जंगली जानवरों के लिए 'वरदान' हैं ये पति-पत्नी, फिर से लौटाते हैं जिंदगी
इलाके के शिकारियों और रहवासियों में जंगली जानवरों के सरंक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए डैनियल लगातार काम कर रहे हैं। डैनियल बताते हैं कि इलाके में सिर्फ वयस्क ही नहीं बच्चे भी जानवरों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं रखते और पक्षियों आदि का शिकार करते हैं।
डैनियल बताते हैं कि यहां के लोग परंपरागत तौर पर शिकारी हैं और पीढ़ियों से यह काम करते चले आ रहे हैं और शिकार उनकी आजीविका का अहम हिस्सा बन चुका है।
जानवरों से लगाव रखने वाले बहुत से लोग आपने देखे होंगे या उनके बारे में सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो वक्त के साथ लुप्त हो रहे जानवरों की प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हों। मुंबई के रहने वाले 45 वर्षीय डैनियल मैकवान ने इस काम की जिम्मेदारी उठाई है। पिछले तीन सालों से डैनियल अपनी पत्नी गैलिना के साथ मणिपुर के तामेंगलॉन्ग जिले में रह रहे हैं और वहां के जंगली जानवरों का संरक्षण कर रहे हैं। अभी तक यह जोड़ा कुल 26 जानवरों का संरक्षण कर चुका है। इससे पहले डैनियल मुंबई में बतौर डीजे (डिस्क जॉकी) काम कर रहे थे।
द बेटर इंडिया के मुताबिक डैनियल और गैलिना के काम से प्रभावित होकर, गैलिना के एक रिश्तेदार ने उन्हें जंगल में 20 एकड़ की जमीन दी है, ताकि वे अपनी संरक्षण की मुहिम को ठीक ढंग से आगे बढ़ा सकें। यह जमीन, दोनों के घर से करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर है। डैनियल ने जानकारी दी कि उन्होंने इस जमीन पर जानवरों के लिए घर बनाया है। इस जमीन को और विकसित करने के लिए डैनियल को पैसों की जरूरत है और डैनियल इस जुगत में लगे हुए हैं।
इलाके के शिकारियों और रहवासियों में जंगली जानवरों के सरंक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए डैनियल लगातार काम कर रहे हैं। डैनियल बताते हैं कि इलाके में सिर्फ वयस्क ही नहीं बच्चे भी जानवरों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं रखते और पक्षियों आदि का शिकार करते हैं। इस बात की गंभीरता को समझते हुए डैनियल ने कई गैर-सरकारी संगठनों से संपर्क किया और उनसे किताबों के अनुदान की मांग की, ताकि बच्चों को किताबों के माध्यम से जागरूक किया जा सके। डैनियल के सहयोग में मुंबई के एक संगठन ने हाल ही में 48 किताबों का अनुदान दिया है।
इस इलाके में चाइनीज पैंगोलिन भी पाया जाता है, जिसकी पूरे विश्व में सर्वाधिक तस्करी होती है। आईयूसीएन के मुताबिक, यह प्रजाति लुप्त हो रही है और 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत औपचारिक रूप से इस प्रजाति का संरक्षण किया जा रहा है। इसके बावजूद, इलाके में ग्रामीणों द्वारा पैंगोलिन के मांस और खाल की बिक्री जारी है। ग्रामीणों के बीच मान्यता है कि पैंगोलिन की खाल से मुंहासे से लेकर कैंसर तक किसी भी बीमारी का इलाज हो सकता है।
डैनियल ने बताया कि उन्होंने ग्रामीणों से इस बारे में बात की और उन्हें समझाया कि पैंगोलिन की खाल से इलाज की मान्यता का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इस मसले से जुड़े दूसरे पहलू के बारे में बताते हुए डैनियल ने जानकारी दी कि इस समस्या के पीछे की असल वजह है, रोजगार। पैंगोलिन की खाल और मांस का व्यवसाय करने वालों के पास रोजगार का यह मुख्य स्त्रोत है, जिससे उनकी अच्छी कमाई होती है और इसलिए इस व्यवसाय को छोड़ना, ग्रामीणों के मुश्किल काम है। डैनियल बताते हैं कि यहां के लोग परंपरागत तौर पर शिकारी हैं और पीढ़ियों से यह काम करते चले आ रहे हैं और शिकार उनकी आजीविका का अहम हिस्सा बन चुका है।
डैनियल और उनकी पत्नी ने ग्रामीणों को समझाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उन्हें कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई। इसके बावजूद उनकी कोशिश जारी रही। डैनियल और गैलिना ने शिकारियों से बात कर जानवर खरीदना शुरू किया। कुछ दिनों तक इन जानवरों की देखभाल करने के बाद डैनियल और गैलिना, इन्हें वापस जंगल में छोड़ देते हैं। इस काम का खर्चा वे दोनों खुद ही उठा रहे हैं।
अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए डैनियल बताते हैं कि इलाके में जानवरों के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं और अस्पतालों की भारी कमी है। यहां पर ज्यादातर घायल जानवर, खुले घावों के साथ सड़कों पर दिख जाते हैं। डैनियल और गैलिना खुद मानते हैं कि लोगों की मानसिकता में एक रात में बदलाव नहीं लाया जा सकता और इसलिए वे अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों को ही बड़ी सफलता मानकर आगे बढ़ रहे हैं।
ऐसी ही एक घटना का जिक्र करते हुए डैनियल बताते हैं कि एक दिन, एक महिला, जो कुत्तों के मांस की बिक्री का व्यवसाय करती थी, वह उनके पास आई। उस महिला ने डैनियल से कहा कि वह इस काम को छोड़ना चाहती है और आगे आजाविका चलाने के लिए उसने मदद मांगी। डैनियल और गैलिना ने उसकी संभव मदद की। हाल में यह महिला आर्टिफिशियल जूलरी का व्यवसाय कर रही है। आप डेनियल के काम को उनकी वेबसाइट (http://tamenglonganimalshome.org/) के जरिए भी जान सकते हैं।
सभी फोटो (साभार- द बेटर इंडिया)
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