छत्तीसगढ़ में बदलाव की बयार, सरकारी अफसर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं सरकारी स्कूल में
भारत में सरकारी स्कूलों की हालत बहुत अच्छी नहीं है और शायद यही वजह है कि इन स्कूलों को या वहां पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तुलना में कमतर आंका जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इस मानसिकता को बदलने के लिए एक आईपीएस ने अपनी बेटी का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया है। कवर्धा में आईपीएस अधिकारी के पद पर तैनात डी रविशंकर का कहना है कि सरकारी स्कूलों के अध्यापक अच्छे होते हैं और ऐसा नहीं है कि इन स्कूलों में अच्छी पढ़ाई नहीं होती।
भारी-भरकम फीस वाले प्राइवेट स्कूलों की बजाय आईपीएस डी रविशंकर ने अपनी बेटी का एडमिशन शांति नगर स्थित सरकारी स्कूलों में कराया है।
रविशंकर कवर्धा जिले के एसपी हैं हालांकि उनका परिवार रायपुर में ही रहता है। सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की पहल प्रदेश के बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने की थी।
भारत में सरकारी स्कूलों की हालत बहुत अच्छी नहीं है और शायद यही वजह है कि इन स्कूलों को या वहां पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की तुलना में कमतर आंका जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इस मानसिकता को बदलने के लिए एक आईपीएस ने अपनी बेटी का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया है। राज्य के कवर्धा में आईपीएस अधिकारी के पद पर तैनात डी रविशंकर का कहना है कि सरकारी स्कूलों के अध्यापक अच्छे होते हैं और ऐसा नहीं है कि इन स्कूलों में अच्छी पढ़ाई नहीं होती। ज़रूरत है तो बस इन अध्यापकों और स्कूलों में भरोसा करने की जरूरत है।
अपनी बेटी का एडमिशन कराने के लिए रविशंकर गुरुवार को अपनी पत्नी और बेटी के साथ रायपुर के शांति नगर स्थित सरकारी स्कूल में पहुंचे। उन्हें देखकर स्कूल के सभी शिक्षक दंग रह गए। उन्होंने अपनी बेटी दिव्यांजलि का एडमिशन इस स्कूल में दूसरी कक्षा में कराया है। रविशंकर कवर्धा जिले के एसपी हैं हालांकि उनका परिवार रायपुर में ही रहता है। सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की पहल प्रदेश के बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने की थी। अवनीश शरण की पांच साल की बेटी बेबिका का बलरामपुर जिला मुख्यालय में स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ती है।
सिर्फ अधिकारी ही नहीं, जनप्रतिनिधि भी इस पहल में भागीदारी ले रहे हैं। छत्तीसगढ़, जशपुर जिले के पत्थलगांव से विधायक शिवशंकर साय पैंकरा के बच्चे भी अपने सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं।
विधायक शिवशंकर का कहना है कि उन्होंने खुद सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी और इसी वजह से वह सरकारी स्कूल को ज्यादा तवज्जो देते हैं। बीटेक की पढ़ाई कर चुके शिवशंकर का कहना है कि मेरी दो बच्चियां भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ी हैं। उनकी बेटियों का चयन केंद्रीय विद्यालय में हुआ। साथ ही उन्होंने ये भी कहा, कि जब तक अपनी खुद की भाषा पर बच्चों की पकड़ नहीं होगी, तो उनका दिमाग कैसे विकसित होगा और वे अपनी जड़ों से कैसे जुड़े रह सकते हैं।
शायद यही वजह है कि विधायक शिवशंकर अपने बेटे कार्तिकेय पैकरा को भी अपने गांव के ही सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाते हैं। विधायक ने बताया कि इस साल जशपुर के सरकारी स्कूल के चार बच्चों ने टॉप किया है। प्रदेश में सर्वाधिक जशपुर के सरकारी स्कूल के ही 35 बच्चों ने जेईई मेन्स परीक्षा पास की थी।
गौर करने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ समेत देश के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार घट रही है। लोग अब सरकारी स्कूल की बजाय प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। सरकारी स्कूल की दयनीय स्थिति की वजह से देश में गरीबों के बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इस स्थिति के बीच ऐसे अफसर और नेता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं।
अगर सभी सरकारी अफसर और नेता इनकी तरह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने लगें तो इन विद्यालयों में पढ़ाई और सुविधाओं में सुधार होगा और आम लोग भी अपने बच्चों को इन सरकारी विद्यालयों में भेजने को प्रोत्साहित होंगे।