मॉडलिंग करने वाली लड़कियों की आंख में आंसू
पिछले कुछ वर्षों में, जब से सोशल मीडिया लोकव्यापी हुआ है, मॉडलों की आपबीती ने कोफ़्त और गुस्से से भर दिया है। दो लड़कियों ने जब इंस्टाग्राम पर मॉडलिंग के पर्दे के पीछे का सच सार्वजनिक किया तो उनके फॉलोअर की संख्या लाख-पचास हजार तक जरूर पहुंच गई, लेकिन जो जानकारियां सामने आईं, उसने पूरी दुनिया के कान खड़े कर दिए।
मॉडलिंग इवेंट करवाने वालों की ऐसी कई बड़ी कारस्तानियां सुर्खियों में आ चुकी हैं। ऐसा ही एक आरोपी था हिमाचल का सन्नी वर्मा। दरअसल, ग्लैमरस मॉडलिंग के पेशे में हकीकत वह नहीं होती, जो रैंप पर दिखती है।
मॉडलिंग की चमक हर किसी की आंखें चकाचौंध से भर देती है लेकिन उसके पीछे का भोगा हुआ शर्मनाक सच, मॉडलों के निजी जीवन की दुखद दास्तान जिन्हें मालूम हैं, इस पेशे को बड़ी गिरी निगाहों से देखने के लिए विवश होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, जब से सोशल मीडिया लोकव्यापी हुआ है, तमाम घिनौनी सचाइयों और मॉडलों की आपबीती ने लोगों को कोफ्त और गुस्से से तिलमिला कर रख दिया है। कुछ वर्ष पहले शिमला (हिमाचल) में मॉडलिंग स्कैंडल में पीड़ित युवतियों ने पुलिस के सामने कई बड़े खुलासे किए थे। उन युवतियों ने जो बयान दिए, उससे पुलिस के भी कान खड़े हो गए। मॉडलिंग में शोहरत और पैसा कमाने का झांसा देकर उनके साथ रेप किए गए। उनकों तमाम नामचीन हस्तियों के पास भेजा जाता था, जो उनका शोषण करते थे।
मॉडलिंग इवेंट करवाने वालों की ऐसी कई बड़ी कारस्तानियां सुर्खियों में आ चुकी हैं। ऐसा ही एक आरोपी था हिमाचल का सन्नी वर्मा। दरअसल, ग्लैमरस मॉडलिंग के पेशे में हकीकत वह नहीं होती, जो रैंप पर दिखती है। पिछले साल 2017 में तो दो लड़कियों ने जब सोशल नेटवर्किंग साइट इंस्टाग्राम पर मॉडलिंग इंडस्ट्री की अंधेरगर्दी से पर्दा हटाया तो उनके फॉलोअर की संख्या लाख-पचास हजार तक जरूर पहुंच गई, लेकिन जो सामने आया, उसने पूरी दुनिया के कान खड़े कर दिए। वह खुलासा उन माता-पिताओं, भाइयों, बहनों के लिए सबसे ज्यादा तकलीफदेह रहा, जिनके अपने मॉडलिंग के पेशे में सुनहरा भविष्य खोजने निकले थे।
एक मॉडल की आपबीती है कि एक फोटोग्राफर उसे बार-बार वे सारे पोज देने को कहता था, जिसके लिए वह मना करती थी। मजबूरी में उस मॉडल ने धीरे-धीरे वे सारे काम करने शुरू किए, जैसा वह चाहता था। वह उसकी मजबूरी का फायदा उठाने लगा। हालात कितने संगीन हो चले थे कि वह मॉडल जोर-जोर से रोती रहती और वह दुराचारी उसकी बिकाऊ तस्वीरें खींचता रहता। अंडरगारमेंट्स निर्माता एक कंपनी के लिए मॉडलिंग करने वाली एक युवती ने खुलासा किया कि उस कंपनी का मैनेजर उसे एक स्टोर में ले जाता, उससे ऐसे कपड़े पहनने के लिए कहता, जो वह कभी नहीं पहन सकती थी। जब उसने उसकी बात नहीं मानी तो वह उसे मारने, पीटने लगा।
बाद में उस मॉडल ने मीडिया को बताया कि मॉडलिंग में दूसरों लोगों ने उसका फायदा उठाया, लेकिन खुद उसकी मां ने भी उसका साथ नहीं दिया। एक बार जब वह मॉडलिंग शूट के दौरान कपड़े बदल रही थी, एक फोटोग्राफर ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। उस वक्त कुछ दूर खड़ी उसकी मां खुली आंखों चुपचाप सब देखती रही। ज्यादातर मॉडल अपनी जिंदगी के स्याह पन्ने इसलिए भी नहीं खोलने चाहती हैं कि उनके जॉब, उनकी रोजी-रोटी में खलल न पड़े अथवा उनके निजी रिश्ते न टूट जाएं।
