सिर्फ 20 साल की उम्र में साइकिल से दुनिया का चक्कर लगा आईं पुणे की वेदांगी कुलकर्णी
पुणे की रहने वाली वेदांगी ने 14 देशों का सफर किया और इस वक्त के दौरान 159 दिनों तक रोजाना साइकिल चलाई। उन्होंने लगभग 300 किलोमीटर साइकिल रोज चलाई। इस सफर में वेदांगी को कई सारे अनुभव मिले।
वेदांगी अपने इस अभियान के लिए काफी पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि साइकल पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा को अकेले पूरा किया।
आप शायद कल्पना भी नहीं कर सकते कि 20 वर्ष की उम्र में कोई युवा पूरी दुनिया के चक्कर लगा सकता है वो भी साइकिल से। पर ऐसा सच कर दिखाया है पुणे की वेदांगी कुलकर्णी ने। वेदांगी ने रविवार को कोलकाता में एकदम सुबह साइकल चलाकर इसके लिए जरूरी 29,000 किलोमीटर की मानक दूरी को तय किया। उन्होंने इस सफर की शुरुआत जुलाई में पर्थ से की थी और इस रिकॉर्ड को पूरा करने के लिए वह ऑस्ट्रेलिया के इस शहर में वापस जाएंगी।
पीटीआई से बात करते हुए वेदांगी ने कहा कि उन्होंने 14 देशों का सफर किया और इस वक्त के दौरान 159 दिनों तक रोजाना साइकिल चलाई। उन्होंने लगभग 300 किलोमीटर साइकिल रोज चलाई। इस सफर में वेदांगी को कई सारे अनुभव मिले। उन्होंने बताया कि इनमें से अच्छे और बुरे अनुभव दोनों थे। इस अभियान को पूरा करने के दौरान वेदांगी को कई चुनौतियों को सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि कनाडा में एक भालू उनका पीछे करने लगा था।
आपको बता दें कि ऐसा करने वाली वेदांगी पहली एशियाई हैं। इससे पहले जिस महिला के नाम यह रिकॉर्ड था वह ब्रिटेन की रहने वाली हैं। ब्रिटेन की जेनी ग्राहम (38) के नाम महिलाओं के बीच सबसे कम दिनों में साइकल से चक्कर लगाने का रिकॉर्ड है, जिन्होंने इसके लिए 124 दिन का समय लिया था। यह रिकॉर्ड पिछले रेकॉर्ड से तीन सप्ताह कम था।
इस सफर में वेदांगी कई शहरों से होकर गुजरीं। यात्रा के दौरान उन्होंने शून्य से 20 डिग्री कम से 37 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलना पड़ा। इस दौरान वह ऑस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड, कनाडा, आइसलैंड, पुर्तगाल, स्पेन फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड और रूस से होकर गुजरी। उन्होंने रूस में बर्फीली जगहों पर न्यूनतम तापमान में अकेले रातें गुजारीं तो वहीं स्पेन में उनसे लूटपाट भी हुई। वेदांगी अभी ब्रिटेन के बॉउर्नेमाउथ यूनिवर्सिटी में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही हैं।
वेदांगी अपने इस अभियान के लिए काफी पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि साइकल पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा को अकेले पूरा किया। इसके लिए वे अपने माता-पिता का शुक्रिया अदा करते हुए कहती हैं, '19 साल की एक लड़की को साइकिल से पूरी दुनिया घूमने की छूट देना वाकई महान काम है। उन्होंने मुझे हर मौके पर सपोर्ट किया और इस सफर के दौरान मुझसे जुड़े रहे।'
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