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प्यार में दिक्कतें आ रही हैं, तो लवगुरु को कॉल करने से पहले इस धांसू फिलॉस्फर को पढ़ें

प्यार में दिक्कतें आ रही हैं, तो लवगुरु को कॉल करने से पहले इस धांसू फिलॉस्फर को पढ़ें

Saturday May 13, 2017 , 3 min Read

प्यार! रिश्ते! और मुक्ति! इंसान जिंदगी भर इस चक्र के भ्रमजाल में उलझा रहता है। वो जितना सुलझना चाहता है, उतना ही उलझ जाता है। इंसान की प्रवृत्ति ही ऐसी होती है, कि वो बहुत जिज्ञासु रहता है।जीवन के हरेक राज़ जानना चाहता है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं ढूंढ पाता है। इंसान के उन्हीं तमाम सवालों का जवाब है दर्शनशास्त्र यानी कि फिलॉस्फी के पास...

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बहुत बड़ी बिडंबना है, कि भारतीय फिलॉस्फी के लिए विदेशी दर्शनशास्त्रियों का मुंह तकते हैं, तब जबकि भारत के पास अपना खुद का ऐसा हीरा है, जिन्होंने प्यार, मोक्ष, रिश्ते, माया सबके बारे में काफी सरलता से लिखा है और वो हैं जिद्दू कृष्णमूर्ति। जिद्दू की भाषा इतनी सहज है कि उलझे हुए मानवीय भ्रम खुद-ब-खुद सुलझने लगते हैं।

जिद्दू कृष्णमूर्ति का जन्म 11 मई 1895 में आन्ध्रप्रदेश के एक छोटे से कस्बे मदनापल्ली में हुआ था। उनका परिवार काफी धार्मिक था, लेकिन जिद्दू कभी किसी जाति, राष्ट्रीयता या धर्म में अपनी निष्ठा नहीं जताई।

अपने काम के बारे में जिद्दू कृष्णमूर्ति का कहना था, कि 'मुझे किसी विश्वास की कोई मांग या अपेक्षा नहीं है। मेरा कोई अनुयायी नहीं है और न ही मेरा कोई पंथ कोई संप्रदाय है। किसी को किसी भी दिशा की तरफ फुसलाना मेरे जीवन का उद्देश्य नहीं।' जे कृष्णमूर्ति ने अपनी शिक्षाओं की व्याख्या को विकृत होने से बचाने के लिए लिए अमेरिका, भारत, इंग्लैंड, कनाडा और स्पेन में फाउण्डेशन बनवाए। उन्होंने कई स्कूल भी बनवाए, जिसमें केवल दिमागी दौड़ नहीं करवाई जाती थी, बल्कि रोजगारपरक शिक्षा भी दी जाती थी। 17 फरवरी 1986 को जिद्दू कृष्‍णमूर्ति ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

यहां पढ़ें, उनके दस ऐसे विचार जो आपकी जिंदगी को आसान बना देंगे,

-आपके पैदा होने से लेकर मरने तक का सफर, सीखते रहने का सफर है।

-दु:ख अनिवार्य नहीं है। दु:ख ज़िंदगी का सत्यानाश करने के लिए होता है। ये किसी भी तरह हमारे व्यक्तित्व को विकसित नहीं करता।

-जिस पल आपका दिल प्यार को समझ जायेगा, आप पायेंगे कि पूरी दुनिया ही नई हो गई है।

-आपको खुद ही अपना पालनहार बनना पड़ेगा।

आपको खुद ही अपना दरवाजा ढूंढना है और उसकी चाभी भी।

-आपको अपना पूरा जीवन समझना है, न कि जीवन के किसी एक हिस्से को। इसलिए खूब पढ़ें-लिखें, नाचें-गायें, यही जीवन है।

-किसी चीज़ का अंत ही एक नई चीज़ की शुरुआत है। दर्द और खुशी एक साथ कदमताल करने के लिए इंतज़ार कर रही है।

-यदि आपको किसी बात को सुलझाना है, तो सबसे पहले जवाब पाने के लालच को छोड़ना पड़ेगा।

-शिक्षा का उद्देश्य है सही रिश्तों की स्थापना। इसलिए ज़रूरी है, कि शिक्षा सबसे पहले इंसान को उसके दिलो-दिमाग को समझाने में मदद करे।

-जहां प्रेम होता है, असली नैतिकता वहीं होती है। जहां प्यार है, वहां कुछ भी करो सही होगा।


-प्रज्ञा श्रीवास्तव