7वीं फेल ने खड़ी कर ली 100 करोड़ की कंपनी
विमल अपने स्कूली दिनों में पढ़ाई में थोड़े कमजोर थे। 7वीं कक्षा की परीक्षा में वे फेल हो गए तो उनके माता-पिता ने कहा कि वे घर से चले जाएं और खुद कमाकर अपनी जिंदगी चलाएं। विमल शुरू से ही जुझारू प्रवृत्ति के थे और उन्होंने मुंबई जाकर एक नई जिंदगी शुरू करने का फैसला किया। शुरुआती दिन तो बड़ी मुश्किल से गुज़रे लेकिन उन मुश्किलों के अनुभव ने विमल को तराश कर ऐसा बना दिया कि आज वो लोगों के लिए एक उदाहरण हैं...
जो कभी करता था 4000 रूपये की नौकरी, वो आज है 100 करोड़ की कंपनी का मालिक।
विमल पटेल के महाराष्ट्र में 52 आउटलेट्स हैं और उनकी कंपनी में लगभग 550 लोग काम करते हैं। उनकी कंपनी '100 करोड़ क्लब' में शुमार की जाती है। जिसने कभी 4,000 रुपये की मजदूरी से अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी, वो आज 100 करोड़ की कंपनी चलाते हैं। उनकी जिंदगी कई सारे असफल व्यक्तियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
आमतौर पर भारतीय परिवार और समाज में असफलता को सकारात्मक नजरिए से नहीं देखा जाता, बल्कि हेय दृष्टि से देखा जाता है। अगर घर-परिवार में कोई बच्चा परीक्षा में कम नंबर लाता है या फिर फेल हो जाता है तो उसे समाज में स्वीकार ही नहीं किया जाता। ऐसे बच्चों को समाज के लिए अयोग्य भी मान लिया जाता है। हालांकि इनमें से कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जो अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ते हैं और न जाने कितने लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। गुजरात के आनंद जिले के रहने वाले विमल भी ऐसे ही बच्चों में से एक थे जो कभी 7वीं कक्षा में फेल हो गए, लेकिन आगे चलकर अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने 50 करोड़ की कंपनी खड़ी कर ली।
विमल अपने स्कूली दिनों में पढ़ाई में थोड़े कमजोर थे। 7वीं कक्षा की परीक्षा में वे फेल हो गए तो उनके माता-पिता ने कहा कि वे घर से चले जाएं और खुद कमाकर अपनी जिंदगी चलाएं। हालांकि विमल शुरू से ही जुझारू प्रवृत्ति के थे और उन्होंने मुंबई जाकर एक नई जिंदगी शुरू करने का फैसला किया। यह 1996 की बात थी। वे मुंबई गए और वहां उन्होंने मजदूरी का काम मिला। दिन भर मजदूरी करने के बाद उन्हें हर महीने 4,000 रुपये मिलते थे। इतने कम पैसों में मुंबई जैसे शहर में खर्च चलाना और अकेले जिंदगी काटना कितना मुश्किल होता था इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
मजदूरी छोड़कर विमल ने मुंबई के चीता मार्केट में हीरे की कई फैक्ट्रियों में पॉलिश का काम ढूंढ़ना शुरू किया क्योंकि वे इस काम को अच्छे से जानते थे। विमल को मालूम था कि मजदूरी कर के वह अपनी तकदीर कभी नहीं बदल सकते। इसलिए उन्होंने अपनी तनख्वह से कुछ पैसे बचाने भी शुरू कर दिए।
अपने उन दिनों को याद करते हुए विमल बताते हैं, 'स्कूल से वापस आने के बाद मैं अक्सर अपने दोस्तों के साथ घूमा करता था। इस दौरान मैंने अपने पिता से रत्नों को पॉलिश करने का काम सीख लिया था। एक दिन 20 साल के एक व्यक्ति से मेरा झगड़ा हुआ और मैंने उसे पीट दिया। इससे मेरे पिता काफी गुस्से में आ गए और मुझे घर से निकाल दिया।' इस घटना के बाद विमल का असली संघर्ष शुरू हुआ। मजदूरी छोड़कर विमल ने मुंबई के चीता मार्केट में हीरे की कई फैक्ट्रियों में पॉलिश का काम ढूंढ़ना शुरू किया क्योंकि वे इस काम को अच्छे से जानते थे। विमल को मालूम था कि मजदूरी कर के वह अपनी तकदीर कभी नहीं बदल सकते। इसलिए उन्होंने अपनी तनख्वह से कुछ पैसे बचाने भी शुरू कर दिए।
विमल के कुछ दोस्त उस वक्त बिना तराशे गए हीरे की मार्केटिंग किया करते थे। इससे उन्हें अच्छा-खासा कमीशन हासिल होता था। विमल ने भी धीरे-धीरे यह ट्रिक सीख ली और 1997 के बाद से खुद भी यही काम करना शुरू कर दिया। एक साल हीरे की पॉलिश करने के बाद विमल ने भी ब्रोकर के तौर पर काम किया और कुछ दिन के बाद उन्हें हर रोज 1000 से 2000 रुपये मिलने लगे। उन्होंने ब्रोकर के काम से बचाए हुए पैसों से अपनी खुद की एक कंपनी खोल ली और उस कंपनी का नाम रखा 'विमल जेम्स'। शुरू में तो उन्होंने अपने भाइयों और रिश्तेदारों की मदद से कंपनी चलाई। साल 2000 के आते-आते उनका कुल टर्नओवर 15 लाख हो गया। हैरत की बात यह है कि उस वक्त उनकी कंपनी में सिर्फ 8 लोग काम करते थे। हालांकि इस विमल की ग्रोथ में एक झटका तब लगा जब उनकी ही कंपनी का एक कर्मचारी 2001 में 29 लाख का हीरा लेकर भाग गया।
इसके बाद उन्हें भारी नुकसान हुआ और इस नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें अपनी सारी बचत खर्च कर देनी पड़ी। लेकिन इससे भी विमल का हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने शून्य से शुरुआत करने की ठान ली। 2009 में विमल ने जलगांव में खुद का एक रत्न और आभूषणों का आउटलेट खोला। विमल का आइडिया था कि वह एस्ट्रोलॉजर को हायर करेंगे और ग्राहक उस एस्ट्रोलॉजर की सलाह के मुताबिक रत्नों की खरीददारी करेंगे। विमल का यह इडिया चल निकला और स्टोर के शुभारंभ के दिन ही लाखों की बिक्री हुई।
इसके बाद विमल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज महराष्ट्र में विमल के 52 आउटलेट्स हैं और उनकी कंपनी में लगभग 550 लोग काम करते हैं। उनकी कंपनी 100 करोड़ क्लब में शुमार की जाती है। विमल ने कभी 4,000 रुपये की मजदूरी से अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी और आज वे 100 करोड़ की कंपनी चलाते हैं। उनकी जिंदगी कई सारे असफल व्यक्तियों के लिए प्रेरणास्रोत है।