'बैड ब्वॉय' रहे संजय दत्त 'संजू' में हो गए 'गुड ब्वॉय'
संजय दत्त की 'संजू' का सच...
फिल्में और किताबें पहले से भी नेताओं, अभिनेताओं, अधिकारियों और अन्य तरह की हस्तियों की इमेज सुधारने के लिए बनती और लिखी जाती रही हैं लेकिन अपने विवादास्पद जीवन के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे संजू बाबा फिल्म 'संजू' और 'द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय' बॉयोग्राफी को लेकर इन दिनो कई तरह की चर्चाओं में हैं।
फिल्म में उन हिस्सों को दिखाया ही नहीं गया, जिससे संजय की छवि को नुकसान पहुंच सकता था। फिल्म के ट्रेलर से ही साबित करने की कोशिशें होने लगीं कि 'संजय दत्त बेवड़ा हैं, ठरकी हैं, ड्रग एडिक्ट हैं, सब कुछ हैं लेकिन टेररिस्ट नहीं हैं।
पहले 'द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय' पुस्तक पर विवाद, और अब 'संजू' फिल्म हिट होने के बाद बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त कई तरह की ताजा चर्चाओं के केंद्र में आ गए हैं। 'द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय' बॉयोग्राफी यासिर उस्मान ने लिखी है, जिसे जगनॉर्ट प्रकाशन ने छापी है। गौरतलब है कि 'द क्रेजी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय' नामक किताब में संजय दत्त ने अपनी कहानी लिखने का दावा करने वाले लेखक और प्रकाशक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए हाल ही में कहा था कि 'अपनी जीवनी के लिए उन्होंने किसी को भी अधिकृत नहीं किया था। मैंने न तो जगनॉर्ट प्रकाशन और न यासिर उस्मान को अपनी जीवनी लिखने अथवा प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया था। हमारे वकीलों ने उन्हें एक कानूनी नोटिस भेजा है, जिसके जवाब में जगनॉर्ट पब्लिकेशन्स ने कहा है कि प्रस्तावित पुस्तक की सामग्री प्रमाणिक सूत्रों से सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित है।
हालांकि, इस किताब के जो अंश सामने आ रहे हैं, वह मेरे पुराने साक्षात्कारों पर आधारित हैं, बाकी सब कही-सुनी बातें हैं। 1990 के दशक के समाचार पत्र और गॉसिप पत्रिकाओं में छपी ज्यादातर खबरें बस कल्पना हैं और सच नहीं हैं। अगली कार्रवाई के लिए मैं अपनी कानूनी टीम के साथ परामर्श कर रहा हूं। मैं आशा करता हूं कि आगे से कोई ऐसे अंश नहीं छापेगा, जिससे मेरी या मेरे परिवार की भावनाएं आहत हों।' (I hope better sense will prevail and there will be no further excerpts that will hurt me or my family. My official autobiography will be out soon which will be authentic and based on facts.)
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि जल्द ही उनकी प्रामाणिक आत्मकथा आएगी। संजय दत्त का यह बयान सार्वजनिक होते ही प्रकाशक ने किताब की कोई भी सामग्री मीडिया में जारी न करने का निर्णय लेते हुए कहा था कि किताब को लेकर संजय की नाराजगी पर उन्हें दुख है। संजय दत्त पर आधारित यह बायोग्राफी गुपचुप तरीके से बाजार में लॉन्च भी कर दी गई। संजय की नाराजगी का कारण ये रहा कि उन्होंने किसी प्रकाशक और लेखक को बायोग्राफी लिखने और प्रकाशित करने का अधिकार दिया ही नहीं था।
संजय के वकीलों ने लेखक और प्रकाशक को जो कानूनी नोटिस भेजा, उसपर प्रकाशक की ओर से सफाई देते हुए कहा गया कि कि उनके बारे में पहले से पब्लिक डोमेन में मौजूद कंटेंट के आधार पर यह किताब लिखी गई। इस किताब में माधुरी दीक्षित के साथ अफेयर से लेकर संजय दत्त के बचपन, नरगिस की मौत, उनके ड्रग्स और गर्लफ्रेंड को लेकर काफी कुछ लिखा गया है। इस घटनाक्रम के बाद जब इसी माह संजय दत्त की जिंदगी पर आधारित एवं राजकुमार हीरानी द्वारा निर्देशित फिल्म 'संजू' (बायॉपिक) आ गई तो मीडिया टिप्पणीकारों का प्रतिकार करने के लिए संजय दत्त को एक बार फिर मुखर होना पड़ा। फिल्म के बारे में ज़्यादातर लोगों का कहना था कि इसे संजय दत्त की छवि को सुधारने के लिए बनाया गया है।
