अलग तरह की यात्राएं करनी है तो जुड़िए 'Thrillophilia', हर महीने जुड़ रहे हैं 22 सौ नए ग्राहक...
हर महीने 22 सौ से ज्यादा ग्राहक जुड़ते हैं Thrillophilia सेबैंगलौर से संचालित Thrillophilia का कारोबारThrillophilia की टीम में 18 लोग
किसी भी काम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए जरूरत होती है कठिन मेहनत की और उस काम के प्रति समर्पण की। तभी तो बैंगलौर में रहने वाले युगल ने जब पर्यटन से जुड़े Thrillophilia को शुरू किया तो कठिन मेहनत के सहारे उसे इस मुकाम तक पहुंचा दिया कि आज कई दूसरी कंपनियां इसमें निवेश के रास्ते तलाश रही हैं। पति पत्नी की इस जोड़ी अभिषेक डागा और चित्रा डागा की कंपनी का मुख्यालय बैंगलौर में है जबकि इसकी सीधी पहुंच देश के 72 शहरों में है। इसके अलावा कंपनी के साथ 450 से ज्यादा लोगों ने स्थानीय स्तर पर गठबंधन किया हुआ है।
अलग अलग तरह की यात्राओं की योजना बनाने में माहिर Thrillophilia में साल 2011 में एक अमेरिकी कंपनी ने निवेश किया था। जिसके बाद हाल के दिनों में इस कंपनी में एक बार फिर कुछ कंपनियों ने मिलकर करीब 2 लाख डॉलर का निवेश किया है। जो इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि कंपनी कितने बड़े पैमाने पर अपने काम को अंजाम दे रही है। कंपनी हर महिने 22सौ से ज्यादा ग्राहकों को अपनी सेवाएं दे रही है जबकि उसकी योजना इस काम को 6 हजार ग्राहक हर महीने ले जाने की है।
दूसरी कई कंपनियों की तरह Thrillophilia की शुरूआत भी छोटे स्तर पर हुई थी। इस कंपनी को खड़ा करने के लिए अभिषेक और चित्रा ने अपनी बचत को इसमें लगा दिया था। शुरूआत में पैसे की दिक्कत के कारण दोनों ने तय किया था कि वो नौकरी के साथ साथ इस काम को भी जारी रखेंगे जब तक की कंपनी को मुनाफा नहीं होता। इतना ही नहीं इन लोगों ने कंपनी को अपने घर से शुरू करने का फैसला लिया। चित्रा ने अपनी पढ़ाई इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से पूरी की और इस काम के कारण ही उन्होने कैम्पस प्लेसमेंट में हिस्सा नहीं लिया। तो दूसरी ओर अभिषेक कॉरपोरेट जगत में नौकरी करते रहे और अच्छी तनख्वाह पाते जिससे उनका घर चलता। जल्द ही उनकी कंपनी को जब मुनाफा होने लगा और निजी निवेशक उनकी कंपनी में निवेश करने लगे।
कंपनी की संस्थापक चित्रा के मुताबिक उनको दूसरे उद्यमों की तरह निवेश पाने के लिए ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। क्योंकि वो विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहती थीं। जिनका आयोजन सीआईआई अहमदाबाद कराता था। इसके अलावा वो आईएसबी की छात्र थी इस कारण वो उद्यमियता से जुड़ी प्रतियोगिताओं के बारे में जानकारी लेते रहती थी। उन्होने Bizquest में हिस्सा लिया जिसका आयोजन टीआईई और आईएसबी ने मिलकर किया था। जहां पर निवेश की राशि 1 करोड़ रुपये रखी गई थी। इस प्रतियोगिता में इनका चयन हो गया था जहां पर इन्होने कई तरह से निवेश की संभावनाओं को टटोला। जिसके बाद ये आगे बढ़ते गए और इनकी कंपनी में निवेश भी बढ़ता गया।
Thrillophilia की आय का मुख्य स्रोत कॉरपोरेट जगत है लेकिन इन लोगों का मानना है कि बी2सी के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। चित्रा के मुताबिक अगर कोई सैलानी गोवा या राजस्थान जाना चाहता है तो वो विभिन्न गतिविधियों के जरिये उस जगह की खुशबू को महसूस करना चाहता है वो केवल दर्शनीय स्थलों को ही नहीं देखना चाहता। जबकि पर्यटकों को ऐसी गतिविधियों से रूबरू कराने के लिए कोई व्यापक प्लेटफॉर्म नहीं है और अगर कहीं थोड़ा बहुत है भी तो उस पर उसे अलग से टिकट लेना होता है। सैलानियों की इस समस्या को देखते हुए ये आने वाले समय में अपना ध्यान इस ओर लगाना चाहते हैं। अभिषेक के मुताबिक ‘हम अपना ध्यान सैलानियों को स्थानीय चीजों के बारे में जानकारी देने में लगाना चाहते हैं। इसके अलावा ऐसी यात्राएं जो हों भले ही छोटी लेकिन सैलानियों के लिए यादगार लम्हा बन जाए।’
हालांकि Thrillophilia की असली ताकत बी2बी बिजनेस मॉडल ही है यही कारण है कि निकट भविष्य में इन लोगों की योजना अपने साथ कॉरपोरेट ग्राहकों की संख्या को 250 के पार पहुंचाना है। फिलहाल बेंगलौर से चल रही इस कंपनी में 18 लोग काम कर रहे हैं। अभिषेक के मुताबिक वो अब अपने काम में तजुर्बे को ज्यादा तवज्जो देते हैं। पति पत्नी मिलकर जब कोई कंपनी चलाते हैं तो जाहिर है उनके बीच कुछ मतभेद भी होते होंगे। इस मसले पर चित्रा का कहना है कि करीब हर मामले में चाहे वो घर के हों या ऑफिस के दोनों के बीच मतभेद रहते हैं और ये काम का हिस्सा है। हालांकि दोनों ने विभिन्न कामों के लेकर बंटवारा किया हुआ है। इस कारण कोई भी एक दूसरे के काम में दखल नहीं देता। दोनों एक दूसरे को कंपनी के सह-संस्थापक के तौर पर सम्मान देते हैं। इस मामले में अभिषेक का मानना है कि निजी और पेशेवर जिंदगी में थोड़ा अंतर होता है लेकिन उनकी जिंदगी में वो भी नहीं है। ये लोग अपने कारोबार को लेकर काफी बातचीत करते हैं फिर चाहे वो अपने घर पर हों या कहीं छुट्टियां बिता रहे हों।