अगले साल से 9.5 करोड़ किसानों को मिलेगी मौसम की जानकारी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) इस समय देश के चार करोड़ किसानों को मौसम पूर्वानुमान दे पा रहा है। अगले साल से ऐसे किसानों की संख्या 9.5 करोड़ हो जाएगी। अभी मौसम विभाग पांच-सात दिन के मौसम पूर्वानुमान दे रहा है।
अगले वर्ष 2020 से भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) देश के 660 जिलों के सभी 6,500 ब्लॉकों के किसानों को मौसम का हाल बताने लगेगा। इससे देश के 9.5 करोड़ ऐसे किसानों को फायदा होगा, जिन्हे समय से सटीक मौसम पूर्वानुमान न मिल पाने से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। देश के 530 जिलों में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में ऐसी इकाइयों को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में चार करोड़ किसानों को एसएमएस और एम किसान पोर्टल के जरिए जिला स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जा रहा है।
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीनस्थ एवं विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक आईएमडी मौसम संबंधी टिप्पणियों, मौसम की भविष्यवाणी मौसम आधारित कृषि सलाह और भूकंपीय विज्ञान की प्रमुख एजेंसी है, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। यह भारत और अंटार्कटिका के सैकड़ों अवलोकन स्टेशनों का संचालन करती है। मुंबई, कोलकाता, नागपुर और पुणे में इसके सहायक कार्यालय हैं।
आईएमडी के लिए मौसम पूर्वानुमानों को एकदम सटीक बनाना और कृषि मौसम परामर्श सेवाओं को अधिक उपयोगी बनाना सबसे चुनौती भरा काम है। अभी मौसम विभाग जिला आधार पर एडवाइजरी जारी करता है। ब्लॉक स्तर तक मौसम की जानकारी देने के लिए विभाग ने पिछले साल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ समझौता किया था। आईसीएआर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद इस दिशा में काम काफी आगे बढ़ गया है। दो सौ ब्लॉक में इसके पायलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इस समय मौसम विभाग के पास जिला स्तर पर मौसम आधारित सलाह प्रसारित करने के लिए 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट्स हैं।
मौसम विभाग पांच दिन का पूर्वानुमान किसानों को देता है। इससे किसानों को बहुत फायदा होता है। मान लीजिए कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण मानसून आने वाला होता है तो विभाग उसकी जानकारी पहले से किसानों के दे देता है, जिससे उनकी बिजली, पानी, श्रम और समय की बचत हो जाती है। विभाग टीवी, रेडियो, इंटरनेट और अखबारों के माध्यम से मौसम पूर्वानुमान किसानों तक पहुंचाता है, साथ ही 200 शब्दों का संदेश मोबाइल फोन्स के द्वारा भी किसानों को दे दिया जाता है। विभाग में फसली मौसम पूर्वानुमान देने की भी व्यवस्थाएं हैं।
जिस राज्य का क्षेत्रफल बड़ा होता है, वहां मौसम पूर्वानुमान में पूर्णतः सटीकता नहीं होती है। ऐसे में हम सटीकता के लिए जिला स्तर पर भी मौसम पूर्वानुमान दिए जाते हैं ताकि मौसम के आधार पर किसान अपनी तैयारी कर सकें। अब विभाग ने प्रत्येक जिले के दो-दो ब्लाकों में प्रयोग के तौर पर मौसम पूर्वानुमान देना शुरू कर दिया है यानि अब कोई भी अपने ब्लाक के मौसम की जानकारी आसानी से ले सकता है। मौसम पूर्वानुमान के लिए कई तरह की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इसकी पहली और सबसे आसान तकनीक क्लाइमोटोजिकल फॉरकास्ट है।
क्लाइमोटोजिकल फॉरकास्ट में सौ वर्ष के आंकड़ों के हिसाब से पूर्वानुमान लगाए जाते हैं। दूसरी तकनीक स्टेटिस्टिकल फॉरकास्ट होती है, जिसमें कुछ फार्मूले के तहत गुणा-गणित कर मौसम का अनुमान लगाया जाता है। इसकी सटीकता कम होती है। हर बार नया फार्मूला बनाना होता है। तीसरी तकनीक, सिनोप्टिक मेथड से मौसम पूर्वानुमान किए जाते हैं। इस मैथड में देश भर में मौजूद वेधशालाओं से जुटाए गए आकंड़ों को चार्ट पर तैयार कर आकलन किया जाता है कि कहां उच्च दाब है, कहां निम्न दाब, ट्रफ कहां बना है और रिज कहां है। यह सब अध्ययन कर लेने के बाद मौसम पूर्वानुमान प्रसारित किया जाता है।
आजकल मिडियम रेंज फॉरकास्ट कम्प्यूटर की मदद से यह सब किया जा रहा है। यह न्यूमेरिकल वेदर प्रेडिक्शन कहलाता है। इसके तहत 5-7 दिन के मौसम का पूर्वानुमान किया जाता है। इसको समान्य भाषा में मशीन मैथड कहते हैं लेकिन कम्प्यूटर द्वारा किए गये आकलन में अनुभव के आधार पर वेल्यू एडिशन कर मौसम पूर्वानुमान किसानों तक पहुंचाया जाता है। अब विभाग ने किसानों की मांग पर एक्सटेंडेड फॉरकास्ट भी करना शुरू कर दिया है। इसके तहत किसान चार सप्ताह पहले ही मौसम पूर्वानुमान देख सकते हैं।
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