अपने कैमरे की आंखों से 'शोवोना' ने लिखी नई दास्तान
पेशे से फोटोग्राफर हैं शोवोनामुंबई में रहती हैं शोवोनानीग्रो कहकर चिढ़ाते थे साथी बच्चे
कई बार मुश्किल हालात आग की भट्टी की तरह होते हैं और जो लोग उसमें से तप कर निकलने में कामयाब हो जाते हैं वो दूसरों के मुकाबले ज्यादा मजबूत और ताकतवर होते हैं। शोवोना करमाकर का मिजाज भी कुछ ऐसा ही है। उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाली शोवोना की मां अफ्रीकी मूल की हैं जबकि उनके पिता बंगाल के रहने वाले है। नौकरी के सिलसिले में शोवाना के पिता का तबादला एक शहर से दूसरे शहर होता रहता था इसलिए वो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कई स्कूलों पढ़ लिख कर बढ़ी हुईं। शोवाना ने 12वीं तक अपनी पढ़ाई गणित और बॉयोलोजी जैसे विषयों से की और इसके बाद उन्होने अपने सपनों का पीछा करने सब कुछ छोड़ दिया।
शोवाना को एक बच्चे के तौर पर काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा। इसलिए शुरुआत में उनको अपने आप पर भी भरोसा नहीं था वो ये नहीं जानती थी कि उनकी जिंदगी का असल में क्या मकसद है, लेकिन तब वो एक चीज को लेकर काफी स्पष्ट थीं कि उनके आसपास रचनात्मकता सा माहौल है और यही सोच रखने वाली शोवाना आज मुंबई की जानी मानी फोटोग्राफर हैं।
दरअसल शोवाना के पिता चाहते थे कि वो बड़ी होकर डॉक्टर बने जबकि उनकी मां की इच्छा थी कि वो इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नाम कमाए। हालांकि शोवाना को इनमें से किसी भी चीज पर दिलचस्पी नहीं थी। शोवाना जब बच्ची थी तो वो अपने घर की सारी दीवारों को रंग से भर देती थी तब उन्होने सोचा कि क्यों ना एनीमेशन के क्षेत्र में हाथ अजमाया जाये। इसके लिए उन्होने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन में दाखिला लेने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो सकीं जिसके बाद उन्होने पुणे के डिजाइन कॉलेज एमआईटी में दाखिला ले लिया। लेकिन जल्द ही उनको अहसास हो गया कि उनकी जिंदगी में कुछ छूट रहा है जिसकों वो पाना चाहती है। इस तरह उन्होने बीच में ही अपना कोर्स छोड़ दिया। इसके बाद उन्होने दूसरे कॉलेज की तलाश शुरू कर दी और उन्होने फाइन आर्ट से जुड़े कला भवन में दाखिला ले लिया। ये शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के तहत आता है।
कॉलेज के अपने पहले साल में उनको महसूस हुआ कि उनके हाथों में कैमरा होना चाहिए जिसको पाने के लिए उनको अपने पिता से काफी अनुरोध करना पड़ा। शोवाना का कहना है कि उनके पिता काफी अचंभित थे और वो लगातार पूछते रहते थे कि वो कैमरे का क्या करेंगी बावजूद इसके वो शोवाना के तर्को से संतुष्ट नहीं हुए लेकिन उन्होने शोवाना को उनकी बेशकीमती संपत्ति के तौर पर एक कैमरा दे दिया। ये कैमरा था केनन का 1000डी। उन्होने इस साधारण से कैमरे से शांति निकेतन की ढेर सारी तस्वीरें खींची।
शोवाना इंटरनेट प्रेमी थी और वो लगातार ऑनलाइन पोर्टल में जाकर मजेदार लोगों के प्रोफाइल को देखती थीं। एक दिन उन्होने अन्ना गे का प्रोफाइल देखा जो फोटोग्राफी से जुड़े कई मजेदार कामों में लगी थीं। तब वो इस बात को लेकर उत्सुक हो गई कि एक साधारण इंसान कैसे हर रोज अपनी फोटो खींच सकता है। अन्ना का स्टाइल काफी मंत्रमुग्ध करने वाला था तब शोवाना ने फैसला लिया कि वो भी उनके कदमों में चलेंगी और तीन महीने तक अन्ना का स्टाइल देखने के बाद उन्होने अपनी खुद की फोटो खींच उनको सोशल मीडिया में डालना शुरू कर दिया।
