"फलसफा: दुनिया एक क्लासरूम और एक रूम में पूरी यूनिवर्सिटी, सपना: देश को 100% साक्षर बनाना"
दुनिया की पहली ऐसी वीडियो क्लास जहां अंग्रेजी के अलावा हिन्दी में भी पढ़ाने की सुविधा...दूसरी भाषाओं में भी वीडियो क्लास की तैयारी...हर बच्चे को बेहतरीन शिक्षकों से वीडियो क्लास के ज़रिए जोड़ने की कोशिश...पांच लाख बच्चे उठा रहे हैं वीडियो क्लास से लाभ...अवधान माइंड पावर’ की डायरेक्टर सुरभि ने 2010 में शुरू किया इस क्षेत्र में काम...मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़कर बच्चों की पढ़ाई में जुटीं...
‘बड़ा’ वो नहीं जो खुद के लिए जीता है, खुद के लिए तमाम तमगे हासिल करता है, सारी सुख सुविधाएं खुद के लिए जुटाता है और ताउम्र चैन की नींद सोता है। बल्कि ‘बड़ा’ वो है जो अपनी सारी सुख-सुविधाएं एक तरफ करके अपने आस-पास को बड़ा करता है। जब उसका दायरा बड़ा होता है तो फिर आस-पास, समाज में तब्दील होता है, समाज शहर में और शहर राष्ट्र में। कहने का मतलब है कि वो शख्स अपनी चैन की नींद उन लोगों के लिए न्यौछावर करता है, जिन तक सारी सुविधाएं नहीं पहुंचती हैं। ऐसे में बात जब पढ़ाई की आती है तो हमारा ध्यान ऐसे लोगों तक जाना ज़रूरी है। कहते हैं-
विद्या ददाति विनयम विनयाद याति पात्रताम |
पात्रत्वाद धनमाप्नोती - धनाद धर्मस्तत: सुखं ||
अर्थात अर्थात विद्या से विनय, विनय से योग्यता, योग्यता से धन और धन से धर्म एवं धर्म के पालन से सुख की प्राप्ति होती है। यही सूक्ति वाक्य है सुरभि भगत का। ये उनका बड़प्पन है कि वो खुद को ‘बड़ा’ की श्रेणी में नहीं रखती हैं, पर शिक्षा के क्षेत्र में जो काम वो कर रही हैं वो बहुत ‘बड़ा’ है। http://www.univexcellence.com/home/ की संस्थापिका और ‘अवधान माइंड पावर’ की डायरेक्टर सुरभि भगत शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी कंपनी संचालित कर रही हैं, जो दुनियाभर में पहली ऐसी संस्था है जहां अंग्रेजी की अलावा हिन्दी में भी कंटेंट मुहैया कराता जाता है बच्चों को। सिर्फ कंटेंट ही मुहैया नहीं कराता बल्कि वीडियो लेक्चर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। और योजना है हर क्षेत्रीय भाषा में बच्चों को उनकी किताबी चीज़ें मुहैया कराना, ताकि वो आसानी से पढ़ सकें, समझ सकें और बेहतर भविष्य और बेहतर भारत बना सकें। सुरभि ने योर स्टोरी के साथ एक खास बातचीत में बताया,
“मेरा मिशन है, देश को 100 फीसदी साक्षर बनाना और मक़सद है हर बच्चे को उसकी भाषा में तालीम देना। न सिर्फ किताबी बल्कि आचरण और संपूर्ण शिक्षा। जिसमें आज की पढ़ाई तो हो ही साथ में वैदिक शिक्षा भी हो। क्योंकि आज ज़रूरत है बच्चों को पुरातनता से जोड़कर आधुनिक बनाने की। सिर्फ आधुनिक बनाने से उनका संपूर्ण विकास संभव नहीं।”
कैसे हुई शुरुआत
सुरभि भगत राजस्थान के अजमेर ज़िले के सावर में एक ऐसे परिवार में पैदा हुई जहां पढ़ाई को हमेशा सर्वोपरि माना जाता था। सुरभि के दादा जी हमेशा से चाहते थे कि इलाके के बच्चों में पढ़ाई को लेकर एक चेतना बने। यही संस्कार सुरभि को उनके पिताजी से मिला। यही वजह है कि जो बात संस्कार में मिलती हो उसका असर अवचेतन मन पर हमेशा रहता है। सुरभि बताती हैं,
