...और बदल गई अमेरिकी टेलीविजन इंडस्ट्री की रंगत
एक भारतीय के साहस की कहानीअमेरिका में टेलीविजन इंडस्ट्री में एरियो का धमालएरियो के जरिए अमेरिका में देख सकते हैं अपना मनपसंद कार्यक्रम कहीं भी कभी भी
एक ऐसे दौर में जब अमेरिका में टेलीविजन सेट पर कब्जा करने की जंग तेज हो गई है, जहां नेटफ्लिक्स अपने शो बनाकर पूरे सीजन के लिए एक साथ रिलीज कर रही है और तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां एप्पल (एप्पल टीवी) और गूगल (गूगल टीवी) टेलीविजन देखने के लिए सॉफ्टवेयर मुहैया कराने जा रही हैं, तब एरियो ने बड़े ही नजाकत से एक सामान्य सा विकल्प तैयार किया है... और चैतन्य ‘चेत कनोजिया’ के इसी सामान्य से विकल्प एरियो ने यूएस टेलीविजन इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया है।
ऐेसे करता है काम
एरियो अपने हर कस्टमर को एक छोटा सा एंटिना देता है। एंटिना इतना छोटा है कि ये किसी की अंगुली में भी फिट हो जाए। ये एंटिना वायुमंडल में मौजूद ब्रॉडकास्ट के सिग्नल्स को कैच करता है और फिर एरियो सर्वर पर यूजर द्वारा तय कार्यक्रम या कंटेंट को रिकॉर्ड करने लगता है। रिकॉर्ड कार्यक्रम या कंटेंट को यूजर बाद में किसी भी डिवाइस पर देख सकता है। ये विंडोज़ पर, डेस्कटॉप ,लैपटॉप के लिए मैक पर और मोबाइल के लिए iOS और एंड्रॉयड पर काम करता है। हर महीने महज 8 डॉलर का शुल्क देकर यूजर 20 घंटे तक और 12 डॉलर हर महीने खर्च कर यूजर 60 घंटे तक का कार्यक्रम रिकॉर्ड कर सकता है। इतना ही नहीं, कोई चाहे तो एक साथ दो कार्यक्रम भी रिकॉर्ड कर सकता है।
तो समस्या क्या है?
इस प्रोडक्ट को बाजार में उतारने से कुछ महीने पहले कनोजिया और उनकी टीम ने कई बड़े ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क के साथ मुलाकात कर उनके साथ मिलकर काम करने पर चर्चा की। हालांकि इन चर्चाओं का कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन एरियो के बीटा लॉन्च से दो हफ्ते पहले ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के एक संगठन ने एरियो के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। ये एक ऐसा जटिल मामला था जो पहले कभी देखा नहीं गया, लेकिन दोनों ही ओर से बराबरी के तर्क पेश किए गए। ये तर्क किस तरह के थे, ये आप देखिए:
* ब्रॉडकास्ट नेटवर्क्स का दावा है कि टीवी शो के ट्रासमिशन सिग्नल्स उनकी संपत्ति हैं और उन सिग्नल्स को हथियाकर एरियो साफ तौर पर कॉपीराइट का उल्लंघन कर रही है।
* एरियो का दावा है कि उसकी सेवा प्राइवेट एंटिना रेंटल के अलावा कुछ भी नहीं है। जो सिग्नल्स कैच किए जा रहे हैं, वो व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए हैं, उनका सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं हो रहा है, ऐसे में ये कानूनी दायरे में ही है। अगर समस्या एरियो के रिमोट डाटा केंद्र के सर्वर पर सिग्नल्स स्टोर करने पर है, तो क्लाउड डाटा स्टोरेज की सेवा देने वाले आईक्लाउड और ड्रॉपबॉक्स की सेवाएं भी गैरकानूनी होंगी।
दोनों ओर के तर्क बेजोड़ दिखते हैं। ब्रॉडकास्ट नेटवर्क्स की चिंता जितनी उनकी कमाई के नुकसान को लेकर है, उतनी ही कॉपीराइट को लेकर भी। लोकल केबल टेलीविजन नेटवर्क्स री-ट्रांसमिशन फी के तौर पर ब्रॉडकास्ट नेटवर्क्स को सालाना 3 से 4 बिलियन डॉलर का भुगतान करते हैं। ऐसे में लोगों के सामने एरियो जैसा विकल्प, इस उद्योग की कमाई में सेंध लगा सकता है क्योंकि लोग भी केबल कंपनियों को उन चैनल या बुके के लिए मोटी रकम देने के बजाए एरियो को अपनाना चाहेंगे, जिनमें से कई चैनलों का तो उनके लिए कोई मतलब ही नहीं होता है।
एरियो के पीछे एक साहसी भारतीय
