भारतीय मूल के इस वैज्ञानिक के नेतृत्व वाली टीम ने खोजा सबसे दूर स्थित गैलेक्सीज का समूह
भारत के गोवा में जन्मे साइंटिस्ट विट्ठल तिल्वी के नेतृत्व में नासा के ऐस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने सबसे दूर स्थित एक गैलेक्सीज के समूह की खोज की है। तिल्वी की टीम इससे पहले सबसे दूर स्थित गैलेक्सी की भी खोज कर चुकी है।
गैलेक्सीज के समूह को दिया गया ये नाम
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के ऐस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने गैलेक्सीज (आकाशगंगा) के ऐसे समूह की खोज की है, जिसे आज से पहले कभी भी नहीं देखा गया था। सबसे दूर स्थित गैलेक्सीज के इस समूह को EGS77 नाम दिया गया है।
आपको बता दें कि नासा के ऐस्ट्रोनॉमर्स की इस टीम का नेतृत्व भारतीय मूल के वैज्ञानिक विट्ठल तिल्वी ने किया है जिनका जन्म गोवा में हुआ था।
चार साल की मेहनत रंग लाई
इससे पहले वर्ष 2013 में वैज्ञानिक विट्ठल तिल्वी की टीम ने सबसे दूर स्थित गैलेक्सी की खोज की थी। अनुमान है कि गैलेक्सीज का यह नया समूह EGS77 पृथ्वी से करीब 130 करोड़ लाइट इयर (प्रकाश वर्ष) की दूरी पर है।
तिल्वी और उनकी टीम को यह सफलता लगातार चार साल के अथक प्रयासों के बाद मिली है।
बताया जा रहा है कि गैलेक्सीज के इस समूह से ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई? इसके बारे में जानने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही यह भी पता लग सकेगा कि जब ब्रह्मांड की शुरूआत हुई तब उसमें कौन-कौन से केमिकल्स मौजूद थे।
EGS77 ने साफ किया हाइड्रोजन फॉग
तिल्वी ने बताया, 'हम जितना ज्यादा देखते हैं, हमें समय में पीछे देखने लगते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तारों की जो रोशनी आज पृथ्वी पर पहुंच रही है, वह 130 करोड़ साल के बाद यहां पहुंची है और उसमें गैलेक्सी ग्रुप के बारे में जानकारी है।'
आपको बता दें कि इन गैलेक्सीज से जो हीट निकलती है वह उसके आसपास मौजूद हाइड्रोजन के कोहरे (फॉग) को साफ करती है और गैलेक्सी की लाइट को पृथ्वी तक पहुंचने में मदद करती है।
नासा के ऐस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि गैलेक्सी और गैलेक्सी ग्रुप, जैसे EGS77 ने हाइड्रोजन फॉग को साफ कर दिया होगा जिससे वह पर्दा हट गया है और ब्रह्मांड साफ दिखने लगा है।
तिल्वी का का कहना है कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और इससे ब्रह्मांड के विकास के बारे में ज्ञान बढ़ेगा।
साइंटिस्ट विट्ठल तिल्वी के नाम हैं ये खोज
साइंटिस्ट विट्ठल तिल्वी इससे पहले साल 2013 में नासा की उस टीम का हिस्सा थे जिसने सबसे दूर स्थित गैलेक्सी की खोज की थी। साल 2017 में विट्ठल तिल्वी ने ऐस्ट्रोनॉमर्स की उस टीम का नेतृत्व किया जिसने ब्रह्मांड के सबसे पुराने ब्लैक होल की खोज की थी।
फिलहाल विट्ठल तिल्वी ऐरिजोना यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ अर्थ ऐंड स्पेस एक्सप्लरेशन में विजिटिंग रीसर्चर हैं और गोवा सरकार की स्टेट हाइर एजुकेशन काउंसिल में रीसर्च, डिवेलपमेंट और इनोवेशन के प्रोफेसर हैं।