“जब मैं 12 वीं की परीक्षा से पहले तमाम विषयों के लिए ट्यूशन करती थी तो समझ में आया कि यह काम कितना थका देने वाला है। साथ ही मुझे लगा कि यह कितना महंगा है। यह कुछ बच्चों के लिए तो यह संभव है और ज्यादातर बच्चों के लिए असंभव। उसी समय मेरे दिमाग में यह बात बैठ गई थी कि वक्त के साथ कुछ ऐसा काम करने की ज़रूरत है जिसका फायदा सब बच्चों को मिले। बस वही बात मुझे लगातार कुछ करने के लिए उत्साहित करती रही।”
बारहवीं के बाद सुरभि का दाखिला राजस्थान यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में हो गया। 2002-06 तक इंजीनियरिंग करने के बाद सुरभि भगत की कैंपस इंटरव्यू के ज़रिए आईबीएम इंडिया में नौकरी हो गई। नौकरी के दौरान विदेशों में काम करने का भी मौका मिला। लेकिन तकरीबन चार साल की नौकरी के दौरान उनका यह भरोसा और मजबूत होता गया कि बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ अलग काम करने की सख्त ज़रूरत है। सुरभि बताती हैं,
“World is a class room and room is university” मेरे मन मस्तिष्क पर लगातार उभरता गया और मुझे लगने लगा कि कुछ ऐसा काम करना चाहिए जिसमें एक साथ लाखों बच्चों का फायदा हो। बच्चे कहीं भी हों इंटरनेट के जरिए वो हमारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।”
नौकरी छोड़ी, ई लर्निंग, वीडियो लर्निंग शुरू किया
इस विचार को अमलीजामा पहनाने के लिए 2010 में सुरभि भगत ने अपनी नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के साथ सवाल यह उठा कि बच्चों को पढ़ाने के लिए कंटेंट कहां से आएगा और कैसे? अंग्रेजी में कंटेंट मिलना फिर भी आसान था लेकिन हिन्दी में कंटेंट तैयार करना काफी मुश्किल था। इसकी तलाश और अनुसंधान में सुरभि ने कई महीने लगाए। वो शिक्षकों से मिलने लगीं। सबसे पहले उन शिक्षकों से मिलती रहीं, जिन्होंने उन्हें पढ़ाया था। इस दौरान सुरभि को समझ में आ गया कि बहुत सारे ऐसे शिक्षक हैं जो अच्छा पढ़ा सकते हैं पर वीडियो क्लास में सक्षम नहीं हैं। कई ऐसे शिक्षक मिले, जो वीडियो क्लास अच्छी ले सकते हैं पर चूंकि वो सरकारी स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं इसलिए वो अपनी पहचान का खुलासा नहीं कर सकते। तमाम जद्दोजहद के बाद सुरभि ने कुछ शिक्षकों को इसलिए राज़ी किया कि वो कंटेंट लिख सकें और कुछ को तैयार किया वीडियो क्लास के लिए। इस तरह से सबसे पहले क्लास नौंवी और दसवीं के लिए ई-लर्निंग और वीडियो क्लास शुरू किया गया। इसका रिस्पांस काफी अच्छा मिलने लगा। इसके बाद ग्यारहवीं और बारहवीं की क्लास की भी शुरुआत की गई। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत आती थी वीडियो क्लास के दौरान बोर्ड पर हिन्दी लिखने में। कई शिक्षक अच्छा पढ़ा सकते हैं पर ज़रूरी नहीं कि हिन्दी की मात्राएं भी सही लगाएं और लिखें। ऐसे में वीडियो शूटिंग के दौरान काफी मुश्किल आती थी। पर धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों से शामिल होने वाले शिक्षक भी इससे वाकिफ होते गए और सुरभि का काम भी पहले से आसानी से होने लगा। लोगों की लगातार अच्छी प्रतिक्रिया की वजह से 2011 से हिन्दी माध्यम में यह क्लास 6-12 तक कर दी गई। सुरभि का एक ही मत है कि बच्चे एक ही जगह The Power of 5 E से परिचित हों। जो कि है E Lectures, E Learning, E Avdhan, E Testing & E Query Solution.