भोपाल में पले-बढ़े चैतन्य ने वहीं अपनी स्कूलिंग की। चैतन्य जब सिर्फ दस साल के थे तब उनके पिता को हार्ट अटैक आया था और इस वजह से उनके परिवार की माली हालत खराब हो गई थी। चैतन्य का कहना है कि किसी भी चीज के लिए एक से ज्यादा योजनाओं पर काम करने की सीख शायद उन्हें इसी घटना से मिली थी, जब एक ही पल में उनके परिवार की जिंदगी बदल गई थी। इंजीनियरिंग में अंडरग्रेजुएट करने के बाद चैतन्य अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर सिस्टम्स इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री पूरी की। मिडिल ईस्ट में नौकरी करने और कर्मचारियों के साथ टेंट में दस महीने गुजारने के बाद चैतन्य वापस अमेरिका पहुंचे और वहां उन्होंने कई नौकरियां की। बाद में उन्होंने एक सहयोगी के साथ नेविक सिस्टम की शुरुआत की। नेविक सिस्टम्स ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया था जिसे सेट टॉप बॉक्स के ऊपर रखने से ये केबल कंपनियों को यूजर्स की विस्तृत जानकारी दे सकता है। अपने इस आविष्कार को बेचने के लिए चैतन्य को करीब दो साल की कड़ी मशक्कत के बाद कामयाबी मिली। माइक्रोसॉफ्ट ने नेविक सिस्टम को 2008 में करीब 200 से 250 मिलियन डॉलर में खरीद लिया। इस तरह चैतन्य की मेहनत रंग लाई।
क्षेत्र में अपने अनुभव और इस बात पर जब पूरा विश्वास हो गया कि बाजार में अब बदलाव का वक्त आ गया है, तब चैतन्य ने टेलीविजन देखने को दर्शकों की पसंद पर आधारित करने की अपनी मुहिम पर काम करना शुरू किया। उन्होंने अपनी सोच को अपनी मेहनत से आगे बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने एक बेहतरीन इंजीनियरों की टीम बनाई और फिर अपने आइडिया को 18 महीने के अंदर अमली जामा पहनाने में जुट गए। इसके बाद वो विभिन्न निवेशकों से करीब 100 मिलियन डॉलर की रकम भी जमा की। इन निवेशकों में जाने-माने बैरी डिल्लेर भी शामिल थे, जो एक्सपेडिया और इंटरएक्टिवकॉर्प (आईएसी) के चेयरमैन होने के अलावा पहले फॉक्स ब्रॉडकास्टिंग कंपनी और यूएसए ब्रॉडकास्टिंग के प्रमुख भी रह चुके थे। ऐसा लगता था कि ग्राहक भी एरियो को बहुत पसंद करने लगे थे क्योंकि इसके एक लाख से ज्यादा ग्राहक बन चुके थे।
यहां तक पहुंचा मामला
एरियो को अभी सिर्फ न्यू यॉर्क और बॉस्टन के इलाकों में लॉन्च किया गया था, जबकि 2014 में 26 अन्य बाजारों में इसे उतारने की योजना थी। हालांकि, ये सब उस कानूनी लड़ाई पर निर्भर था, जो दो साल से चली आ रही थी। एक निचली अदलात ने कुछ महीने पहले एरियो के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था, लेकिन ये मामूली राहत थी, क्योंकि इसका साफ-साफ मतलब ये था कि एरियो को अमेरिका के हर उस प्रांत में कानूनी लड़ाई लड़नी होगी, जहां-जहां उसे अपना प्रोडक्ट लॉन्च करना था। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को मंजूरी दे दी थी। इसे एक ही फैसले में कानूनी लड़ाई खत्म करने के सर्वश्रेष्ठ विकल्प के तौर पर देखा भी जा रहा था। पर दुर्भाग्यवश, 25 जून को सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए एरियो के खिलाफ फैसला सुना दिया।
अब आगे क्या?
एरियो के होम पेज पर अब सिर्फ चेत कनोजिया का एरियो के ग्राहकों के नाम एक चिट्ठी दिखती है। इस चिट्ठी में लिखा है कि एरियो की सेवाएं कानूनी लड़ाई की वजह से अभी रुकी हुई है। कानूनी टीम निचली अदालत में सलाह-मशविरा कर रही है। इसके साथ ही इस चिट्ठी में चेत कनोजिया ने अमेरिका के आम लोगों को अपने हक के लिए आवाज उठाने की भी अपील की है। उनका कहना है कि ब्रॉडकास्टर्स अपने प्रोग्राम को जिस स्पेक्ट्रम के जरिए ट्रांसमिट करते हैं, वो अमेरिका के लोगों की संपत्ति है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एंटिना घर की छत पर लगा है, टीवी सेट पर लगा या फिर हवा में। कंपनी ने ProtectMyAntenna.org नाम से एक मुहिम भी शुरू की है। इस मुहिम में उन ग्राहकों को शामिल होकर अपनी बात रखने की अपील की गई है जो चेत कनोजिया की धारणा को मानते हैं।
इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एरियो का वजूद खत्म हो जाएगा। एक और बात सामने आ रही है कि एरियो ब्रॉडकास्टर के साथ ट्रांसमिशन फी पर करार कर अपनी सेवा को दोबारा शुरू कर सकती है। इसके लिए ब्रॉडकास्टर्स को जो रकम देनी होगी, एरियो अपने ग्राहकों से शुल्क बढ़ाकर उसकी भरपाई कर सकती है। उद्योग से जुड़े कुछ लोग कनोजिया के अगले कदम के इंतजार में हैं। लोगों को उम्मीद है कि कनोजिया अपने एरियो के साथ कुछ ऐसा करें जो कानून के दायरे में हो। क्या उनके पास कोई और जादू है। एरियो के ग्राहक तो ऐसे ही किसी कमाल की उम्मीद कर रहे हैं।
आप चैतन्य कनोजिया के इस आविष्कार के बारे में और उस पर अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में क्या सोचते हैं। नीचे अपनी टिप्पणी देकर हमें बताएं।