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बिहार के छोटे से गाँव की शान्या दास ने कोरोना संकट में दिया लोगों को रोजगार और बनाया आत्मनिर्भर

महिलाओं का वास्तविक सशक्तिकरण ही महिला दिवस का हो उद्देश्य: शान्या दास

बिहार के छोटे से गाँव की शान्या दास ने कोरोना संकट में दिया लोगों को रोजगार और बनाया आत्मनिर्भर

Tuesday March 08, 2022 , 5 min Read

विगत कुछ वर्षों में डिजिटल क्षेत्र ने सर्वाधिक विकास प्राप्त किया है, साथ ही महिला उद्यमियों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है। पूर्व में ऐसी धारणा थी कि महिलाएं व्यापार के क्षेत्र में या स्टार्टअप इत्यादि में अपनी सहभागिता प्रमुखता से नहीं बना पातीं थीं लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। साथ ही देश के सुदूर क्षेत्रों और कम विकसित राज्यों की महिलायें भी अब उद्यम में शिरकत कर रही हैं और अपनी पहचान बना रही हैं। इसी बदलती तस्वीर में एक नाम बिहार के अररिया जिले की शान्या दास का भी है।

मध्यम वर्गीय परिवार और बिहार के छोटे से गाँव से आने वाली शान्या ने चुनौतियों, आपदाओं, और संसाधनों की कमी को दोष ना देते हुए इन्हीं में हल ढूँढने की कोशिश की और जब सारा विश्व कोरोना संकट में था, लोग बेरोजगारी के चरम पर थे, और कंपनियां काम से लोगों को बाहर कर रही थीं, वैसे में शान्या ने लोगों के लिए रोजगार, कौशल और आत्मनिर्भरता के अवसर शुरु किये। 

वर्ष 2020 फरवरी में शान्या ने अंकित देव अर्पण के साथ मिलकर राइटर्स कम्युनिटी की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को रोजगार देना और प्रशिक्षित करना था। शान्या कहती हैं, "यह फ्रीलांसर्स के लिए बनाया गया प्लेटफॉर्म है, जहां 400 से अधिक लोग जुड़ कर काम कर रहे हैं और उन्हें इनकम भी हो रही है।"

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राइटर्स कम्युनिटी फ्रीलान्स क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को ना केवल लिखने का साथ ही साथ फ्रीलैन्स क्षेत्र में उपलब्ध अन्य अवसरों के माध्यम से भी काम करने का अवसर देती है। बिना किसी निवेश के शुरु हुई इस कम्यूनिटी ने अपने दो वर्षों में 30 लाख से अधिक का काम भी किया है। एड टेक प्लैटफॉर्म्स को कंटेन्ट देने के साथ-साथ, अन्य संस्थानों को कंटेन्ट सेवाएँ देना, वेबसाईट बनाना, ग्राफिक बनाना, फेसबुक ऐड पर काम करना, ब्रांडिंग और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट, सोशल मीडिया मैनेजमेंट और अन्य डिजिटल सेवाओं में यह कम्युनिटी निरंतर काम कर रही है। 

शान्या कहती हैं, "हम महिलाओं और दिव्यंगजनों पर ज्यादा केंद्रित रहे हैं। मेरा मानना है कि महिलाओं के लिए कुछ कार्यक्रमों के आयोजन करने से बेहतर है कि उन्हें अधिक से अधिक बेहतर अवसर दिए जायें। उनकी क्षमताओं पर प्रश्न न करके उन्हें खुद को साबित करने का अवसर मिले।"

गौरतलब है, कि सामाजिक कारणों से महिलाओं के पास अपेक्षाकृत कम अवसर हैं, जिसमें वो निरंतर प्रयास करते हुए पुलिस सेवा से राष्ट्र की प्रथम नागरिक तक पहुंची हैं, लेकिन सोचने की बात यह है कि आखिर क्या कारण रहे होंगे कि बिहार की प्रथम महिला उपमुख्यमंत्री 2022 में बन रही हैं और भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति स्वतंत्रता के 60 वर्षों के बाद बनीं।

आज भी महिलाओं की उपलब्धियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं, जिसका एक मात्र कारण है कि ये सामाजिक मुख्यधारा में अब तक खुद को ठीक तरह से स्थापित नहीं कर सकीं हैं, या फिर कहा जाये तो इन्हें ठीक तरह से स्थापित होने का मौका ही नहीं मिला है अब तक। शहरी महिलाओं को यदि छोड़ दिया जाये तो गांव-देहात में गिनती भर औरतें होती हैं, जो स्वयं को सही तरह से साबित कर पाती हैं।

इन्हीं सारी वजहों को ध्यान में रखते हुए शान्या ने पिछले दो वर्षों में महिलाओं के लिए आ रही चुनौतियों को समझा है और समय-समय पर उनके अंदर आत्मविश्वास से आये बदलाव को भी देखा।

वे कहती हैं, "जनवरी 2022 में राइटर्स कम्युनिटी के एक इंटर्नशिप कार्यक्रम में कुछ छात्राओं ने स्वयं को इसलिए अलग करने का फैसला लिया था क्योंकि इस कार्यक्रम के दौरान उन्हें किसी विषय पर वीडियो बनाने हेतु कहा गया था और उन्हें यह मुश्किल लग रहा था, वे खुद को कैमरे के सामने लाने, सोशल मीडिया पर लाने से डर रहीं थीं लेकिन बाद में जब उन्हें 45 मिनट इस बारे में समझाया गया तो उन्होंने न केवल विडियो बनाया, साथ ही विडियो चैट के माध्यम से 3 विषयों पर ग्रुप डिस्कशन भी किया। बेहद ज़रूरी है, कि हम महिलाओं के भीतर आत्मविश्वास जगायें, उनकी स्वचेतना को जागृत करें और उनके लिए रोजगार के समान अवसर उपलब्ध करायें।"

वहीं दूसरी ओर दिव्यांग जनों को भी निरंतर समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उन्हें घर बैठे प्रशिक्षित करने मात्र से वे घर बैठे काम पा सकते हैं एवं आत्मविश्वस के साथ साथ जीवन यापन भी कर सकते हैं। 

शान्या ने अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाओं एवं दिव्यांग जनों को प्राथमिकता देने के साथ-साथ छात्रों को भी निरंतर इंटर्नशिप कार्यक्रमों से जोड़ा है जिससे वे लेखन के विभिन्न आयामों को समझ सकें। इन इंटर्नशिप कार्यक्रमों में आईआईटी, दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईएम, बनस्थली विद्यापीठ समेत अन्य संस्थानों के छात्र जुड़े हैं।

साथ ही कुशल प्रशिक्षकों, लेखकों, लोक सेवा में सहयोग कर रहे अधिकारियों के माध्यम से निरंतर इनके लिए संवाद कार्यक्रम रखा जाता है जो इन्हें प्रोत्साहित भी करता है एवं अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरित भी करता है।

राइटर्स कम्युनिटी संस्थापक शान्या दास और अंकित देव अर्पण ने बताया, कि जल्द ही राइटर्स कम्युनिटी अपने दो अन्य कार्यक्रमों को शुरु कर रही है जिसके माध्यम से देश के विभिन्न महाविद्यालयों के छात्रों को प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा और वे भी फ्रीलांस क्षेत्र से जुड़ कर कार्य करने का अवसर प्राप्त कर पाएंगे।