5 हजार से शुरू किया था फूलों का कारोबार, आज हैं देश के 90 शहरों में आउटलेट्स और 145 करोड़ का टर्नओवर
आज हम आपको कहानी सुनाने जा रहे हैं फूलों का कारोबार करने वाले विकास गुटगुटिया की जिनका बिजनेस करोड़ों में है। विकास अपने परदादा को अपना रोल मॉडल मानते थे और वैसा ही कुछ जीवन में करना चाहते थे।
वे लग्जरी शादियों में फूलों का काम देखते थे। देखते ही देखते विकास ने फूलों के ही 13 तरह के अलग-अलग बिजनेस में हाथ फैला दिया। अब वे सिर्फ काम को ऊपर से सुपरवाइज करते थे। बाकी नीचे काम देखने वाले लोग अलग थे।
ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचिए जो वैलंटाइन डे पर दूसरों के लिए गुलदस्ते और गिफ्ट देने के बिजनेस में हो और उसकी खुद की गर्लफ्रेंड से बात न बन पा रही हो। ऐसा लगेगा जैसे कोई समुद्र के किनारे प्यासा खड़ा है। आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं फूलों का कारोबार करने वाले विकास गुटगुटिया की जिनका बिजनेस करोड़ों में है। विकास अपने परदादा को अपना रोल मॉडल मानते थे और वैसा ही कुछ जीवन में करना चाहते थे।
बिहार में स्कूलिंग करने के बाद वे आगे की पढ़ाई करने के लिए कोलकाता चले आए। यहां उनके अंकल का फूलों का अच्छा कारोबार चलता था। विकास यहां बी. कॉम की पढ़ाई करते थे और अपने अंकल के बिजनेस में हाथ भी बंटाते थे। उन्होंने कोलकाता में रहते हुए इस बिजनेस की बारीकियां सीखीं। उन्हें लगा कि यह ऐसा क्षेत्र है जहां पर लोग उतने पेशेवर ढंग से काम नहीं करते जितना की बाकी के कारोबारों में होता है। उन्होंने इसी में अपना भविष्य बनाने की ठान ली और मुंबई आ गए। यह 1990 के दशक की बात है। मुंबई में बात कुछ बन नहीं रही थी और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किस तरह से इसकी शुरुआत की जाए।
1994 की बात है उन्होंने अपने कॉलेज की दोस्त मीता के जन्मदिन पर फूलों का एक गुलदस्ता फ्लोरिस्ट से भिजवा दिया। वे मीता से प्यार करते थे। लेकिन जब वे जन्मदिन की पार्टी में पहुंचे तो देखा कि उनका गुलदस्ता काफी बिखरा हुआ है। फूल भी अच्छे नहीं हैं। उन्होंने सोचा कि दिल्ली में ही फूलों का कारोबार शुरू किया जाए। लेकिन उनके पास पैसों के नाम पर सिर्फ 5,000 रुपये थे। इस दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें ढाई लाख रुपये दिए। विकास ने काफी रिसर्च करने के बाद साउथ एक्सटेंशन में सड़क के किनारे ही 'फ़र्न्स एन पेटल्स' नाम से फूलों की एक होल सेल दुकान खोली। वह दिल्ली के सबसे प्रमुख दुकानों में फूलों की सप्लाई करने लगे।
उन्होंने मीता के परिवार में शादी की बात की, लेकिन बात नहीं बनी। इससे वे थोड़ा दुखी भी हुए। जिस दोस्त ने उन्हें बिजनेस करने के लिए पैसे दिए थे, वह बाद में किन्हीं वजहों से उनके बिजनेस से अलग हो गया। लेकिन विकास का मन इस बिजनेस में लग गया। विकास के लिए यह दौर काफी मुश्किलों भरा था। उनका साथ देने वाला कोई नहीं था। पैसों की भी कमी हो रही थी। लेकिन विकास ने हिम्म्त नहीं हारी और अकेले ही सारी चुनौतियों का सामना करते रहे। उन्होंने दिल्ली के आसपास के किसानों से संपर्क बढ़ाया और उन्हें अच्छे फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया। वह बीज से लेकर मार्केटिंग करने का सारा काम खुद ही करते रहे।
1997 की बात है उन्हें दिल्ली के ताज होटल पैलेस में एक शादी में सजावट करने का काम मिल गया। यह प्रॉजेक्ट काफी बड़ा था और उन्हें इससे 50 लाख रुपये मिले। यह उनके बिजनेस का टर्निंग पॉइंट था। उनके पास पैसे आ गए थे और उनका नाम भी लोग जानने लगे थे। विकास ने अपना बिजनेस बढ़ाया और अपना तरीका भी बदला। वे अब डेकोरेशन के काम में ज्यादा दिलचस्पी दिखाने लगे। उन्होंने कोलकाता और पश्चिम बंगाल के अच्छे कारीगरों को अपने साथ रखा और उन्हें सजावट के काम में लगा दिया। उनके पास दिल्ली के सबसे बड़े फ्लावर डेकोरेशन के प्रॉजेक्ट आने लगे। स्थिति बदल चुकी थी और इसी बीच उन्होंने एक बार फिर मीता के पैरेंट्स से शादी की बात की। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और मीता के पिता विकास के साथ अपनी बेटी की शादी करने के लिए राजी हो गए।
विकास ने दिल्ली में ही 'फर्न्स एन पेटल्स' नाम से एक डिजाइन स्कूल भी खोला। उन्होंने अपना कारोबार देश के कई शहरों में बढ़ाया। 2002 में उन्होंने ऑनलाइन फूलों की डिलिवरी शुरू की। यह वो वक्त था जब आम लोगों के पास मुश्किल से फोन होता था। उन्होंने मशहूर फैशन डिज़ाइनर तरुण टहिल्यानी के साथ पार्टनरशिप में एक लग्जरी बुटीक खोला। वे लग्जरी शादियों में फूलों का काम देखते थे। देखते ही देखते विकास ने फूलों के ही 13 तरह के अलग-अलग बिजनेस में हाथ फैला दिया। अब वे सिर्फ काम को ऊपर से सुपरवाइज करते थे। बाकी नीचे काम देखने वाले लोग अलग थे।
उन्होंने 2007 में स्ट्रीट फूड का एक स्टार्ट अप शुरू किया जिसका नाम 'चटक चाट' था। इस आउटलेट्स में 21 वेराइटी के चाट मिलते थे। लेकिन उनका यह बिजनेस असफल रहा और उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा। यह उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक था। वे वापस फूलों के कारोबार में लौटे और शादियों में डेकोरेशन के काम पर ही पूरा फोकस किया। 2009-10 में उनका कुल टर्नओवर 30 करोड़ का था जो कि 2012 में 145 करोड़ का पहुंच गया। उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर अपना कारोबार फैलाया और आज 150 देशों में उनका बिजनेस फैला है। देश के 95 से भी ज्यादा शहरों में उनके आउटलेट्स हैं। विकास ने कभी हर महीने 10 लाख रुपये कमाने का सपना देखा था। अपनी मेहनत के दम पर आज वह अपने सपने से भी आगे निकल गए हैं।
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