क्यों संपूर्ण सेहत के लिये पाचन तंत्र का मजबूत रहना है बेहद महत्वपूर्ण? जानिए...
आंतों की सेहत (गट हेल्थ) पर असर डालने वाले कई जैविक संक्रमण होते हैं. लेकिन एच. पाइलोरी इंसान में पाया जाने वाला सबसे आम जैविक संक्रमण है, जो दुनिया में लगभग 4.4 बिलियन लोगों को प्रभावित करता है.
जब कभी हम महत्वपूर्ण फैसले करते हैं, तब अक्सर अपने मन की बात सुनते हैं. ऐसे में अपने शरीर की संपूर्ण सेहत बनाये रखने के लिये हमें अपने मन की बात सुनना चाहिए. अगर हम अपनी सेहत को दुरुस्त बनाए रखना चाहते हैं तो हमारे लिए सबसे जरूरी है कि हम अपनी आंतों यानी गट अथवा पाचन तंत्र को मजबूत बनाएं. हमारा पेट आंतों का निर्माण करने वाले सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक होता है और यह आंतों की सेहत के सही संतुलन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है. पेट आपके द्वारा खाई गई चीजों को तोड़ने की जटिल प्रक्रिया शुरू करता है जिससे जरूरी पोषक तत्व पूरी तरह शरीर में एब्जॉर्ब हो सकें. पेट के आम संक्रमणों से असहजता पैदा करने वाले लक्षण सामने आ सकते हैं, जैसे कि धीरे-धीरे या जलन के साथ दर्द होने की समस्या, ब्लॉटिंग, मितली, उल्टी और भूख न लगना. लेकिन हम इन समस्याओं की सही-सही पहचान हो सके, इसके लिये कितनी बार डॉक्टर के पास जाते हैं?
आंतों की सेहत (गट हेल्थ) पर असर डालने वाले कई जैविक संक्रमण होते हैं. लेकिन एच. पाइलोरी इंसान में पाया जाने वाला सबसे आम जैविक संक्रमण है, जो दुनिया में लगभग 4.4 बिलियन लोगों को प्रभावित करता है.
भारत में एबॅट के रैपिड डायग्नोसिस बिजनेस की मेडिकल अफेयर्स डायरेक्टर डॉ. निधि लूम्बा ने कहा, ‘‘लोगों के पाचन एवं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ की सुरक्षा करना उनकी संपूर्ण तंदुरुस्ती के लिये महत्वपूर्ण है. संक्रमण के संकेतों को जल्दी पहचानकर और तुंरत निदान करवाकर तेजी से ठीक होने में लोगों को मदद मिल सकती है. ऐसे आसान और तेज पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्ट्स होते हैं, जो जल्दी से संक्रमण का पता लगाने में मदद कर सकते हैं, ताकि आपके डॉक्टर उपचार की सही योजना या जीवनशैली के बदलाव के बारे में बता सकें.’’
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, नई दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी एण्ड हीपैटोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर और हेड डॉ. राजेश उपाध्याय ने बताया, ‘‘भारत में लगभग 80% लोगों को एच. पाइलोरी का संक्रमण होता है. अगर इसका पता न चले और उपचार न हो, तो यह जैविक संक्रमण पूरी सेहत पर असर डाल सकता है. इसमें अक्सर बहुआयामी तरीके की जरूरत होती है, जैसे कि आपको उपचार कराने के साथ ही व्यायाम पर ध्यान देना होता है, आहार में बदलाव और तनाव का प्रबंधन भी करना होता है. एच. पाइलोरी परेशान करने वाले लक्षण उभारने के अलावा सेहत की दूसरी परेशानियाँ भी दे सकता है और उन्हें रोकना या ठीक करना महत्वपूर्ण होता है. लोग इस संक्रमण को तुरंत पहचान सकें, इसके लिये जल्दी पता लगाना महत्वपूर्ण है. ऐसे में लोग सही उपचार ले सकते हैं और अपनी बेहतर देखभाल कर सकते हैं.‘’
पेट के संक्रमण कैसे सामने आते हैं
एच. पाइलोरी से संक्रमित ज्यादातर मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन कुछ मामलों में संक्रमण से पेट की परत पर दर्दनाक घाव या छाले, लालिमा या प्रदाह (गैस्ट्राइटिस) या अपच हो सकता है. लंबी अवधि में इससे पेट के कैंसर के विभिन्न प्रकारों का जोखिम भी बढ़ सकता है. यह संक्रमण गैस्ट्रिक अल्सर के 50% से 65% और गैस्ट्रिक कैंसर के 42% से 75% भारतीय मरीजों में देखा जाता है. इसके अलावा, पेट की सुरक्षा परत को कमजोर करते हुए, यह संक्रमण पेट को ज्यादा कमजोर बना सकता है.
यह संक्रमण किन समूहों को प्रभावित करता है?
यह जीवाणु आमतौर पर बच्चों को उनके जीवन के पहले दस सालों में प्रभावित करता है. लेकिन एच. पाइलोरी से जुड़ी बीमारियाँ बड़े पैमाने पर वयस्कों में मिलती हैं.
जीवाणु का संक्रमण फैलने वाला होता है और अक्सर प्रत्यक्ष संपर्क या संदूषित पानी अथवा भोजन से फैलता है. इसका जोखिम बढ़ाने वाले कारकों में भीड़-भाड़ वाले या अस्वच्छ परिवेश, शुद्ध, प्रवाहित जल की अविश्वसनीय आपूर्ति और संक्रमण से पीडि़त व्यक्ति के साथ रहना या संपर्क करना शामिल हैं.
पेट के संक्रमण आपको काफी कमजोर बना सकते हैं, लेकिन सही जानकारी और लक्षणों की समझ, सही निदान एवं उपचार से इन्हें ठीक भी किया जा सकता है. आपको संक्रमण का जोखिम कम हो और आपकी आंतें बिल्कुल स्वस्थ रहें, इसके लिये तुंरत डॉक्टर से सलाह करना महत्वपूर्ण है.