौका था जब किसी भारतीय गोल्फर ने किसी भी वर्ग में वर्ल्ड चैंपियनशिप का टाइटल जीता था। शुभम ने इस खिताब को अपने नाम करने के साथ ही नंबर-वन रैंकिंग हासिल की थी।