शोवाना जब सोशल मीडिया में अपने फोटो डाल रहीं थी तो उनको एक डर भी सता रहा था जिसका सामना वो बचपन से करती आ रही थी। बचपन में उनके साथी बच्चे, उनसे कहते थे कि वो नीग्रो हैं और क्यों नहीं वो उसी जगह वापस चली जातीं जहां से वो ताल्लुक रखती हैं। एक तरह से तब लोगों ने उनको स्वीकार नहीं किया था सिर्फ उनकी शक्ल और सूरत को देखकर। शोवाना का कहना है कि अब वो ऐसी बातों का सामना छिपकर नहीं करना चाहती थी बल्कि स्वभाव से वो विद्रोही हो गई थी। इसलिए वो ऐसा कर रोमांचित महसूस कर रही थीं। उनकी खींची अपनी फोटो को किसी ने भी गलत ढंग से नहीं लिया लेकिन भारतीय सौंदर्य के परिदृश्य में वो अपने आप को फिट नहीं मानती थीं। इसलिए 85 किलो वाली शोवाना ने अपना वजन कम करने का फैसला लिया और छह महिने में ही उन्होने जबरदस्त कसरत के जरिये अपना वजन 20 किलो कम कर लिया। ऐसा कर शोवाना आत्मविश्वास से लबरेज हो गई। साल 2010-11 में शोवाना ने अपना एक पोर्टफोलियो तैयार किया। ये उस वक्त की बात है जब उनके बॉयफ्रेंड ने तीन महीने दोस्ती रखने के बाद उनसे संबंध तोड़ लिये। क्योंकि उसके माता पिता शोवाना की शक्ल सूरत को पसंद नहीं करते थे। इस बात से शोवाना को काफी धक्का लगा और इसका असर कुछ सालों तक रहा। तब एक बार फिर शोवाना फोटोग्राफी में रम गई और उसको ही अपना बॉयफ्रेंड मान लिया।
शोवोना के कॉलेज ने उनके फोटोग्राफी के शौक को आगे बढ़ाने में कोई मदद नहीं की जबकि उनको कला और कला से जुड़ी चीजों पर विश्वास था। उनको कोई भी ये बताने के लिए तैयार नहीं था कि फोटोग्राफी के कोर्स को कैसे आजीविका के साथ जोड़ा जा सकता है। कभी भी यहां पर सही तकनीक और व्यावसायिक पहलू से जुड़ी जानकारी नहीं दी गई। बावजूद इसके प्रसिद्ध फोटोग्राफर रितम बैनर्जी की नजर एक दिन उनके काम पर पड़ी और उन्होने उनको फोन किया। तब शोवाना अपने कॉलेज के दूसरे साल में थीं जब रितम बैनर्जी ने उनको फोन कर मुंबई आने को कहा। इसके बाद उन्होने उनके साथ एक महीने तक इंटर्नशिप की और वापस लौटकर कॉलेज की पढ़ाई पूरी की।
साल 2013 में शोवोना मुंबई आ गई और यहां आकर फोटो एडिटिंग का काम खुद ही सीखने लगी। शोवोना का कहना है कि मुंबई एक डरावना शहर है यहां एक तरफ कल्पनाएं हैं तो दूसरी ओर कठोर वास्तविकता और ये मिश्रण उनके लिए काफी मुफीद था। मुंबई में शुरूआती वक्त उनके लिए काफी मुश्किलों भरा रहा जब वो अपने को कारोबारी महिला के तौर पर स्थापित करने के लिए जूझ रही थीं। धीरे धीरे शोवोना इंडस्ट्री में पैर जमा रही थी और उन्होने कमर्शियल फोटोग्राफी का काम शुरू कर दिया था। इस दौरान उन्होने कॉरपोरेट, खाना, कपडे, आभूषण, 3डी फोटोग्राफी और मोशन फोटोग्राफी के लिए काफी काम किया। शोवोना ने सबसे पहले कई ऑनलाइन सॉफ्टवेयरों की जानकारी ली उसके बाद उन्होने लोगों की स्टाइल पर ध्यान दिया।
नई नई चीजों को सीखने का शौक रखने वाली शोवोना ने हाल ही में फिल्म एडिटिंग और वीडियो बनाने की कला को सीखने का काम शुरू किया है। शोवोना का कहना है कि किसी नई फोटो का निर्माण उनको नई ऊंचाई का अहसास कराता है। उनकी 365 सीरिज ने उनकी रचनात्मकता को एक अलग मुकाम दिया है। जिसके बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज उनकी गणना देश की टॉप महिला फोटोग्राफर के तौर पर होती है। इस ऊंचाई में पहुंचने के बावजूद शोवोना अपने पिता के समर्थन और अपने मेंटोर रितम बैनर्जी के सहयोग को नहीं भूली हैं। जिन्होने उनको फोटोग्राफी के विभिन्न शैली को जानने और समझने में काफी मदद की। ताकि वो अपना खुद का एक स्टाइल विकसित कर सके। शोवोना का कहना है कि एक बार इंडस्ट्री में पैर जमाने के बाद उनकी इच्छा है कि वो किसी एक बच्चे की जिंदगी सवांर सकें। शोवोना दुनिया भर की यात्रा कर अपनी मौजूदगी का एहसास करना चाहती हैं।