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15 साल बाद भारत ने जीता हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप

भारतीय जूनियर हाकी टीम ने अपनी सरजमीं पर विश्व कप जीतकर रचा इतिहास रच दिया है। भारतीय हॉकी प्रेमियों ने ऐसा अप्रतिम मंजर बरसों बाद देखा, जब टीम के हर मूव पर ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाते 10000 से ज्यादा दर्शकों का शोर गुंजायमान हो रहा था।

15 साल बाद भारत ने जीता हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप

Monday December 19, 2016 , 8 min Read

खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर चारों ओर से आते ‘इंडिया इंडिया’ के शोर के बीच भारत ने बेहतरीन हॉकी का नमूना पेश करते हुए बेल्जियम को 2.1 से हराकर जूनियर हाकी विश्व कप अपने नाम करने के साथ इतिहास पुस्तिका में नाम दर्ज करा लिया। भारतीय हाकीप्रेमियों ने ऐसा अप्रतिम मंजर बरसों बाद देखा जब टीम के हर मूव पर ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाते 10000 से ज्यादा दर्शकों का शोर गुंजायमान था। मैदान के चारों ओर दर्शक दीर्घा में लहराते तिरंगों और हिलोरे मारते दर्शकों के जोश ने अनूठा समा बांध दिया। जिसने भी यह मैच मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर बैठकर देखा, वह शायद बरसों तक इस अनुभव को भुला नहीं सकेगा।

फोटो साभार : पीटीआई

फोटो साभार : पीटीआई


हूटर के साथ ही कप्तान हरजीत सिंह की अगुवाई में भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान पर भंगड़ा शुरू कर दिया, तो उनके साथ दर्शक भी झूम उठे। कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके। हर तरफ जीत के जज्बात उमड़ रहे थे । कहीं आंसू के रूप में तो कहीं मुस्कुराहटों के बीच।

इससे पहले 2013 में दिल्ली में हुए टूर्नामेंट में भारत दसवें स्थान पर रहा था।

पंद्रह बरस पहले आस्ट्रेलिया के होबर्ट में खिताब अपने नाम करने के बाद भारत ने पहली बार जूनियर हॉकी विश्व कप जीता। भारत 2005 में स्पेन से कांस्य पदक का मुकाबला हारकर चौथे स्थान पर रहा था और उस समय भी कोच हरेंद्र सिंह ही थे।

मैदान के भीतर दर्शकों की भीड़ दोपहर से ही जुटनी शुरू हो गई थी। सीटों के अलावा भी मैदान के चप्पे-चप्पे पर दर्शक मौजूद थे और भारतीय टीम ने भी उन्हें निराश नहीं किया। पिछले दो बरस से कोच हरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में की गई मेहनत आखिरकार रंग लाई। भारत के लिये गुरजंत सिंह (सातवां मिनट) और सिमरनजीत सिंह (23वां मिनट) ने गोल किये, जबकि बेल्जियम के लिये आखिरी मिनट में पेनल्टी कार्नर पर फेब्रिस वान बोकरिज ने गोल किया । पहले ही मिनट से भारतीय टीम ने अपने आक्रामक तेवर जाहिर कर दिये थे और तीसरे मिनट में उसे पहला पेनल्टी कार्नर मिला । मनप्रीत के स्टाप पर हरमनप्रीत हालांकि इसे गोल में नहीं बदल सके । इसके तीन मिनट बाद भारत को एक और पेनल्टी कार्नर मिला, लेकिन इसे भी गोल में नहीं बदला जा सका। भारतीयों ने हमला करने का सिलसिला जारी रखा और अगले ही मिनट गुरजंत ने टीम का खाता खोला । सुमित के स्कूप से गेंद को पकड़ते हुए गुरजंत ने शाट लगाया और गोलकपर के सीने से टकराकर गेंद भीतर चली गई । भारत की बढत 10वें मिनट में दुगुनी हो जाती, लेकिन नीलकांत शर्मा गोल के सामने आसान मौका चूक गए।इस दौरान सारा मैच भारतीय सर्कल में हो रहा था लेकिन 20वें मिनट में बेल्जियम ने पहला हमला बोला। सुमित की अगुवाई में भारतीय डिफेंस ने उसे नाकाम कर दिया।

