गरीबों में तेजी से फैल रही ये अमीरों वाली बीमारी
2025 तक भारत में होंगे 5 से 7 करोड़ मधुमेह रोगी...
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य शोध विभाग की मदद से किए गए इस अध्ययन में 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 57,000 लोगों को शामिल किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक रूप से अधिक सम्पन्न माने जाने वाले सात राज्यों के शहरी इलाकों में सामाजिक-आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति वाले तबके के मुकाबले सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर तबके में मधुमेह के रोगियों की संख्या अधिक है।
एक रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ के शहरी इलाकों में सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के बीच मधुमेह की दर 26.9 फीसदी है, जो अच्छी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के बीच 12.9 प्रतिशत की दर से कहीं अधिक है।
चिकित्सकों के लिए ही नहीं बल्कि आम आदमी के लिए भी यह चिंता की बात है कि महामारी की तरह मधुमेह देशभर में फैल रहा है।भारत को विश्व की मधुमेह राजधानी के रूप में जाना जा रहा है और 2025 तक यहां 5 से 7 करोड़ मधुमेह रोगी होने की आशंका है। मधुमेह अमीर की दहलीज लांघ कर गरीब की चौखट पर भी दस्तक देने लगा है। मधुमेह बिना कोई लक्षण दिखाए शरीर में अंदर ही अंदर फैलता रहता है और शरीर को खोखला कर देता है।
आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में अक्सर लोग तनाव के शिकार रहते है। लोग आजकल बहुत सी बीमारियों से भी बहुत जल्दी ग्रस्त होने लगते है। इनमें मधुमेह भी एक ऐसी बीमारी है जिससे लोग छोटी सी उम्र के दौरान ही जूझने लग जाते है। एक अध्ययन के मुताबिक अधिक समृद्ध राज्यों के शहरी क्षेत्रों में रह रहे निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति के लोगों के बीच मधुमेह यानि कि डायबिटीज तेजी से बढ़ रही है। ये परिणाम 'द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी' में ऑनलाइन प्रकाशित किए गए थे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य शोध विभाग की मदद से किए गए इस अध्ययन में 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 57,000 लोगों को शामिल किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक रूप से अधिक सम्पन्न माने जाने वाले सात राज्यों के शहरी इलाकों में सामाजिक-आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति वाले तबके के मुकाबले सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर तबके में मधुमेह के रोगियों की संख्या अधिक है। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ के शहरी इलाकों में सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के बीच मधुमेह की दर 26.9 फीसदी पाई गई जो अच्छी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के बीच 12.9 प्रतिशत की दर से कहीं अधिक है।
चिकित्सकों के लिए ही नहीं बल्कि आम आदमी के लिए भी यह चिंता की बात है कि महामारी की तरह मधुमेह देशभर में फैल रहा है।भारत को विश्व की मधुमेह राजधानी के रूप में जाना जा रहा है और 2025 तक यहां 5 से 7 करोड़ मधुमेह रोगी होने की आशंका है। मधुमेह अमीर की दहलीज लांघ कर गरीब की चौखट पर भी दस्तक देने लगा है। मधुमेह बिना कोई लक्षण दिखाए शरीर में अंदर ही अंदर फैलता रहता है और शरीर को खोखला कर देता है।
क्या है डायबिटीज/ मधुमेह
