Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

80 हज़ार बेसहारा बच्चों की जिंदगी बदलने वाली लेडी डॉक्टर

वो महिला डॉक्टर जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के 29 साल दे दिये बेसहारा बच्चों को...

80 हज़ार बेसहारा बच्चों की जिंदगी बदलने वाली लेडी डॉक्टर

Monday January 15, 2018 , 5 min Read

डॉ. नायर पिछले छह दशकों से बच्चों के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने गूंगे और बहरों के एसोसिएशन में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। उनकी बेटी मीरा नायर काफी फेमस फिल्ममेकर हैं जिन्होंने सलाम बालक के नाम से फिल्म भी बनाई थी। 

डॉ. नायर, फोटो साभार: <a href=

डॉ. नायर, फोटो साभार: 

salaambaalaktrusta12bc34de56fgmedium"/>

 सलाम बालक के नाम से फिल्म भी बन चुकी है। डॉ. नायर और संजॉय रॉय ने 1988 में 25 बच्चों और 3 स्टाफ के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जीआरपी द्वारा उपलब्ध कराई गई छोटी सी जगह से सलाम बालक ट्रस्ट की स्थापना की थी।

कभी सोचा है कि सड़क पर कचरा बीनते हुए, किसी दुकान पर काम करते हुए बच्चों के चेहरे पर पसरी बेबसी और लाचारी के पीछे क्या वजह रहती होंगी? कभी उनकी जिंदगी को समझने की कोशिश की है? अगर आपने कभी गौर किया होगा तो पाया होगा कि इन बच्चों के भीतर भी कुछ करने और बनने के सपने होते हैं। लेकिन दो वक्त की रोटी जुटाने की जद्दोजहद में जिंदगी उनसे ये सब करवाती रहती है। आज से 29 साल पहले दिल्ली में इन बच्चों की मदद करने के वास्ते एक ट्रस्ट की स्थापना हुई थी जिसका नाम था, सलाम बालक ट्रस्ट। मकसद था, पिछड़े और बेसहारा बच्चों को मजबूरी में करने वाले काम से निजात दिलाना, उनकी शिक्षा, खाने पीने का प्रबंध करना और सबसे बड़ी बात उन्हें प्यार देना।

इस ट्रस्ट की एक फाउंडर मेंबर हैं डॉ. प्रवीण नायर। डॉ. नायर पिछले छह दशकों से बच्चों के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने गूंगे और बहरों के एसोसिएशन में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। उनकी बेटी मीरा नायर काफी फेमस फिल्ममेकर हैं जिन्होंने सलाम बालक के नाम से फिल्म भी बनाई थी। डॉ. नायर और संजॉय रॉय ने 1988 में 25 बच्चों और 3 स्टाफ के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जीआरपी द्वारा उपलब्ध कराई गई छोटी सी जगह से सलाम बालक ट्रस्ट की स्थापना की थी। आज सलाम बालक ट्रस्ट के पास 6 शेल्टर होम हैं। बच्चों के लिए काम करने की लगन की वजह से ही नायर आज ये सब कुछ कर पाई हैं।

जो बच्चे बेघर होते हैं और जिनका कोई सहारा नहीं होता उन्हें सलाम बालक शेल्टर देता है और उनकी देखभाल करता है। ये ट्रस्ट बच्चों की देखभाल के लिए अच्छे स्टैंडर्ड अपनाता है। यहां अच्छा खाना मिलता है, खेलने और रहने की अच्छी सुविधाएं है। पढ़ाई का भी खर्च ये संस्था ही उठाती है। इन बच्चों को आधुनिक शिक्षा दी जाती है। दिल्ली-NCR में इस ट्रस्ट के 25 सेंटर्स हैं, जहां हर साल साढ़े आठ हजार बच्चों की देखभाल की जाती है। दिल्ली में बच्चों के रहने के लिए 6 बड़े शेल्टर हैं। जिनमें अप्सरा, अपना घर, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ओपन शेल्टर और डीएमआरसी होम (लड़कों के लिए) , आरुषि और रोज होम (लड़कियों के लिए)।

इन शेल्टरों पर अच्छा वातावरण के साथ, खाने कपड़े और मेडिकल सुविधाएं दी जाती हैं। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनकी काउंसिलिंग भी की जाती है। बच्चों को अच्छी तरह से स्कूल भेजा जाता है। ट्रस्ट के द्वारा समय-समय पर हेल्थ कैंप लगाए जाते हैं। बच्चों के पूर्ण विकास के लिए खेल प्रतियोगिताएं, एजुकेशनल टूर, कल्चरल इवेंट्स का भी आयोजन किया जाता है। डॉय नायर का मानना है कि शिक्षा के साथ ही उन्हें स्किल्स भी दी जानी चाहिए जिससे कि वे अपनी लाइफ सही से बिता सकें। इसीलिए बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग भीदी जाती है। इससे भविष्य में बच्चों को रोजगार पाने में आसानी होगी।

बच्चों ने सबसे ज्यादा मल्टी मीडिया एनिमेशन, फिल्म एडिटिंग, थिएटर, म्यूजिक, डांस, फोटोग्राफी और ग्राफिक डिजाइन जैसी स्किल्स को सीखने में रुचि दिखाई। इसके अलावा भी ट्रस्ट द्वारा कई सारी पहलें आयोजित की जाती हैं। सलाम बालक ने डे केयर सेंटर के जैसे ही कॉन्टैक्ट पॉइंट बना रखे हैं। जो कि रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप मार्केट और स्लम जैसी जगहों पर होते हैं। वर्तमान में ऐसे 21 कॉन्टैक्ट पॉइंट हैं। ट्रस्ट साल भर में 5,000 से भी ज्यादा बच्चों की देखभाल करता है। ट्रस्ट की ओर से सिटी वॉक प्रोग्राम भी करवाया जाता है। जिसमें टूर गाइड के माध्यम से उन्हें शहर के बारे में परिचित कराया जाता है।

राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार ग्रहण करतीं डॉ. प्रवीण

राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार ग्रहण करतीं डॉ. प्रवीण


मेंटल हेल्थ प्रोग्राम

इसकी शुरुआत 2003 में हुई थी। इसके जरिए स्ट्रीट के बच्चों की मानसिक स्थिति सुधारने का काम किया जाता है। सलाम बालक ट्रस्ट 1098 चाइल्ड केयर हेल्पलाइन का भी संचालन करता है। यह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन और नई दिल्ली डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल से संचालित की जाती है। सलाम बालक ट्रस्ट ने कई बच्चों के जीवन में रंग भरे हैं। पिछले 29 सालों में इस संगठन ने 81,791 बच्चों की मदद की है वहीं 21,323 को रहने के लिए शेल्टर दिया है। आज भी 10,630 बच्चे सलाम बालक ट्रस्ट की वजह से स्कूल जा रहे हैं। वहीं 1,047 बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग देकर नौकरी दिलाई गई है।

इस ट्रस्ट को कई सारे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। जिसमें 2003 में बाल कल्याण में किए गए सर्वश्रेष्ठ काम के लिए दिल्ली राज्य पुरस्कार, 2004 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेन्स द्वारा चिरायुष्य सम्मान 2012 में बाल कल्याण के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं। 28 अक्टूबर 2017 में डॉ. प्रवीण नायर को महिला और बाल विकास करने के लिए जमनालाल बजाज अवॉर्ड दिया चुका है। वह यह पुरस्कार पाने वाली 40वीं व्यक्ति थीं।

यह भी पढ़ें: महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड मशीन लगाने वाला पहला रेलवे स्टेशन बना भोपाल