भारतीय फॉरवर्ड पंक्ति ने गजब का तालमेल दिखाते हुए कई मौके बनाये और 23वें मिनट में बढ़त दोगुनी कर दी।

हरमनप्रीत मैदान के दूसरे छोर से गेंद को लेकर भीतर आये और नीलकांत को पास दिया जिसने गुरजंत को गेंद सौंपी और बायें फ्लैंक से गुरंजत से मिले पास पर सिमरनजीत ने इसे गोल में बदला। बेल्जियम को पहले हाफ में 30वें मिनट में मिला एकमात्र पेनल्टी कार्नर बेकार गया। पहले हाफ में भारत की 2.0 से बढ़त बरकरार रही। दूसरे हाफ में भी आक्रामक हाकी का सिलसिला जारी रहा और 47वें मिनट में भारत को तीसरा पेनल्टी कार्नर मिला, हालांकि कप्तान हरजीत गेंद को रोक नहीं सके। भारत ने एक और आसान मौका गंवाया जब गुरजंत विरोधी गोल के भीतर अकेले गेंद लेकर घुसे थे लेकिन गोल पर निशाना नहीं लगा सका। रिबाउंड पर परविंदर सिंह भी गोल नही कर सके ।अगले मिनट के भीतर भारत को दो पेनल्टी कार्नर मिले, लेकिन बेल्जियम के गोलकीपर लोइक वान डोरेन ने दोनों शाट बचा लिये । आखिरी मिनट में बेल्जियम को मिले पेनल्टी कार्नर को फेब्रिस ने गोल में बदला लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने इसे टीम प्रयास का नतीजा बताते हुए कहा है, कि अभी तो उनका सफर शुरू हुआ है, आगे बहुत कुछ जीतना है।

भारत ने बेल्जियम को 2.1 से हराकर 15 बरस बाद जूनियर विश्व कप जीत लिया और अपनी सरजमीं पर खिताब जीतने वाली यह पहली टीम बन गई। जीत के बाद कोच हरेंद्र सिंह, मैनेजर रोलेंट ओल्टमेंस के साथ पूरी टीम प्रेस कांफ्रेंस में आई। हरेंद्र ने कहा, ‘ आज मेरा नहीं मेरी टीम का दिन है। आप इन 18 लड़कों से बात करो क्योंकि आज के हीरो यही हैं।’ मैनेजर और सीनियर टीम के कोच ओल्टमेंस ने जब कहा ‘चक दे इंडिया’ तो पूरी टीम और मीडिया ने उनके साथ सुर में सुर मिलाकर ये नारा लगाया। फाइनल में टीम के प्रदर्शन को परफेक्ट करार देते हुए ओल्टमेंस ने कहा ,‘पहला हाफ एकदम परफेक्ट था। दूसरे हाफ में कुछ चूक हुई लेकिन ओवरआल प्रदर्शन उम्दा रहा। यह पिछले दो साल से की जा रही मेहनत का नतीजा है और इसका श्रेय कोच को जाता है।’ वहीं सेमीफाइनल और फाइनल में अहम गोल करने वाले गुरजंत सिंह ने कहा, ‘मैने दो गोल इन्हीं मैचों के लिये बचाकर रखे थे। खुशी है कि सही मौके पर ये गोल हुए।’

कप्तान हरजीत सिंह ने कहा, कि खिलाड़ियों ने अनुशासन में रहकर पूरे टूर्नामेंट में सरल हॉकी खेली। उन्होंने कहा, ‘टीम में जबर्दस्त ऊर्जा थी और खिलाड़ियों ने अनुशासित प्रदर्शन किया। सभी ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई।’ जीत का जश्न कैसे मनायेंगे, यह पूछने पर वरूण कुमार ने कहा, कि पिछले डेढ साल से टीम को मिठाई खाने को नहीं मिली है और आज सभी खिलाड़ी छककर मिठाई खायेंगे।

