अध्यापकों, अभिभावकों और बच्चों के विकास के लिए एक मंच 'Scootalks'
जयपुर आधारित ’स्कूटाॅल्क्स’ के माध्यम से अभिभावक अन्य अभिभावकों और अध्यापकों के संपर्क में रहकर कर सकते हैं बच्चों के विकास की समीक्षाअभिभावकों और अध्यापकों को आपस में जोड़ने के लिये वेब, एंड्राॅयड और आईओएस आधारित संचार उपकरणों और एप्लीकेशनों का समावेश है ’स्कूटाॅल्क्स’वर्तमान में राजस्थान के 19 स्कूलों के 6 हजार से भी अधिक अभिभावक कर रहे हैं सफलतापूर्वक उपयोगआने वाले दिनों में दिल्ली, मुंबई और गुड़गांव के स्कूलों को अपने साथ जोड़ने का कर रहे हैं प्रयास
हममें से अधिकतर ने अपने जीवन में कभी न कभी खुद को ऐसे दोराहे पर खड़ा पाया है जब हम वो करना चाहते हैं जिसे करने का हमें विश्वास होता है। एक समय ऐसा आया जअ बहुल चंद्र ने भी खुद को कुछ ऐसी ही स्थितियों के बीच पाया। अपने उद्यम Dotsquare.com के माध्यम से अमरीका, ब्रिटेन और आॅस्ट्रेलिया में फैले अपने 2 हजार से भी अधिक उपभोक्ताओं के लिये एक हजार से भी अधिक वेब सिस्टम और 2000 से भी अधिक एप्लीकेशन तैयार करने के बाद आखिरकार बहुल ने वह करने का फैसला किया जो वे करना चाहते थे।
वर्ष 2014 में क्रिसमस के दिनों में बहुल और प्रशांत जयपुर में अपने परिवार के साथ छुट्टियों का आनंद ले रहे थे तभी एक दिन दोपहर के भोजन के समय बहुल के पास एक फोन आया। वह फोन उनके बेटे को उसके एक सहपाठी के जन्मदिन की पार्टी के लिये आमंत्रित करने के लिये था। हालांकि उनके बेटे के मेलजोल बढ़ाने के लिहाज से यह एक अच्छा मौका था लेकिन बहुत उनके उस मित्र को पहचानने में असफल रहे और उन्हें अपने बेटे को उस पार्टी में भेजने में कुछ संकोच हो रहा था।
बस इसके बाद यह जोड़ी इसी विषय पर बातचीत करने में लग गई। उन्हें यह महसूस हुआ कि भारत में ऐसा कोई मंच मौजूद नहीं है जो बच्चों के अभिभावकों को दूसरे बच्चों के अभिभावकों के साथ दिन-प्रतिदिन सीधा संपर्क रखने में मददगार हो। यहां पर नेटवर्किंग की भी भारी कमी थी और स्कूलों से संबंधित वार्ताएं भी बहुत गिनीचुनी थीं जो सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही आयोजित होती थीं। और परिणति स्वरूप सामने आया अभिभावकों के लिये एक सोशल नेटवर्किंग मंच Scootalks (स्कूटाॅल्क्स)।
सात और तीन वर्ष के दो बच्चों के पिता बहुत हमें बताते हैंः
‘‘हमनें अपने इस विचार के बारे में कुछ अभिभावकों से साथ बातचीत की तो हमें इस बात का अहसास हुआ कि कुछ बच्चों की माताओं ने अपने बच्चों के विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिये व्हाट्सएप्प पर ग्रुप बनाए हुए हैं जहां वे आपस में एक-दूसरे के साथ संपर्क में रहती हैं। इसके साथ ही हमें यह भी अहसास हुआ कि इस मामले में पिताओं की भूमिका दिन-प्रतिदिन सीमित होती जा रही है। नतीजतन हम बच्चों के अध्यापकों सहित उनसे संबंधित सभी व्यक्तियों को एक ही छत के नीचे लाना चाहते थे और एस दौरान हम स्कूलों में बहुप्रचलित ‘डायरी संस्कृति’ को पीछे छोड़ते हुए संचार को सरल बनाना चाहते थे।’’
जून 2015 में स्वतंत्र रूप से प्रचलन में आया स्कूटाॅल्क्स एक ऐसी सामुदायिक कम्युनिटी तैयार करता है जो बच्चों के अभिभावकों और और अध्यापकों को आपस में जोड़ने के लिये वेब, एंड्राॅयड और आईओएस आधारित संचार उपकरण और एप्लीकेशनों से समाहित है। इसके सहसंस्थापकों प्रशांत गुप्ता और बहुल चंद्र के अनुसार मूल्य परिवर्धन सेवाओं के एकत्रीकरण के रूप में सामने आता है और अभिभावक भी ब्लाॅग और पोस्ट्स के माध्यम से सीखते और आपस में सहयोग करते हैं।
जयपुर में स्थित सेंट ज़ेवियर्स स्कूल स्कूटाॅल्क्स को अपनाने वाला प्रारंभिक स्कूल है और वर्तमान में राजस्थान के 19 विभिन्न स्कूल इस उत्पाद का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं। फिलहाल करीब 6 हजार उपभोक्ता इस मंच का भुगतान करके प्रयोग कर रहे हैं और इनकी योजना आने वाले कुछ महीनों में इस संख्या को बढ़ाकर 2.3 लाख तब ले जाने की है।
