पटना का एक स्टार्टअप खेती की लागत में 10-15 प्रतिशत बचत करने में करता है किसानों की मदद
ड्यूपॉन्ट-पायनियर, बायर, सिंजेन्टा, यूपीएल, पंत नगर विश्वविद्यालय और सेमिनिस जैसी कंपनियां ग्रीन एग्रीवोल्यूशन (स्टार्टअप) के माध्यम से बीज, उर्वरक, कीटनाशक और खेती से संबंधित उत्पादों को ऑनलाइन बेचती हैं। साथ ही कृषि उत्पाद के खरीदारों/हितधारकों में आईटीसी, गोदरेज, न्यूट्रिक्राफ्ट, डूटर्रा, कारगिल, रिलायंस ताजा, मिलर ऑफ पार्ले और आम्रपाली जैसे नाम भी शामिल हैं। ग्रीन एग्रीवोल्यूशन का उद्देश्य ओडिशा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 350 से अधिक DeHaat सूक्ष्म उद्यमियों का नेटवर्क स्थापित करना है।
खेती की पृष्ठभूमि से आने वाले पटना के शशांक कुमार वैसे तो किसानों की परेशानियों से परिचित थे, लेकिन किसानों के साथ आईआईटी दिल्ली के छात्रों की बातचीत ने उन्हें अपने घर आने और किसानों की अत्यंत कम आमदनी की पीड़ा का परिमाण जानने के लिए प्रेरित किया। घर आने के बाद उन्होंने Beacon Advisory Services के साथ आपूर्ति श्रृंखला, खुदरा श्रृंखला और FMCG के बारे में ग्राहकों के साथ बातचीत करने जैसे विषयों पर ढाई साल तक काम किया। इस कार्यकाल के दौरान ही वे संस्थागत खरीदारों के द्वारा कृषि उत्पाद सीधे किसानों से खरीदने में और उनके सामने आने वाली बाधाओं को को गंभीरता से लेने लगे और उनकी ये दिलचस्पी उनके स्टार्टअप को खड़ा करने में मददगार साबित हुई।
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शशांक ने 2010 में फर्मनफार्मर्स (FnF) का सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1861 के तहत पंजीकृत कर के शुभारंभ किया और किसानों को फसलों के पैटर्न और कृषि उत्पाद की बिक्री के बारे में जानकारी प्रदान करके अधिक आकर्षक फसलों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसकी मदद से प्रति यूनिट क्षेत्र में किसानों के मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है।
शशांक कुमार ने अपने स्टार्टअप को शुरू करने से पहले किसानों के साथ लगातार काम करके छोटे और सीमांत किसानों के सामने कृषि मूल्य श्रृंखला के प्रत्येक चरण पर आने वाली मुश्किलों को समझा। शशांक का ध्यान विभिन्न कृषि आवश्यकताओं के लिए कई चैनलों पर छोटे किसानों की निर्भरता पर गया, जैसे- फसल सलाह, सूचना, कृषि इनपुट, कृषि उत्पाद से बाजार का संबंध और कैसे कठिन मूल्य श्रृंखला की सेवाओं के कारण वे कम उत्पादकता और लाभ का अनुभव करते हैं। उनकी दूसरी बड़ी चिंता किसानों और इनपुट कंपनियों, निर्माताओं, संस्थागत खरीदार और वित्तीय संस्थानों जैसे विभिन्न कृषि आधारित हितधारकों के बीच की बहुत बड़ी दूरी होनी थी।
30 वर्षीय शशांक कहते हैं, ‘इस प्रकार का कोई व्यवस्थित तरीका नहीं है, जिसकी मदद से किसानों को निर्धारित फसल उत्पादन, बीज या अन्य दिये गये इनपुट का फीडबैक जानने के लिए दूसरे किसानों के साथ प्रत्यक्ष संचार स्थापित किया जा सकता हो।’ बाद में शशांक के स्टार्टअप के साथ उनके मित्र मनीष कुमार (आईआईटी खड़गपुर से एमएससी), अमरेन्द्र सिंह (एनआईटी जमशेदपुर के कंप्यूटर इंजीनियर), श्याम सुंदर सिंह (आईआईटी खड़गपुर से बीटेक), आदर्श श्रीवास्तव (आईएसएम धनबाद के मैकेनिकल इंजीनियर) और अभिषेक डोकानिया (आईआईपीएम से एमबीए) भी जुड़ गये।
नई कंपनी का गठन
इस स्टार्टअप टीम ने 2012 में छोटे किसानों की पहुंच समग्र कृषि सेवाओं तक बिना किसी परेशानी के सुनिश्चित करने के लिए ग्रीन एग्रीवोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया और अंततः DeHaat के साथ किसानों को 360 डिग्री कृषि सेवाओं के साथ बेहतर वितरण सुविधा प्रदान करने के लिए DeHaat अस्तित्व में आयी।