बेल्जियम के कोच जेरोन बार्ट ने खिताब नहीं जीत पाने पर मलाल जताया लेकिन कहा कि वह अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन से खुश हैं।

जेरोन बार्ट ने कहा,‘हम पहली बार फाइनल खेल रहे थे और इतने सारे दर्शकों के सामने कभी खेला नहीं था। भारत को ऐसे समर्थन के बीच हराना मुश्किल था। इतना शोर था कि खिलाड़ी आपस में एक दूसरे की बात भी नहीं समझ पा रहे थे।’

उधर दूसरी तरफ ग्यारह बरस पहले रोटरडम में कांसे का तमगा नहीं जीत पाने की टीस उनके दिल में नासूर की तरह घर कर गई थी और अपनी सरजमीं पर घरेलू दर्शकों के सामने इस जख्म को भरने के बाद कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके। भारत के फाइनल में प्रवेश के बाद जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह मेरे अपने ज़ख्म है और मैं टीम के साथ इसे नहीं बांटता। मैंने खिलाड़ियों को इतना ही कहा था कि हमें पदक जीतना है, रंग आप तय कर लो। रोटरडम में मिले जख्म मैं एक पल के लिये भी भूल नहीं सका था।’ रोटरडम में कांस्य पदक के मुकाबले में स्पेन ने भारत को पेनल्टी शूट आउट में हराया था। अपने सोलह बरस के कोचिंग कैरियर में अपने जुनून और जज्बे के लिये मशहूर रहे हरेंद्र ने दो बरस पहले जब फिर जूनियर टीम की कमान संभाली, तभी से इस खिताब की तैयारी में जुट गए थे । उनका किरदार ‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान (शाहरूख खान) की याद दिलाता है, जिसने अपने पर लगे कलंक को मिटाने के लिये एक युवा टीम की कमान संभाली और उसे विश्व चैम्पियन बना दिया।

हरेंद्र ने खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और हार नहीं मानने का जज्बा भरा। लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि रही, कि उन्होंने युवा टीम को व्यक्तिगत प्रदर्शन के दायरे से निकालकर एक टीम के रूप में जीतना सिखाया।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भारत को जूनियर विश्व कप हाकी में 15 साल बाद मिली खिताबी जीत के लिये बधाई देते हुए कहा कि टीम ने शानदार खेल दिखाया। उन्होंने टीम को बधाई देते हुए संदेश में कहा, ‘हमारी हाकी टीम ने शानदार आक्रामक खेल दिखाया, बेहतरीन कलाई का खेल दिखाया और दो मैदानी गोल किये। खिलाड़ियों ने बेहतरीन संयोजन दिखाया। जिसका परिणाम भारत ने बेल्जियम को 2.1 से हराकर विश्व कप जीत लिया। साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जूनियर विश्व कप खिताब जीतने वाली भारतीय हाकी टीम को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि यह पंजाब के उन सभी पांच खिलाड़ियों के लिये सम्मान और गर्व की बात है जो भारतीय टीम में शामिल थे जिसमें कप्तान हरजीत सिंह भी मौजूद हैं। बादल ने उम्मीद जतायी, कि यह उपलब्धि युवाओं को प्रेरित करेगी। उन्होंने साथ ही उम्मीद जतायी, कि यह टीम देश को आगे भी गौरवान्वित करना जारी रखेगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिलचस्प बात है कि 2001 में जूनियर विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम की अगुवाई भी पंजाब के खिलाड़ी गगनजीत सिंह ने की थी। 

इन्हीं सबके बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जूनियर विश्व कप हॉकी जीतने वाली भारतीय टीम को बधाई दी जिसने 15 साल के अंतराल बाद इस टूर्नामेंट में ट्राफी जीती है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘बधाई हो टीम इंडिया, जूनियर हाकी विश्व कप चैम्पियन। तुम सभी पर गर्व है।’