रॉयल वेडिंग में शामिल होंगी महिला स्वास्थ्य पर काम करने वाली सुहानी, NGO के लिए लाएंगी फंड्स
महिला स्वास्थ्य की दिशा में काम करने वाली सुहानी को मिला रॉयल वेडिंग में शामिल होने का मौका
देश के कई हिस्सों में महिलाएं बहुत कुछ हासिल कर रही हैं जो उन्होंने अभी तक नहीं किया था। लेकिन दूरस्थ गांवों में उन्हें प्राइमरी एजुकेशन भी पूरा करने का मौका नहीं मिलता। इससे उनका विकास नहीं हो पाता और वे अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल नहीं रख पातीं।
इस स्थिति को बदलने के लिए सुहानी जलोटा जैसे लोग सामने आते हैं और वे न केवल उनके स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाती हैं बल्कि उनकी शिक्षा का भी प्रबंध करती हैं, उन्हें काम दिलाती हैं और उन्हें नारी शक्ति का अहसास भी दिलाती हैं।
भारत दुनिया की सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। विकास की राह पर बढ़ रहे भारत के लोगों में लाइफस्टाइल में काफी बदलाव भी आया है। पिछले कुछ दशकों में काफी कुछ बदला है, लेकिन ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में काफी कुछ बदलना अभी बाकी है। शहरी लड़कियों को पढ़ने लिखने और काम करने के मौके आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन गांव में अभी गरीबी और कई समस्याओं की वजह से महिलाएं अशिक्षित रह जाती हैं। देश के कई हिस्सों में महिलाएं बहुत कुछ हासिल कर रही हैं जो उन्होंने अभी तक नहीं किया था। लेकिन दूरस्थ गांवों में उन्हें प्राइमरी एजुकेशन भी पूरा करने का मौका नहीं मिलता। इससे उनका विकास नहीं हो पाता और वे अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल नहीं रख पातीं।
इस स्थिति को बदलने के लिए सुहानी जलोटा जैसे लोग सामने आते हैं और वे न केवल उनके स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाती हैं बल्कि उनकी शिक्षा का भी प्रबंध करती हैं, उन्हें काम दिलाती हैं और उन्हें नारी शक्ति का अहसास भी दिलाती हैं। धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल से स्कूलिंग करने के बाद सुहानी ने अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की और फिर भारत आकर सुविधा से वंचित समाज की महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया। वह अभी सिर्फ 23 साल की हैं, लेकिन उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में 15 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। सुहानी ने अपना एक एनजीओ बनाया है जिसका नाम है 'मैना महिला फाउंडेशन'।
इतना ही नहीं वह ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय से मिल चुकी हैं और उन्हें प्रिंस हैरी और मेगन मार्कले की शादी में भी बुलाया गया है। महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने की वजह से उन्हें शादी में आमंत्रित किया गया है। वह कहती हैं, 'हम मुंबई के स्लम इलाके में रहने वाली महिलाओं को सैनिटरी पैड्स बनाने के काम में लगाते हैं और फिर ये पैड्स उनकी कम्यूनिटी के बीच सस्ते दाम में बेच दिया जाता है। इससे एक तो उनके जीवन में स्वच्छता का संचार होता है और साथ ही रोजगार की व्यवस्था भी हो जाती है।'
ब्रिटिश राजघराने की बहु बनने जा रहीं मेगन मर्कले कुछ दिन पहले एक सामाजिक कार्यक्रम के तहत भारत आई थीं तो उस दौरान सुहानी को उनसे मुलाकात करने का मौका मिला। सुहानी ने अपने प्रॉजेक्ट के बारे में बात की। मेगन को महिलाओं के स्वास्थ्य और रोजगार का ख्याल रखने वाला आइडिया पसंद आया। इस मुलाकात के बाद मैना महिला फाउंडेशन को उन 7 चैरिटेबल संगठनों में चुना गया है जिन्हें प्रिंस हैरी और मेगन मार्कले की शादी में मिलने वाले उपहारों को बांटा जाएगा। दरअसल रॉयल कपल ने फैसला किया है कि वे अपनी शादी में मिलने वाले उपहारों को सामाजिक कार्य में लगा देंगे। इस काम के लिए उन्होंने 7 एनजीओ का चयन किया जिसमें सुहानी का एनजीओ भी है।
मेगान ने बाद में सुहानी के वर्कशॉप का भी दौरा किया था और उन महिलाओं से मुलाकात की थी जो सस्ते दाम पर सैनिटरी पैड बनाने का काम करती हैं। हालांकि बीते साल सरकार ने लगभग एक हजार एनजीओ को विदेश से चंदा लेने के लिए बैन कर दिया था, लेकिन सुहानी के एनजीओ को कोई दिक्कत नहीं हुई। अभी सुहानी का एनजीओ मैना मासिक धर्म और महिला स्वास्थ्य से जुड़े कई मुद्दों पर काम कर रहा है।
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