Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

इंफोसिस के संस्थापक ने क्यों कहा, "अच्छा हुआ नहीं जा सका IIM?"

इंफोसिस के संस्थापक ने क्यों कहा, "अच्छा हुआ नहीं जा सका IIM?"

Wednesday August 09, 2017 , 4 min Read

तमाम छात्रों का एक सपना यह भी होता है कि वे आईआईएम से पढ़ाई करें। हालांकि आईआईएम की परीक्षा काफी कठिन मानी जाती है और कई चरण से गुजरने के बाद ही उसमें प्रवेश मिलता है, लेकिन इंफोसिस के संस्थापक नंदन नीलेकणी ने क्यों कहा कि अच्छा हुआ वे नहीं गये IIM...

नंदन निलेकणि

नंदन निलेकणि


देश की टॉप आईटी कंपनियों में शुमार की जाने वाली कंपनी इन्फोसिस के सह संस्थापक नंदन निलेकणि ने कहा कि अच्छा हुआ जो वे IIM नहीं गए।

एक समय निलेकणि भी IIM से पढ़ने की हसरत रखते थे, लेकिन कुछ कारणों से वे आईआईएम का एंट्रेंस एग्जाम ही नहीं दे पाए थे। अपने शुरुआती दिनों में निलेकणि नौकरी की तलाश में एक छोटी-सी कंपनी में चले गए, जहां नारायण मूर्ति ने उन्हें एक मौका दिया। इसके बाद ही वह उनसे जुड़ गए। फिर दोनों ने मिलकर एक कंपनी की नींव रखी जो आगे चलकर देश की सबसे बड़ी कंपनी इंफोसिस के रूप में सामने आई।

देश में मैनेजमेंट से जुड़ी पढ़ाई का कभी जिक्र होता है तो आईआईएम का नाम सबसे ऊपर होता है। आईआईटी से लेकर देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में ग्रैजुएट हो रहे छात्रों का एक सपना यह भी होता है कि वे आईआईएम से पढ़ाई करें। हालांकि आईआईएम की परीक्षा काफी कठिन मानी जाती है और कई चरण से गुजरने के बाद ही उसमें प्रवेश मिलता है। वहां से निकले छात्र बड़ी-बड़ी कंपनियों में मोटे पैकेज पर नौकरी करते हैं और कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो आईएएस तक बन जाते हैं। लेकिन देश की टॉप आईटी कंपनियों में शुमार की जाने वाली कंपनी इन्फोसिस के सह संस्थापक नंदन निलेकणि ने कहा कि अच्छा हुआ जो वे आईआईएम नहीं गए।

एक समय निलेकणि भी आईआईएम से पढ़ने की हसरत रखते थे, लेकिन कुछ कारणों से वे आईआईएम का एंट्रेंस एग्जाम ही नहीं दे पाए थे। हाल ही में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि वह खुशनसीब थे कि आईआईएम की प्रवेश परीक्षा नहीं दे पाए। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता तो वह नारायण मूर्ति से नहीं जुड़ पाते। नारायण मूर्ति ने चार अन्य संस्थापकों के साथ मिलकर इन्फोसिस बनाई थी। उद्योगपतियों की संस्था CII द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'मैं आईआईएम एंट्रेंस टेस्ट नहीं दे सका और इसके लिए मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं। मुझे नौकरी चाहिए थी और इसके लिए मैं एक छोटी कंपनी में गया, जहां नारायण मूर्ति ने मुझे काम दिया। उसके बाद हमारा बढ़िया रिश्ता रहा और उसके बाद इन्फोसिस शुरू हुआ। उसके बाद की बाकी बातें सब जानते हैं।'

निलेकणि नौकरी की तलाश में एक छोटी-सी कंपनी में चले गए, जहां नारायण मूर्ति ने उन्हें एक मौका दिया। इसके बाद ही वह उनसे जुड़ गए। फिर दोनों ने मिलकर इंफोसिस कंपनी की नींव रखी जो आगे चलकर इतनी बड़ी कंपनी बन गई। निलेकणि ने कहा कि अगर वह परीक्षा पास कर जाते, तब वह साबुन बेचने वाली किसी कंपनी के मैनेजर होते। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, मेरे जॉइन करने के बाद इन्फोसिस में परीक्षा शुरू हो गई। मैं खुशनसीब था कि परीक्षा शुरू होने से पहले इन्फोसिस में पहुंच गया। निलेकणि ने आगे कहा कि उन्होंने जो समय आईआईटी में बिताया, उससे जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया।

IIT बॉम्बे से बीटेक करने वाले निलेकणि ने कहा कि बाद में इन्फोसिस ने भी एंट्रेंस एग्जाम लेना शुरू कर दिया था यानी अगर वे देर करते तो उन्हें इस कंपनी में भी जगह नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा कि आआईटी में बिताया गया समय उनके लिए निर्णायक रहा। वहां मिले अनुभवों ने निलेकणि ने लीडर बनने में बड़ी भूमिका निभाई। वह बताते हैं कि मैं एक साधारण बच्चा था। पर आईआईटी में जाने के बाद बड़े बदलाव हुए। उन्होंने कहा, 'जब मुझे बड़े शहर में दोस्तों के बीच पढ़ने का माहौल मिला तो मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया। यही कारण था कि मुझमें लीडरशिप क्वालिटी आई।' 

निलेकणि देश में चलने वाली आधार कार्ड योजना के अध्यक्ष भी रहे हैं। 

यह भी पढ़ें: कॉन्स्टेबल बनना चाहती थी यह क्रिकेटर, सरकार ने पांच लाख देकर बनाया DSP