DeHaat के द्वारा मृदा परीक्षण, फसल-योजना, कृषि इनपुट, किसानों का प्रशिक्षण, खरीदे गए इनपुट के आधार पर फसल-सलाह, प्रासंगिक जानकारी और कृषि उत्पाद का बाजार से लिंकेज जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। प्रत्येक DeHaat छह से आठ किलोमीटर के एक क्षेत्र में 1,000 किसानों को अपनी सेवाएं देता है और ये स्थानीय सूक्ष्म-उद्यमियों (जिसे 'Vendor' भी कहा जाता है) और फार्मर प्रोडूसर आर्गेनाईजेशन (FPOs) द्वारा चलाया जाता है। ये स्टार्टअप अपने विक्रेताओं को एक टैब्लेट देता है, जो कि एक एप्लीकेशन के माध्यम से कृषि संबंधी प्रश्नों को संगृहीत करता है और संपूर्ण समाधान प्रदान करता है और साथ ही कृषि इनपुट भी जो बाजार से 10-12 फीसदी सस्ता होता है।
ये स्टार्टअप एक ICT (इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) आधारित प्लेटफॉर्म है
ये आईसीटी आधारित मंच एक बाज़ार के रूप में कार्य करता है, जो छोटे किसानों को उनकी विभिन्न जरूरतों जैसे- बीज, उर्वरक, उपकरण, फसल सलाहकार और कृषि उत्पाद का बाजार से लिंकेज जैसी सुविधाओं से सूक्ष्म उद्यमियों के एक नेटवर्क के माध्यम से जोड़ता है। इसमें अब तक 400 से अधिक कृषि इनपुट्स को सूचीबद्ध किया गया है। DeHaat किसानों को स्थानीय भाषा में वॉइस कॉल के माध्यम से समय समय पर फसल से सम्बंधित सूचनाएं देता रहता है। इस प्रकार उन्हें इनपुट की सही खुराक के साथ फसल और कीट-प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रचलित पद्धतियों के बारे में भी सूचित किया जाता है।
DeHaat का ICT फीचर a12bc34de56fgmedium"/>
DeHaat के टोल फ्री नंबर पर, किसान प्रश्न पूछ सकते हैं, जो संबंधित DeHaat केंद्रों व सूक्ष्म-उद्यमियों तक पहुँचता है
इस स्टार्टअप के पास बिहार और ओडिशा में पांच नोड हैं और 30 DeHaat केंद्र हैं, जिनके माध्यम से 10,200 किसानों को सेवायें दी जा रही हैं। भौगोलिक दृष्टि से उन्होंने बिहार के 11 जिलों और ओडिशा के दो जिलों को कवर किया है। इस के साथ ही वे उत्तर प्रदेश में कुछ पायलट परियोजनाओं और दिल्ली-एनसीआर के आसपास के खेती वाले क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
ये स्टार्टअप किसानों को संबंधित सूक्ष्म उद्यमियों से संपर्क करने की सुविधा भी देता है, जिससे कि वे विभिन्न मौसमों में कीट नियंत्रण बारे में जानकारी हासिल कर सकें। DeHaat एप्लीकेशन फसल और कृषि आधारित प्रश्नों को संग्रहीत करता है, जो अनुसंधान एवं विकास दल द्वारा समाधान में परिवर्तित कर दिए जाते हैं। अन्त में, किसान उत्पाद को अपने संबंधित DeHaat पर ले आते हैं और वहां सूचीबद्ध 50 से अधिक संस्थागत खरीदारों (एफएमसीजी, रिटेल चेन और निर्यातकों) से सीधे जुड़ कर अपने उत्पाद का विक्रय कर सकते हैं। DeHaat के टोल फ्री नंबर पर किसान अपने प्रश्न पूछ सकते हैं, जो संबंधित DeHaat केंद्रों व सूक्ष्म-उद्यमियों तक पहुंचता है और जिसकी सूचना नोड्स में भी पहुंच जाती है। कंपनी ने विभिन्न क्षेत्रों में भंडारण सुविधाओं के साथ नोडल कार्यालय स्थापित किये हैं, जो DeHaat के सभी सूक्ष्म उद्यमियों को संचालन और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं। प्रत्येक नोड में 25 DeHaat केंद्रों और सूक्ष्म उद्यमियों की आवश्यकताएं पूरी करने की क्षमता है।
DeHaat बदल रहा है किसानों की ज़िन्दगी
ग्रीन एग्रीवॉल्यूशन की शुरुआत 15 लाख रुपये की मूल पूंजी और किसानों को नए कृषि पद्धतियों और कृषि इनपुट्स अपनाने के लिए प्रेरित करने, विभिन्न कीटों और बीमारियों के हमलों, फसल पैटर्न और किसानों की इनपुट खपत के पैटर्न से संबंधित विश्वसनीय डेटा की अनुपलब्धता जैसी चुनौतियों के साथ हुई थी। नवाचार पर लगातार फोकस ने किसानों को प्रभावित किया और खेती के उत्पादन पर प्रभावी परिणाम प्राप्त हुआ। शशांक कहते हैं, कि कृषि उत्पादन पर कुछ प्रभावों को प्रकाश में ला कर, कृषि इनपुट्स की खरीद पर किसानों ने 10 से 15 प्रतिशत खर्च बचाया। साथ ही कृषि उत्पादकता में 20 प्रतिशत वृद्धि और उत्पादों में 12 से 15 प्रतिशत बेहतर मूल्य प्राप्त हुआ।