आज स्थिति यह है कि देश भर के अलग-अलग हिस्सों के तकरीबन 5 लाख बच्चे इन कक्षाओं और ई-लर्निंग का फायदा उठा रहे हैं। इसके तहत अबतक 10,000 घंटों की वीडियो क्लास एक्सपर्ट के द्वारा तैयार किया जा चुका है। जो कि अपने आप में रिकॉर्ड है।
40 देशों समेत देश के 20 राज्यों के बोर्ड का कंटेंट शामिल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, “सफलता की पहली सीढ़ी है सादा जीवन और उच्च विचार”। सुरभि भगत से मिलने और बात करने के बाद बार-बार ऐसा लगा कि ‘बड़ा’ काम करने के लिए उन्होंने खुद को कितना संयमित रखा है। ठीक भी है उद्देश्य जब बहुत बड़ा हो तो सहज और सरल तरीके से ही उसे पाया जा सकता है। यह तय है कि ईमानदार कोशिश हमेशा मंजिल तक ले जाती है। यही वजह है कि आज उनकी संस्था अवधान माइंड पावर’ 40 देशों में बच्चों को वीडियो क्लास मुहैया करा रही है। इसके साथ ही भारत के 20 राज्यों के बोर्ड से जुड़ी है। मतलब यह कि वो बीस राज्यों के क्लास छह से लेकर बारहवीं तक के बच्चों को दोनों तरह के कंटेंट मुहैया करा रही हैं। वो भी दोनों भाषाओं में। सुरभि की कोशिश है कि अलग-अलग राज्यों के बच्चों को उनकी भाषा में कंटेंट मुहैया कराई जाए। उन्होंने बातचीत में बताया कि पंजाबी (गुरमुखी) भाषा में कंटेंट मुहैया कराने लेकर काम जारी है और जल्दी ही बच्चे इससे लाभान्वित हो पाएंगे।
पैसे कहां से आते हैं
पैसा सबसे ज़रूरी पहलू है किसी संस्था को निरंतर चलाने के लिए। ऐसे में पिछले छह वर्षों में लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी सुरभि भगत खुद का पैसा लगा रही हैं बच्चों को पढ़ाने के लिए। सुरभि का साफ मानना है,
“अपने कार्य और अपनी योजनाओं को लेकर सरकार से ज़रूर मदद मांगी पर अबतक मिल नहीं कहीं से भी। जहां तक निवेशकों से पैसे लेने की बात है तो उसमें हम सतर्क हैं। सतर्क इसलिए कि जैसे ही निवेशकों से निवेश को लेकर बातचीत होती है वो पूरी योजना को व्यावसायिक बनाने की बात करते हैं। पर मैं शिक्षा को व्यावसाय बनाने की पक्षधर नहीं हूं। मुझे लगता है जैसे ही हमने इसको व्यावसायिक बनाया कि सारा मिशन फेल हो गया।”
सुरभि ने बताया कि वो इतना ज़रूर करती हैं कि इन क्लास के लिए जहां दूसरे लोग मोटे पैसे लेते हैं वहीं अवधान माइंड पावर बच्चों के माता-पिता से निहायत ही मामूली पैसे चार्ज करती हैं। पैसे भी इसलिए ताकि इंटरनेट और अन्य खर्चे का वहन किया जाए। हालांकि शिक्षकों को पैसे, कंटेंट तैयार के लिए पैसे का सारा वहन सुरभि खुद करती हैं। सुरभि की नीति बिलकुल साफ है—
“हम ऐसे लोगों को भी पत्र लिखते हैं जो शिक्षा की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। हम ऐसे लोगों, संस्थाओं के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। पर सच्चाई है कि कोई दूसरी संस्था की तरफ से उत्साहजनक जवाब कभी नहीं मिलता। और अगर जवाब मिलता भी है तो वो पैसे की मांग करते हैं”
अगले कुछ साल की योजना
सुरभि भगत बच्चों की स्मरणशक्ति को और मजबूत बनाने के लिए एक अनुसंधान कर रही हैं। भारत की प्राचीन वैदिक विद्या और अवधान विज्ञान को मिलाकर एक ऐसी शक्ति तैयार करने की कोशिश में हैं जिससे बच्चों की स्मरणशक्ति को और बढ़ाया जाए। अवधान विज्ञान के तहत अध्ययन की जाने चीजें पढ़ने वालों की हमेशा अपनी हो जाती है। वो हमेशा स्मरण में रहती है। सुरभि का कहना है कि उनकी संस्था शिक्षकों को इससे जुड़ी जानकारियां देती हैं ताकि वो वीडियो क्लास के दौरान उन बातों का ध्यान रखें और ज्यादा से ज्यादा लाभ बच्चों को मिल सके। सुरभि का कहना है,
“हमारी प्राचीन विद्या इतनी सक्षम रही है कि अगर इसका सही इस्तेमाल होने लगे और इसके बारे में बच्चों को जानकारी दी जाए तो फिर देश का भविष्य और बेहतर होगा। इसमें हम पुरातन और आधुनिक दोनों को मिलाकर एक नई चीज़ बच्चों के सामने रख सकते हैं।”
परिवार का सहयोग और सम्मान
कहते हैं कि हर पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला का हाथ ज़रूर होता है और हर सफल महिला के पीछे उसके परिवार का भरपूर साथ होता है। सुरभि भगत की इस सफलता के पीछे उनके परिवार का लगातार साथ मिला है। शादी से पहले मात-पिता का और शादी के बाद पति का। मेहनत अपनी और सहयोग परिवार का, यही वजह है कि लगातार मेहनत और कोशिशों के बाद सुरभि भगत को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है। जिनमें 2014 में साउथ ईस्ट एशिया ईएनजीओ सरीखे कई पुरस्कार शामिल है।
Student Website – www.bhagatsir.com
Website: www.univexcellence.com
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