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दुनिया भर की भाषाओं में मिलते जुलते शब्दों के पीछे का विज्ञान

दुनिया भर की भाषाओं में मिलते जुलते शब्दों के पीछे का विज्ञान

Tuesday December 05, 2017 , 3 min Read

कई बार ऐसा होता है कि अलग अलग द्वीपों में बोली जाने वाली भाषाओं के शब्द काफी हद तक एक ही उच्चारण के लगते हैं। जैसे कि अंग्रेजी का शब्द मदर, फ़ारसी के शब्द मादर से और हिंदी का शब्द घास, अंग्रेजी के ग्रास से काफी मिलता जुलता है।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


दुनिया भर में तकरीबन 7099 भाषाएं बोली जाती हैं। जिनमें से एक तिहाई भाषाएं लुप्त होने की कगार पर हैं। जबकि केवल 23 भाषाएं ऐसी हैं जो आधी दुनिया मे इस्तेमाल की जाती हैं। सालों से शोधकर्ताओं की जिज्ञासा इन भाषाओं के व्यवहार को समझने में रही है।

यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना माशा की एक नई स्टडी के मुताबिक, इस तरह की भाषाई समानता के पीछे इंसानी दिमाग की कार्यप्रणाली जिम्मेदार होती है। ये पूरा शोध साइकोलॉजिकल साइंस नाम के एक जर्नल में पब्लिश हुआ है। 

कई बार ऐसा होता है कि अलग अलग द्वीपों में बोली जाने वाली भाषाओं के शब्द काफी हद तक एक ही उच्चारण के लगते हैं। जैसे कि अंग्रेजी का शब्द मदर, फ़ारसी के शब्द मादर से और हिंदी का शब्द घास, अंग्रेजी के ग्रास से काफी मिलता जुलता है। दुनिया भर में तकरीबन 7099 भाषाएं बोली जाती हैं। जिनमें से एक तिहाई भाषाएं लुप्त होने की कगार पर हैं। जबकि केवल 23 भाषाएं ऐसी हैं जो आधी दुनिया मे इस्तेमाल की जाती हैं। सालों से शोधकर्ताओं की जिज्ञासा इन भाषाओं के व्यवहार को समझने में रही है।

यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना माशा की एक नई स्टडी के मुताबिक, इस तरह की भाषाई समानता के पीछे इंसानी दिमाग की कार्यप्रणाली जिम्मेदार होती है। ये पूरा शोध साइकोलॉजिकल साइंस नाम के एक जर्नल में पब्लिश हुआ है। इस शोध के मुख्य लेखक और यूनिवर्सिटी में असिस्टेन्ट प्रोफेसर फेजेकिना बताते हैं कि अगर हम दुनिया भर की तमाम भाषाओं पर नजर डालें तो ऊपरी तौर वे अलग ही दिखती हैं। बावजूद इसके उनमें बहुत सारी समानताएं होती हैं, बहुत सारे शब्द और उनके इस्तेमाल एक से होते हैं। जिसको हम लोग क्रॉस लिंगुइस्टिक जनरलाइजेशन के नाम से जानते हैं।

शोधकर्ताओं की एक टीम ने अंग्रेजी बोलने वालों का दो ग्रुप बनाया। इन दोनों समूहों को एक तैयार की गई आर्टिफिशियल भाषा सिखाई गई। फिर एक विषय पर अभिव्यक्त करने के लिए अलग अलग तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया। ये नई भाषा अंग्रेजी से बिल्कुल ही अलग बनाई गई थी। शब्द, व्याकरण सब भिन्न थे। लेकिन जब ग्रुप के अंग्रेजीभाषी लोगों ने इस नई भाषा में बात करनी शुरू की तो आश्यर्चजनक तरीके से उन्होंने अपने दिमाग से ही नए शब्द गढ़ दिए जो कि उनकी मातृभाषा के काफी करीब थे।

ये नई शोध पहली ऐसी शोध है जो इस अवधारणा को सत्यापित करता है कि मानव दिमाग के क्रॉस ट्रांसफर की वजह से अलग अलग भाषाओं में भिन्नता होते हुए भी इत्तनी समानता दिखती है। इस शोध का उद्देश्य था कि वो इंसानों की भाषाई कैज़ुअल लिंकिंग पर प्रकाश डाल सके। शोध से ये बात निकलकर सामने आई कि जब कोई व्यक्ति नई भाषा सीखने जाता है तो उसका दिमाग दो तरीके से काम करता है, व्याकरण को पूरी तरह से आत्मसात कर लेना और दूसरा जिस तरह के शब्द वो अपनी मातृभाषा में बोलता आया है उसी तरह के शब्द उस भाषा में भी गढ़ देना।

भाषा विज्ञान में ये निष्कर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और अभिव्यक्ति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न भाषाओं में एक गहरा संबंध है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाएं और उनके बीच पाई गई समानताएं अब एक गुत्थी नहीं रह गई हैं।

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