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रतन टाटा और स्टार्टअप के बीच जारी है लव स्टोरी

रतन टाटा और स्टार्टअप के बीच जारी है लव स्टोरी

Friday February 19, 2016 , 4 min Read

भारत में कुछ ही ऐसे सेक्टर हैं जिसमें टाटा ग्रुप ने अपनी छाप नहीं छोड़ी है। देश की प्रत्येक इंडस्ट्रीज जिसमें टेलिकॉम, सांफ्टवेयर, और ग्रोसरी हैं इनमें आप टाटा की छाप देखेगें। इसलिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं, जब आप देखेगें की टाटा संस के चैयरमैन एक देवदूत की भांति स्टार्टअप में निवेश करते हैं। लेकिन जब रतन नवल टाटा कारोबार करते हैं तब वह इसे अपने तरीके से करते हैं, और स्टार्टअप में निवेश करने की सूची भी अलग नहीं है। ‘फर्स्ट क्राई’ जो की बच्चों के उत्पाद को ऑन लाईन बेचती है, इसमें टाटा ने निवेश किया है। इस तरह यह निवेश के मामले में 2 साल के अंदर उनका 25वां वेंचर है।


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भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें सिर्फ अमेरिका और चीन के बाद ई-कॉमर्स के क्षेत्र में तेजी देखी जा रही है, रतन टाटा ने पिछले 18 महीने के अंदर अलग अलग सेक्टरों के 8 स्टार्टअप में निवेश किया है। 8 में से 3 यूनीकॉर्न स्टार्टअप हैं जिसमें ओला, पेटीएम और स्नेपडील शामिल हैं। ऐसे में इन कंपनियों को टाटा के निवेश से अपने कारोबार को फैलाने में बहुत मदद मिली है। इन सबके अलावा उन्होने सामाजिक कार्य करने वाले स्टार्टअप को भी पैसे से मदद की हैं, इनमें प्रमुख हैं एम्पेयर और स्वस्थ इंडिया। आर्श्चयजनक रूप से लॉजिस्टिक एक ऐसा क्षेत्र है जहां उन्होने अभी तक निवेश नहीं किया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आपके पास निवेश के रूप में सैकड़ों करोड़ रुपये हों, पर जब रतन टाटा किसी कंपनी में निवेश करते हैं तो दुनियां उसे ध्यान से देखती है। यह कहना है ओला कैब के एग्रीगेटर का, जो की 5 बिलियन डालर की कंपनी बन गयी है। नवंबर 2015 में प्रकाशित लाइवमिंट के अनुसार उनके शेयर की प्राइस वैल्यू भी 15,87,392 रुपये से बढ़कर 29,44,805 हो गयी है।

टाटा का ज्यादातर निवेश अघोषित होता है, वह स्टार्टअप जिन्होने कामयाबी हासिल कर ली ही, अपने वित्तीय लाभों के कारण टाटा के निवेश से बहुत उत्साहित हैं। ओला में टाटा के निवेश के बाद इसके सीईओ भाविश अग्रवाल का कहना है कि “हमारे दौर के एक सम्मानित कारोबारी लीडर का समर्थन और ओला की वचनबद्धता भारत के भविष्य की गतिशीलता को दर्शाती है।” जहां निवेशक, एक संरक्षक और युवा उद्यमी के हाथ में सुरक्षित हैं। भारत के कारोबार में टाटा का निवेश एक कुलपति की तरह है, जिससे देश को कुशल मार्गदर्शन मिलता है। भावेश का कहना है कि टाटा के मार्गदर्शन से ओला के मिशन को जो ऊर्जा मिली है उससे करोड़ों भारतीयों की गतिशीलता बढ़ाने में मदद मिलती है।

टाटा के निवेश से स्टार्टअप को प्रचार और उसके ब्रांड को प्रोत्साहन मिलता है। असल में सांख्यिकी रूप से देखें तो टाटा के निवेश भर से ही किसी कंपनी की वैल्यू बढ़ने के साथ साथ उसका विकास भी होता है। इसके हालिया उदाहरण हैं ब्लू स्टोन। जिसकी वैल्यू 34.86 प्रतिशत से बढ़कर 50.29 प्रतिशत हो गयी है और ये सब हुआ है रतन टाटा के निवेश के बाद।

अगस्त 2015 में रतन टाटा ने योर स्टोरी को पढ़ा और उसे परखा, जिसके बाद उन्होने कैल्लारी कैपिटल, क्वालकॉम वेंचर्स और टी वी मोहनदास पई के साथ मिलकर इसमें निवेश किया है। योर स्टोरी देश की अकेली मीडिया फर्म है जिसमें रतन टाटा ने निवेश किया है।

दिसंबर 2015 में, अमेरिका स्थित गैर लाभकारी संगठन खान अकादमी ने एक साझेदार के रूप में टाटा ट्रस्ट के साथ समझौता किया है। उनका उद्देश्य भारत में छात्रों को एनसीआरटी की किताबों की सामग्री को उनकी भाषा में उपलब्ध कराना है। रतन टाटा आईडीजी वैंचर्स, कैल्लारी कैपिटल और जंगल वैंचर्स के सलाहकार भी हैं। साथ ही उन्होने कैल्लारी कैपिटल के अरबन लाडर, ब्लू स्टोन और जंगल वैंचर्स में निवेश भी किया है। लैट्स वैंचर हालांकि ऑनलाइन सौदों का एक प्लेटफॉर्म है, लेकिन वो सलाहकार और निवेशक, दोनों की ही भूमिका निभाता है।

रतन टाटा ने 2016 के पहले 3 हफ्तों के दौरान 4 निवेशों की घोषणा की है। जिसके बाद देश बहुत उत्सुकता से स्टार्टअप वाले साल का इंतजार कर रहा है।

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