‘कमाल’ का जज़्बा, साइकिल से 24 दिनों में तमिलनाडु के 32 ज़िलों की यात्रा
कमाल हज ने 24 दिनों के भीतर पूरे राज्य के 32 जिलों की साइकिल से की यात्राइससे पूर्व भी वर्ष 2014 में समूचे चेन्नई में 10 हजार किलोमीटर साइकिल चला चुके हैं कमालसाइकिल से उत्पाद वितरण करने वाले स्टार्टअप ओएमआर पैडल मैसेंजर्स का सफलतापूर्वक कर चुके हैं संचालनसफर के अलावा यात्रा के दौरान स्थानीय बोलियों और खानों पर आधारित वृत्तचित्र का भी कर रहे हैं निर्माण
किसी भी मनुष्य के अंदर पाया जाने वाले, आगे बढ़ने का जज्बा एक अद्भुत अहसास है। जब कोई इंसान भीतर से यह सोच ले कि उसे कुछ करके दिखाना है और फिर उसे पूरा करने के लिये जोश और जुनून ही सारी हदें पार कर दे तो वह दूसरों के लिये एक प्रेरणा बन जाता है। कमाल हज भी एक ऐसे ही इंसान हैं। जब कभी भी मेरे पास 50 हजार रुपये के आसपास की नकदी इकट्ठी हो जाती है मेरे अंदर से एक आवाज आने लगती है। मैं इन रुपयों के साथ क्या कर सकता हूँ?’’ कमाल कहते हैं। और इस बार वे इस क्रम में तमिलनाडु के 32 जिलों की यात्रा पर निकले हैं और वह भी साइकिल पर। और 24 मई 2015 की तारीख तक वे 28 जिलों क सफर पूरा भी कर चुके हैं। इसका मतलब है कि 20 दिनों के भीतर 24 सौ किलोमीटर से भी अधिक दूरी साइकिल पर जिसे अगर बांटा जाए तो प्रतिदिन 120 किलोमीटर। औसतन 15 किलोमीटर प्रति घंटे के आधार पर अगर गणना की जाए तो औसतन प्रतिदिन करीब 8 घंटे साइकिल चलाना। और अगर आप मई के गर्म महीने में तमिलनाडु के हालात के बारे में विचार करें तो इस तरह के काम को अंजाम देने के लिये वास्तव में किस तरह की इच्छाशक्ति की जरूरत है उसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।
कमाल बीते काफी समय से इस कारनामे को करने का विचार कर रहे थे और इस दौरान वे उनका ध्यान स्वयं के द्वारा संचालित स्टार्टअप ओएमआर पैडल मैसेंजर्स के संचालन में लगा हुआ था। उन्होंने इस सेवा का प्रारंभ चेन्नई जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में साइकिल से सेवाएं प्रदान करने के क्षेत्र में मौजूद शून्य को भरने के उद्देश्य से किया था। उन्होंने अपनी इस सेवा की शुरुआत चेन्नई के आईटी केंद्र ओएमआर से थ्रीवनमीर और सिरुसेरी के बीच की। कमाल बताते हैं, ‘‘मैंने इसे अकेले शुरू किया। मैं फोन पर आॅर्डर लेता, फिर साइकिल से जाकर कागजात, पेनड्राईव और जो कुछ भी दिया जाता वह लेता और उसे दिये गये पते पर वितरित करता। ओएमआर पैडल मैसेंजर्स की विशेषता 1 घंटे के भीतर वितरण करने की है। तीन महानों के बाद कमाल को अहसास हुआ कि यह काम स्थाई नहीं है ओर उन्हें मोबाइल बिलबोर्ड एडवर्टाइजिंग के इर्दगिर्द एक नए व्यापार की तरफ खुद को मोड़ना पड़ा। वे कुछ समय तक तो सबकुछ करने में सफल रहे लेकिन सभी कामों को करने वाले अकेले व्यक्ति होने के चलते जल्द ही उनकी हिम्मत जवाब देने लगी। विशेषकर इस वजह से भी क्योंकि इस काम को करने के दौरान वे वाट्स आॅन के साथ एक कंटेंट लेखक के रूप में अपनी दिन की नौकरी भी कर रहे थे।
कमाल कहते हैं, ‘‘इस यात्रा की तैयारियों के तौर पर मैं अपनी नौकरी के बावजूद रोजाना 60 से 100 मिलोमीटर तक साइकिल चलाता था। इसके अलावा वर्ष 2014 में मैं सफलतापूर्वक साइकिल से पूरे चेन्नई में 10 हजार किलोमीटर का सफर पूरा कर चुका हूँ। जबसे मैंने क्यूरा का उपयोग करना शुरू किया और याेरस्टोरी पर विभिन्न लेख पढ़ने शुरू किये तबसे नए कामों को करने का मेरा जज्बा और अधिक बढ़ा है।’’