एक मॉडल अपनी आपबीती सुनाती हुई कहती है कि बेहद थकाऊ, फूहड़, उबाऊ मॉडलिंग का काम खत्म कर घर लौटते ही उसके एजेंट की कॉल आ जाती है कि जल्दी आओ। तुरंत वहां पहुंच जाने के अलावा उसके पास और कोई चारा नहीं रहता है। वह जब भी घर से सज-धजकर मॉडलिंग पर निकलती है, अक्सर सेट पर लुक की वाट लग जाती है। एक-एक पोज देने में जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है लेकिन, कई बार फोकस में उसकी ही तस्वीरें गायब कर दी जाती हैं। उसे ऐसे कपड़े पहनकर फिट बताना पड़ता है, जो उन्हें कत्तई पसंद नहीं होते हैं। अक्सर वह जैसे ही लंच-नाश्ते पर बैठती है, शूट करने का आदेश आ जाता है।
आखिरकार प्राइवेसी तो सबको चाहिए लेकिन सेट पर ही कपड़े बदलने के विवश किया जाता है। उस समय वह शर्म और जिल्लत से कांप उठती है। वहां जहां जाती है, अपनी तस्वीरों का बोझ ढोते रहना पड़ता है। उसे ऐसे विपरीत हालात में इच्छा के विपरीत सजधज कर काम करने, बाद में पेमेंट का महीनों इंतजार करना पड़ता है। तमाम मॉडल तो ऐसी हैं, जो कर्ज के बोझ से लदी रहती हैं। उन्हें इतना पैसा नहीं मिल पाता है कि वह कॉस्टिंग एजेंसियों के कर्ज भी उतार सकें।
जब महंगे कपड़ों, चमचमाते चेहरों के साथ मॉडल रैंप पर कैटवॉक करने के लिए उतरती हैं, तमाम निगाहें उन पर जा टिकती हैं, उस समय उन मॉडलों के सपने भी आकार ले रहे होते हैं लेकिन उनके अंदर अफसोस और दुख की वैतरिणी भी बह रही होती है। रैंप से उतरने के बाद उनमें से तमाम मॉडलों को जेब खर्च के लिए भी मोहताज रहना पड़ता है। वे हर समय कॉस्टिंग एजेंसियों के कर्ज में डूबी रहती हैं। ऐसे इवेंट कराने वाले उन लड़कियों को दोबारा कत्तई रैंप पर नहीं उतारते हैं, जो ऐसी सच्चाइयों पर चुपके से भी मन का दुख जुबान पर ला देती हैं। एक मॉडल का तो कहना है कि उसे कपड़े और हैंडबैग्स के कार्यक्रमों से तो पैसे मिल जाते हैं लेकिन फैशन मैग्जीन शूट के लिए शायद ही किसी को कभी पैसा मिलता हो। यद्यपि आज के समय में 'मॉडल ला' नाम से एक अधिकार समूह का गठन भी हो चुका है लेकिन शोषण और भारी कर्ज से उन्हें निजात कहां। भारत हो या विदेश, हर जगह मॉडलों को इसी तरह के हालात से दो-चार होना पड़ रहा है।
आम धारणा तो यही रहती है कि इन मॉडलों की खूब कमाई होती है, लेकिन सच्चाई कुछ और रहती है। सिर्फ दो-तीन प्रतिशत मॉडल ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होती हैं। महिला मॉडलों के तुलना में पुरुष मॉडलों के हालात तो इससे भी बुरे हैं। बिना मेहनताने वाला काम मॉडलों की जिंदगी का सबसे बड़ा दुख है। मॉडलिंग में सबसे बुरा हाल उन मॉडल्स का होता है, जो कमजोर परिवारों से आती हैं। कास्टिंग एजेंसियां उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा भी खुद धर लेती हैं। सबसे पहले वे ही शोषण की शिकार होती हैं। उधर, आज सोशल मीडिया ने मॉडलिंग की दुनिया को छिन्न-भिन्न करके रख दिया है। पहले रैम्प वॉक से पहले मॉडलों को बैक स्टेज पर घंटों इंतजार करना पड़ता था।
आज फेसबुक और इंस्टाग्राम के बिना मॉडलिंग असफल है। हर वक्त अपना सोशल मीडिया अकाउंट अपडेट करते रहना पड़ता है। हर वक्त अपने फैंस के साथ जुड़े रहना मॉडलों की मजबूरी हो गई है। इतना ही नहीं, हर वक्त कमेंट्स पर जवाब भी देते रहना पड़ता है। उन्हें ये अतिरिक्त बोझ भी इसलिए उठाना पड़ता है कि आज इसी तरह उनकी मार्केट वैल्यू बढ़ती है। एजेंसियां खास तौर से इस पर निगाह रखती हैं कि किसके, कितने फॉलोवर्स हैं। कास्टिंग में मॉडल की सोशल नेटवर्क्स में मौजूदगी बड़ी भूमिका निभाती है। सोशल नेटवर्किंग से पहले मॉडल प्रेस, फोटोग्राफर और फैशन डिजायनरों पर निर्भर रहती थीं। वे ही तय करते थे कि वह अपनी दुनिया में मॉडल को आने देंगे या नहीं। आज हालात बदल चुके हैं। इससे मॉडलों का बोझ, सिरदर्द बढ़ा है तो कई मायने में आजादी भी।
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