स्टार्टअप फंडिंग नियमों में सेबी ने दी ढील
एफपीआई को असूचीबद्ध डिबेंचरों में दिया निवेश का मौका।
प्रतिभूति बाजार को बल देने के लिए बाजार नियामक सेबी ने स्टार्टअप के लिए फंडिंग नियमों में ढील दी और असूचीबद्ध कारपोरेट बांडों में विदेशी निवेश की अनुमति दी। इसके साथ ही निजी इक्विटी कोषों तथा सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तकों पर आपस में गोपनीय तरीके से मुनाफा भागीदारी के लिए करार करने पर रोक लगा दी है।
अल्पांश निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कड़ा ढांचा पेश करते हुए सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों व उनके आला अधिकारियों को शेयरधारकों की मंजूरी के बिना निजी इक्विटी फंडों के साथ लाभ में हिस्सेदारी समझौता करने से रोक दिया है। इस तरह के समझौते के लिए अब कंपनी के निदेशक मंडल व आम शेयरधारकों से मंजूरी लेनी होगी।
सेबी के निदेशक मंडल की हुई बैठक में इन कदमों को मंजूरी दी गई है। यह कदम और अधिक निवेशकों को आकषिर्त करने तथा पूंजी बाजार का दायरा बढाने के लिए उठाया गया है।
सेबी ने स्टार्ट-अप कंपनियों में निवेश को बढावा देने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में एंजल निवेशकों के लिए नियमों में ढील दी है।
इसके तहत नए व्यावसायिक विचारों को सहारा देने वाले ऐसे निवेशक अब पांच साल तक पुरानी इकाईयों में पूंजी लगा सकेंगे। इसके तहत एंजल निवेशकों के लिए स्टार्ट-अप कंपनी में निवेश बनाए रखने की न्यूनतम अनिवार्य अवधि तीन साल से घटा कर एक साल कर दी है। इसी तरह उनके लिए न्यूनतम निवेश की सीमा भी 50 लाख रुपये से घटा कर 25 लाख कर दी गयी। इसके पीछे सोच यह है कि विचार के स्तर पर कुछ इकाइयों को ज्यादा धन की जरूरत नहीं होती।
भारत में स्टार्ट-अप क्षेत्र के लिए वैकल्पिक निवेश कोष उद्योग के विकास और स्टार्ट-अप इकाइयों के लिए अनुकूल नियामकीय वातावारण उपलब्ध कराने के बारे में सिफारिश करने के लिए मार्च 2015 में इन्फोसिस टेक. के पूर्व प्रमुख एनआर नारायणमूर्ति की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनायी थी। इसे वैकल्पिक निवेश नीति सलाहकार समिति कहा गया। इसमें बाजार के विभिन्न खंडों के प्रतिनिधि रखे गए थे।
इस रपट पर सार्वजनिक बहस के बाद सेबी ने एंजल निवेश कोष के बारे में ये संशोधित नियम मंजूर किए हैं। इस समय सेबी में कुल 266 वैकल्पिक निवेश कोष पंजीकृत हैं। इनमें चार एंजल फंड सहित 84 प्रथम वर्ग के फंड हैं जिनमें वेंचर कैपिटल फंड, एसएमई फंड और इन्फास्ट्रक्चर फंड शामिल होते हैं।