फिल्म में उन हिस्सों को दिखाया ही नहीं गया, जिससे संजय की छवि को नुकसान पहुंच सकता था। फिल्म के ट्रेलर से ही साबित करने की कोशिशें होने लगीं कि 'संजय दत्त बेवड़ा हैं, ठरकी हैं, ड्रग एडिक्ट हैं, सब कुछ हैं लेकिन टेररिस्ट नहीं हैं। हालांकि एक वर्ग ऐसा भी था जिसे यह फिल्म पसंद आई। फिल्म में रणबीर कपूर की ऐक्टिंग को काफी सराहना मिली। संजय दत्त का कहना था कि 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' पहले ही बन चुकी थी और वह अवतार पहले ही लोगों के सामने था। कोई भी इंसान अपनी छवि को सुधारने के लिए 30-40 करोड़ रुपये नहीं लगाएगा। उनको इस बात की खुशी है कि लोग उनकी गलतियों से सबक ले रहे हैं। फिल्म में रणबीर के अलावा विकी कौशल, परेश रावल, मनीषा कोइराला, दीया मिर्जा और अनुष्का शर्मा जैसे स्टार कलाकारों ने भूमिका निभाई है।
संजय दत्त की इस बायोपिक 'संजू' का लोगों को बेसब्री से इसलिए भी इंतजार रहा क्योंकि उनकी पूरी जिंदगी तरह-तरह के घटनाक्रमों से भरी पड़ी है। यानी उनकी पूरी लाइफ एक दिलचस्प रियल स्टोरी की तरह है। फिल्म समीक्षकों का मानना है कि 'संजू' फिल्म संजय दत्त की छवि सुधारने से ज्यादा और कुछ नहीं। बस उसे दिखाने के अलग नज़रिये का इस्तेमाल किया गया है। फिल्म में संजय दत्त की जिंदगी के तीन खास पक्षों पर फोकस किया गया है। ड्रग्स के चक्कर में फंस जाना, अंडरवर्ल्ड से संबंध और उनके माता-पिता की छवि। फिल्म में बताया जाता है कि जब संजय दत्त जेल में थे तो भीषण गर्मी में भी उनके पिता सुनील दत्त (फिल्म में परेश रावल) जमीन पर सोते थे।
मुंबई अटैक के बाद संजय दत्त हथियार रखने के इल्जाम में टाडा में गिरफ्तार हो गए थे। बाद में टाडा से बरी कर आर्म्स एक्ट में उनको छह सला की सजा सुनाई गई थी। फिल्म में एक सवाल जोड़ दिया जाता है कि जो हथियार उनके घर से मिले थे, वे उनके पास कैसे पहुंचे। फिल्म में इसके लिए इमोशनल, लेकिन पूरी तरह हास्यास्पद दलीलें दी जाती हैं। फिल्म की कहानी अभिजात जोशी के साथ खुद हिरानी ने ही लिखी है। उन्हें पता है कि कैंसर से मां की मौत, बहनों को रेप की धमकी और बेटे के जेल में रहने पर तपती गर्मी में बाप का जमीन पर सोने जैसे दृश्य दिखाकर लोगों की सहानुभूति कैसे बटोरनी है। संजय दत्त की 'गुड इमेजिंग' का मामला उछलने के बाद निर्देशक राजकुमार हिरानी को भी सफाई के लिए आगे आना पड़ा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या आपने यह फिल्म संजय दत्त की छवि को सुधारने के लिए बनाई है तो वह कहते हैं कि यह फिल्म केवल एक अच्छी कहानी के तौर पर बनाई गई है। जो सच है, वही हमने फिल्म में दिखाया है। अगर मैं संजय दत्त की छवि सुधारने के लिए फिल्म बनाता तो मेरी ही छवि इंड्रस्टी में खराब हो जाती। एक डायरेक्टर कहानी का भूखा होता है। जैसे ही कोई अच्छी कहानी मिलती है, हम उस पर फिल्म बनाने को तैयार रहते हैं। जो सच है, वहीं पर्दे पर दिखाया गया है। हमने यह दिखाने की कोशिश की है कि कोई इंसान कभी भी जीवन में हार नहीं मान सकता है। इसी दौरान फिल्म के प्रोड्यूसर की भी सफाई आती है कि वह अपने पैसे देकर संजय दत्त की छवि भला क्यों सही करना चाहेंगे। हमने यह फिल्म एक अच्छी कहानी के तौर पर बनाई है।
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