उनकी इस यात्रा का कोई विशेष प्रयोजन या उद्देश्य नहीं है। ‘‘मैंने 3 मई 2015 को चेन्नई के वेलाचेरी से इस यात्रा को प्रारंभ किया और यह सफर 27 मई 2015 को खत्म हुआ। इससे पहले कोई ऐसा करने में कामयाब नहीं रहा है। एक बार इस सफर को पूरा करने के बाद मैं किसी भी भारतीय प्रदेश के सभी जनपदों की साइकिल ये यात्रा करने वाला पहला व्यक्ति बन जाऊंगा। और इस बार तो समूचे तमिलनाडु के 32 जिले हैं।’’ अपनी यात्रा के एक और अनोखे और छिपे हुए पहलू के बारे में बताते हुए कमाल कहते हैं कि उनकी यह यात्रा सिर्फ राजमार्ग के किनारे साइकिल चलाने तक सीमित नहीं है। उनकी यह यात्रा ग्रामीण इलाकों के मध्य से गुजरते हुए स्थानीय बोलियों और खानों का स्वाद लेने का भी एक जरिया है। वे आगे कहते हैं, ‘‘दिल से फिल्म निर्माता होने के नाते मैं यात्रा के साथ-साथ एक वृत्तचित्र भी तैयार करता चल रहा हूँ।’’
कमाल अपने रोजमर्रा के जीवन से मुक्ति पाने और कुछ नया करने के प्रयास के तौर पर इस तरह के सफर पर निकलते रहते हैं। ‘‘मैं गौरव सिद्धार्थ, कार्तिक वर्मा और मार्क ब्यूमोंट जैसे लोगों से काफी प्रेरित हेाता हूँ जिन्होंने औसत मानव सीमा के परे जाते हुए साइकिल की लंबी यात्राओं को सफलतापूर्वक पूरा किया। इसके अलावा मैं भीतर से खुद की तलाश में भी यात्रा करता हूँ।’’ कमाल का कहना है कि यह तो बस एक शुरुआत है। भविष्य में वे कन्याकुमारी से रण के कच्छ से लेकर श्रीनगर से आइज़वाल से लेकर हैदराबाद से लेकर चेन्नई तक भी यात्रा साइकिल से करना चाहते हैं। और वे इसे लेकर काफी आश्वस्त हैं। वे कहते हैं, ‘‘ऐसा होकर रहेगा। मैं यह साबित करना चाहता हूँ कि मैं ऐसा भी कर सकने में सक्षम हूँ। इसी वजह से मैंने इसे करने की ठानी है।’’
कमाल अपने पैतृक राज्य को लेकर काफी गर्वांवित महसूस करते हैं और उनका कहना है कि लोग साइकिल से क्राॅस कंट्री और दुनिया भी की यात्रा पर तो निकलते हैं लेकिन शायद ही कोई अपने स्वयं के राज्य की यात्रा के बारे में सोचता भी हो। इसके अलावा वे अपनी यात्राओं के जरिये दुनिया के सामने यह भी साबित करना चाहते हैं कि तमिलनाडु में भी एक से बढ़कर एक और लीक से हटकर पर्यटन स्थल मौजूद हैं। कमाल कहते हैं, ‘‘अपने बचपन से ही मैं दूसरों से कुछ अलग करने में यकीन करता था। इसी वजह से मैंने लाॅयोला काॅलेज से दृश्य संचार की पढ़ाई की और अपना व्यवसायिक जीवन शुरू किया। इसी वजह से मैं हमेशा ही साइकिल चलाने के साथ-साथ फिल्म निर्माण का काम भी करता रहता हूँ। यह सब अपने आप हो रहा है।’’
इस तरह से वे अपनी इन यात्राओं के माध्यम से बहुत कुछ बदलने का इरादा भी रखते हैं। कमाल कहते हैं, ‘‘मैं बहुत से बदलाव लाने की कामना रखता हूँ। मैं बहुत कुछ नया करना चाहता हूँ। मैं लोगों की असभ्य और बीहड़ मानसिकता को बदलना चाहता हूँ। अपने स्टार्टअप के माध्यम से, अपनी पहली संपूर्ण भारत की फिल्म के माध्यम से मैं ऐसा करने में सफल रहूंगा। अपने इस सफर के बाद वे एक नई कंपनी शुरू करने का विचार कर रहे हैं और उनके पास नए विचारों की कोई कमी नहीं है। भारतीय शहरों को दर्शाने वाली एक वीडियो कंटेंट कंपनी शुरू करने के अलावा वे क्यूआर आधारित एक विज्ञापन कंपनी शुरू कर सकते हैं या फिर मधुमेह के रोगियों के लिये किसी उत्पाद पर भी काम शुरू कर सकते हैं। हो सकता है कि ये विचार दुनिया से अलग हों या आने वाले दिनों में असफल साबित हो लेकिन कमाल का जज्बा सराहनीय है। निकट भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए वे कहते हैं, ‘‘में अपने इस यात्रा वृत्तचित्र को जल्द ही रिलीज़ करना चाहता हूँ। हालांकि मेरे पास इस काम के लिये आवश्यक धन नहीं है लेकिन मेरे पास हिममत है और अपने परिवार और मित्रों का साथ है।’’