1.5 करोड़ रुपये के प्रारंभिक निवेश के साथ स्थापित हुआ यह उद्यम 8 विभिन्न माॅड्यूलों का समर्थन करता है। इसमें से कुछ इवेंट प्लाॅनर्स का एकत्रीकरण, बच्चों के विशेषज्ञ, स्थानीय ट्यूटर्स, विचार विमर्श के लिये मंच और यहां तक कि बच्चों से संबंधित समाचार भी एकत्रित करते हैं। फिलहाल बच्चों के विशेषज्ञों के रूप में मुख्यतः बाल रोग विशेषज्ञों को शामिल किया गया है लेकिन आने वाले दिनों में इनका इरादा अपने मंच पर विशेषज्ञ सहालकारों को भी जोड़ने का है जो चर्चाओं में भाग लेने के अलावा अभिभावकों को बच्चों के विकास से संबंधित सलाह निःशुल्क उपलब्ध करवाएंगे।
दिन-प्रतिदिन मिल रही सफलता और हो रहे विकास के बारे में बहुल का कहना हैः
‘‘हमारे साथ जुड़ने वाला प्रत्येक नया स्कूल हमारी विशेषताओं में और अधिक चार चाँद लगा देता है। उदाहरण के लिये अगर किसी स्कूल की एक कक्षा ही हमारे मंच के साथ जुड़ती है तो तकरीबन 70 से 80 अभिभावक हमारे साथ अपने आप जुड़ जाते हैं। फिलहाल हर तीन सप्ताह में हमारे उपयोगकर्ताओं की संख्या दोगुनी होती जा रही है। हमारा लक्ष्य 5 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या को पार करना है।’’
चूंकि इस स्टार्टअप का राजस्व प्रारूप सदस्यता पर आधारित है स्कूटाॅल्क्स स्कूलों के माध्यम से अभिभावकों से प्रतिवर्ष प्रति छात्र 499 रुपये चार्ज करता है। बहुल आगे बताते हैं कि उनका इरादा इस वर्ष के अंत तक 5 करोड़ रुपये के राजस्व को पाने का है।
फिलहाल 40 वेब और सामग्री डेवलपर्स, डेटा संग्रह और सत्यापन के काम में लगे शोधकर्ताओं, सामाजिक मीडिया विशेषज्ञों और बिक्री और मार्केटिंग पेशेवरों सहित 40 सदस्यों की एक टीम के साथ कार्य कर रही स्कूटाॅल्क्स आने वाले कुछ महीनों में अपनी आॅफलाइन टीम में विस्तार करते हुए इस संख्या को भी 60 तक पहुंचाने के प्रयासें में है।
देश के 40 से भी अधिक शहरों में अपना विस्तार करने के लिये आक्रामक कोशिश करते हुए यह उद्यम बहुत जल्द ही मुंबई, गुड़गांव और दिल्ली में भी अपनी उपस्थिति बनाने के प्रयासों में है।
आने वाले 6 महीनों में आप स्कूटाॅल्क्स को कांफ्रेंस इत्यादि जैसे जमीनी कार्यक्रम आयोजित करते हुए देख सकते हैं जिनके द्वारा इनका प्राथमिक लक्ष्य अभिभावकों, अध्यापकों और स्कूलों के प्रधानाचार्यों को जागरुक करते हुए उन्हें अपने ाथ जोड़ने के लिये प्रेरित करना है। इनके साथ जुड़ने वाला प्रत्येक स्कूल अपने साथ करीब 3500 छात्रों, 7 हजार माता-पिताओं और 200 से भी अधिक अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों को खुदबखुद इनके साथ जोड़ देगा।
इसके अलावा यह उद्यम धन जुटाने के लिये कुछ निवेशकों के साथ वार्ताओं के दौर से भी गुजर रहा है।
अबतक के अपने सबक के बारे मं बात करते हुए दोनों सहसंस्थापक मानते हैं कि वे एक बार में स्कूटाॅल्क्स के एक माॅड्यूल के साथ भी सामने आ सकते थे। एक ही बार में पूरे उत्पाद को विकसित करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि उपयोगकर्ता किसी भी एक विशेष भाग के साथ पूरी तरह से जुड़ने में असमर्थ रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें टेस्ट ग्रुप को शिक्षित करने में अधिक प्रयास करने पड़े। इसकी वजह से इन्हें बेहतरीन अनुभव सुनिश्चित करने के लिये अपने उत्पाद के कई माॅड्यूलों का पूर्नमूल्यांकन करना पड़ा।
ईवाई-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार भारत में के-12 स्कूल प्रणाली समूचे विश्व में सबसे बड़ी है जिसमें 1.4 मिलियन स्कूलों सहित करीब 250 मिलियन छात्र शामिल हैं। देश के 20 प्रमुख राज्यों के निजी स्कूलों पर नजर डालें तो हमें पता चलता है कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर करीब 55 प्रतिशत इनमें पढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि इस उद्यम के अधिकतर उपयोगकर्ता जिनी स्कूल हैं और यह क्षेत्र 4 प्रतिशत की सीएजीआर की दर से वृद्धि कर रहा है इस स्टार्टअप में उपयोगकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की असीम संभावनाएं हैं।