पब्लिक ट्रांसपोर्ट में क्रांति का नाम 'Lithium Cabs'
ईंधन के बढ़ते दामों और बढ़ते हुए प्रदूषण पर काबू पाने के इरादे से बिजली से चलने वाली कैब्स कर संचालन किया प्रारंभकंफर्ट इंडिया के पूर्व सीओओ संजय कृष्णन के दिमाग की उपज है यह संगठनइनकी सभी कैब्स इनबिल्ट जीपीएस प्रणाली के अलावा सुरक्षा उपकरणों और एप्पस से है लैस
वर्तमान समय में अनुमानित रूप से 6 से 9 बिलियन अमरीकी डालर के बीच के टैक्सी के बाजार का आने वाले दिनों में 17 से 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि करने का अनुमान है। कैब और टैक्सी एग्रीगेटर्स के इस वृहद बी2सी खंड में सेंध लगाते हुए Lithium Cabs (लीथियम कैब्स) अपनी इलेक्ट्रिक कैब्स के माध्यम से भारत में हरित सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को स्थापित करने और लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के दौर में है। कंफर्ट इंडिया के पूर्व सीओओ संजय कृष्णन ने हाइड्रोकार्बन ईंधन की बढ़ती हुई लागत और इससे होने वाले पर्यावरण के हृास पर काबू पाने के इरादे से लीथियम कैब्स की स्थापना की।
संजय कहते हैं, ‘‘एक राष्ट्र के रूप में भारत में हाइड्रोकार्बन ईंधन और बिजली के मूल्य निर्धारण में सबसे अधिक अंतर है। इसी वजह से एक प्रकार के विचार को अमल में लाने के लिये भारत से बेहतर और कोई जगह है ही नहीं।’’ इसके अलावा वे यह भी कहते हैं कि भारत की वर्तमान सरकार के दौरान अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल के लिये अधिक बेहतर तरीके से लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इस सरकार का रवैया इस ओर अधिक सकारात्मक है। भारत में चार प्रदेश पहले से ही सौर ऊर्जा को अपना चुके हैं जिसका मतलब यह है कि सौर माध्यम से प्राप्त हुई ऊर्जा ग्रिड से प्राप्त ऊर्जा की तुलना में सस्ती पड़ती है।
आज के समय में एक तरफ तो जहा अधिकतर समूहक और कैब कंपनियां अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये बी2सी को अपनाने में लगी हुई हैं ऐसे में लीथियम कैब्स ने बी2बी माॅडल को अपनाने पर जोर दिया है और इसके कई कारण हैं। संजय का कहना है कि अगर आप बी2सी माॅडल पर नजर डालें तो सबसे पहले तो आपके पास गाडि़यों का एक निश्चित संख्या का बेड़ा होना चाहिये। संजय बताते हैं, ‘‘इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि आपको गाडि़यों को चार्ज करने के लिये कम से कम 200 से 300 चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होगी और साथ ही आपको कम से कम 1000 के करीब कैब्स को भी अपने बेड़े में शामिल करना होगा जो किसी भी कोंण से व्यवहार्य नहीं है।’’
हालांकि इसे स्थापित करना भी इतना आसान नहीं रहा आर हर काम की तरह इसी की अपनी अलग प्रकार की चुनौतियां और कठिनाइयां थीं। किसी भी अन्य स्टार्टअप के सामने आने वाली चुनौतियों की तरह लीथियम कैब्स को भी धन की व्यवस्था और एक अच्छी टीम को तैयार करने में काफी प्रारंभिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इनकी सबसे बड़ी चिंता पारदर्शिता लाने की रही और इसे सुनिश्चित करने के लिये इस टीम ने अपनी पूरी प्रक्रिया को पूर्णतः आॅटोमाइज़ किया है। इसके अलावा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये, विशेषकर महिला यात्रियों को ध्यान में रखते हुए, यह टीम इस बात की ताकीद करती है कि सुरक्षा से संबंधित सभी एप्लीकेशन और गैजेट्स अपने स्थान पर रहें और ठीक प्रकार से संचालित होें।
संजय कहते हैं, ‘‘हमारी प्रत्येक कैब एक इनबिल्ट जीपीएस प्रणाली से लैस है जिसके चालक चाह कर भी किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं कर सकता और इसके अलावा सफर के दौरन प्रत्येक कैब पर पूरी तरह से रियल टाइम ट्रैकिंग की जाती है। और इस सबके अलावा हमारे सभी ड्राइवरों एक बहुत कठोर प्रशिक्षण से गुजरते हैं तभी वे हमारे साथ काम करने लायक बनते हैं।’’
संजय को विश्वास है कि लीथियम के विकास की गति बिल्कुल ठीक है। उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि अब से लेकर इस वर्ष के अंत तक उनका संगठन कम से कम 500 प्रतिशत की वृद्धि करने में सफल रहेगा।
वीडियो रिपोर्टरः डोला सामंथा
वीडियो एडिटरः अंजलि अचल
कैमरामैनः रुकमंगाडा राजा