मधुमेह शरीर के सभी अंगों पर अपना प्रभाव दिखाता है। इसका असर नियंत्रण में न होने से जीवनशक्ति कम हो जाती है जिस कारण यह शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान पहुंचा कर कई दूसरी बीमारियों की जननी हो जाता है। यह रोग गुर्दों, हृदय, रक्त वाहिकाओं, मस्तिष्क, आंखों, जननेंद्रियों को प्रभावित कर कई समस्याएं पैदा कर देता है। इसलिए इस रोग से बचाव बहुत जरूरी है। एक बार किसी को यह रोग लग जाए तो वह जीवन भर साथ नहीं छोड़ता। ऐसे में अच्छे मित्र की तरह मधुमेह से दोस्ती बराबर बनाए रखनी होगी या बुरे मित्र की तरह संभाल कर रखना होगा, इसलिए इससे भी महत्त्वपूर्ण है मधुमेह के आमंत्रण को रोकना। मधुमेह शरीर के मेटाबोलिज्म का रोग है जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा को अव्यवस्थित कर देता है। शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। वसा घुल कर शरीर में रक्त के साथ शर्करा की मात्रा बढ़ा देती है। शरीर दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाता है। ऐसे में शरीर के मधुमेह से प्रभावित होने वाले अंगों को भी बचाना होगा।
क्या कहती है हालिया रिसर्च
शहरी क्षेत्रों (11.2 प्रतिशत) में मधुमेह दो बार आम है, जो ग्रामीण इलाकों (5.2 प्रतिशत) में है, सर्वेक्षण में 15 क्षेत्रों में से सात में, गांवों में इसकी प्रचलन शहरों और शहरों की तुलना में ज्यादा थी। लगभग इन सभी सात क्षेत्रों को आर्थिक तौर पर उन्नत माना जाता है: पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और मणिपुर और चंडीगढ़। चंडीगढ़ में मधुमेह सबसे ज्यादा 13.6% - और बिहार सबसे कम (4.3%) है। डायबिटीज पंजाब (8.7 फीसदी) के ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा है, इसके बाद चंडीगढ़ और तमिलनाडु का स्थान है। तमिलनाडु (13.7 प्रतिशत) और चंडीगढ़ (14.2 प्रतिशत) है।
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 422 मिलियन व्यस्क मधुमेह से ग्रस्त है। 2012 में 1.5 मिलियन लोगों की मधुमेह के कारण मौत हुई।
मधुमेह 62 मिलियन से अधिक भारतीयों को प्रभावित करता है जो कि वयस्क आबादी का 7.1% से अधिक है। मधुमेह के कारण हर साल लगभग 10 लाख लोग अपनी जान गवां बैठते है।
उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले अनाज अहम वजह
सड़क किनारे बनी खाने की दुकानों में पिज्जा, चाउमीन और मोमोज मिलना आम बात हो गई है। इसके अलावा अधिकतर सरकारी राशन की दुकानें चावल और गेहूं का वितरण कर रही हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले ये अनाज देश में मधुमेह की एक नई और बेहद चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहे हैं। किसी भी शुगर के मरीज़ को इस तरह का भोजन लेना चाहिए जो पेट भरने के अलावा उसके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को संतुलित रख सके। मधुमेह के मरीज के मुंह में गया हर कौर उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए मरीज़ को अपने भोजन का खास ख्याल रखना ज़रूरी है। आमतौर मरीज ब्लडशुगर की नार्मल रिपोर्ट आते ही लापरवाह हो जाता है।
यह रोग मनुष्य के साथ जीवन भर रहता है इसलिए जरूरी है कि वह अपने खानपान पर हमेशा ध्यान रखा जाए। इन्सुलिन हार्मोन के स्रावण में कमी से डायबिटीज रोग होता है। डायबिटीज आनुवांशिक या उम्र बढ़ने पर या मोटापे के कारण या तनाव के कारण हो सकता है। डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति को काफी परहेज से रहना होता है। ज़रा सी लापरवाही से गंभीर समस्या हो सकती है। भोजन में रेशेयुक्त पदार्थों का पूर्ण समावेश होना चाहिए। रेशों में सेल्युलोस होता है जो शरीर पचा नहीं सकता है। ऐसे में ये रेशे गैर जरूरी ऊर्जा उत्पादन को रोकते हैं साथ ही आंतों में फूल कर ये कब्जियत और शर्करा के बढ़ते स्तर को रोकने में प्रभावी हैं। रेशेदार पदार्थों में चोकरयुक्त आटा, साग-सब्जियां मुख्य स्थान रखती हैं। इनमें भी सलाद की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
दिन में 200-300 ग्राम सलाद लेना अच्छा माना जाता है। सलाद में गाजर, टमाटर, मूली, ककड़ी, पत्तागोभी आदि ली जा सकती है। भोजन में अतिरिक्त रूप से मौसमानुसार एक फल लेना लाभदायक रहता है। फलों से विटामिन और खनिज लवण भरपूर मिलते हैं। एक सेब खाएं डॉक्टर को भगाएं कहावत के पीछे कोई मकसद रहा होगा, यह इसकी उपादेयता को दर्शाता है। अत: फलों में खट्टे फलों का समावेश ज्यादा श्रेष्ठकर है क्योंकि इनमें शर्करा की मात्रा कम होती है।