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ड्यूपॉन्ट-पायनियर, बायर, सिंजेन्टा, यूपीएल, पंतनगर विश्वविद्यालय और सेमिनिस जैसी कंपनियां ग्रीन एग्रीवोल्यूशन (स्टार्टअप) के माध्यम से बीज, उर्वरक, कीटनाशक और खेती से संबंधित उत्पादों को ऑनलाइन बेचती हैं। साथ ही कृषि उत्पाद के खरीदारों/हितधारकों में आईटीसी, गोदरेज, न्यूट्रिक्राफ्ट, डूटर्रा, कारगिल, रिलायंस ताजा, मिलर ऑफ पार्ले और आम्रपाली जैसे नाम शामिल हैं।
ग्रीन एग्रीवोल्यूशन के राजस्व में कृषि उत्पाद का विपणन शामिल है (जो कि शशांक के अनुसार 70 प्रतिशत राजस्व उत्पन्न करता है), इसके अतरिक्त कृषि इनपुट्स और सलाह से भी आय होती है। ये भी दावा किया गया है, कि वित्त वर्ष 2015-16 में ग्रीन एग्रीवोल्यूशन ने 7 करोड़ रुपये की एक शीर्ष लाइन हासिल की है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में हर महीने 1 करोड़ रुपये का राजस्व लगातार प्राप्त हुआ है।
ये स्टार्टअप 32 लोगों की टीम के रूप में कार्य करता है। 2014 तक संस्थापक टीम द्वारा निवेश के बाद, कंपनी ने हाल ही में रूरल इनोवेशन फण्ड (RIF) के तहत नाबार्ड से धन प्राप्त किया है। 2015 में इन्होंने एक एंजेल इन्वेस्टर से 2 करोड़ रुपये जुटाये। ग्रीन एग्रीवोल्यूशन का उद्देश्य ओडिशा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 350 से अधिक DeHaat सूक्ष्म उद्यमियों का नेटवर्क स्थापित करना है।
कृषि क्षेत्र की दिशा क्या है?
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 फसल वर्ष में भारत का खाद्यान्न उत्पादन मामूली रूप से बढ़कर 252.23 मिलियन टन हुआ था। भारत में कृषि और संबंधित क्षेत्रों का सकल घरेलू उत्पाद वित्त वर्ष 2014 में $ 259.23 अरब दर्ज किया गया, जो कि वित्त वर्ष 2014 में 132.71 डॉलर था। समग्र विकास बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र की सहभागिता, बढ़ती जैविक खेती और प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग को श्रेय दिया जाता है। कृषि सेवाओं और मशीनरी क्षेत्रों ने सामूहिक रूप से अप्रैल 2000 से दिसंबर 2015 तक $ 2,261 मिलियन के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को आकर्षित किया।
साथ ही BigHaat नामक एक कृषि-वाणिज्य स्टार्टअप, किसानों को बाज़ार के प्लेटफॉर्म के माध्यम से गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट और सामान प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है। ये स्टार्टअप छोटे किसानों के लिए आधुनिक तकनीक वाली मशीनरी और उपकरण किराये पर उपलब्ध कराता है, जिनके लिए मंहगी मशीनरी और उपकरण खरीद पाना सम्भव नहीं है। उधर जयलक्ष्मी एग्रोटेक का क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी में फसल-विशिष्ट ऐप, किसानों को फसल की हानि को कम करने और उत्पादकता में सुधार लाने में मदद करता है। इस तरह कई ऐसे लोग हैं, जो अपनी छोटी-छोटी कोशिशों के रूप में किसानों की ज़िंदगी को बदलने के कई बड़े प्रयास कर रहे हैं। हालांकि फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कृषि का मशीनीकरण अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के 95 प्रतिशत, रूस के 80 प्रतिशत, ब्राजील के 75 प्रतिशत और चीन के 48 प्रतिशत के मुकाबले मात्र 40 प्रतिशत है।
आप भी यदि ग्रीन एग्रीवोल्यूशन से जुड़ना चाहते हैं या फिर इस स्टार्टअप के बारे में और अधिक जानकारी इकट्ठा करना चाहते हैं, तो इनकी वेबसाइट Green Agrevolution पर जायें।
-प्रकाश भूषण सिंह
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