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नक्सल प्रभावित इलाके की इस आदिवासी लड़की ने पास किया सिविल सर्विस एग्जाम

नक्सल प्रभावित इलाके की इस आदिवासी लड़की ने पास किया सिविल सर्विस एग्जाम

Sunday December 23, 2018 , 3 min Read

अभी हाल ही में जारी हुए ओडिशा सिविल सर्विस एग्जाम का रिजल्ट इस बात का प्रमाण है जिसमें टॉप- 3 रैंक पर महिलाओं का कब्जा रहा। दो दिन पहले जारी हुए परिणाम में कुल 106 अभ्यर्थियों को सफलता प्राप्त हुई जिसमें से 42 महिलाएं हैं।

संध्या समर्थ

संध्या समर्थ


आदिवासी किसान परिवार में जन्मीं संध्या को इस एग्जाम में 91वीं रैंक हासिल हुई। मलकानगिरी जिले के मथिलि ब्लॉक के अंतर्गत समिली गांव की रहने वाली संध्या ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक छोटे से स्कूल से की।

आज लड़कियां हर क्षेत्र में तरक्की की नई इबारत लिख रही हैं। एक वक्त ऐसा था जब देश में महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रखा गया। समाज के रूढ़िवादी तबके की तरफ से कहा गया कि वे काबिल ही नहीं हैं। लेकिन जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने अपनी काबीलियत से सबकी बोलती बंद कर दी। अभी हाल ही में जारी हुए ओडिशा सिविल सर्विस एग्जाम का रिजल्ट इस बात का प्रमाण है जिसमें टॉप- 3 रैंक पर महिलाओं का कब्जा रहा। दो दिन पहले जारी हुए परिणाम में कुल 106 अभ्यर्थियों को सफलता प्राप्त हुई जिसमें से 42 महिलाएं हैं।

इस रिजल्ट में कई ऐसी भी लड़कियों ने सफलता हासिल की जिनकी कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है। एक ऐसी ही सफल अभ्यर्थी हैं संध्या समर्थ। नक्लवाद से प्रभावित मलकानगिरी जिले से आने वाली संध्या ने पहले ही प्रयास में इस एग्जाम को क्वॉलिफाई कर लिया। मलकानगिरी का इलाका इतना पिछड़ा है कि वहां नक्सलवाद की वजह से सड़कें और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई हैं। लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत संध्या ने वो मुकाम हासिल कर दिखाया जिसे पाने में संसाधन प्राप्त लोगों के भी पसीने छूट जाते हैं।

एक आदिवासी किसान परिवार में जन्मीं संध्या को इस एग्जाम में 91वीं रैंक हासिल हुई। मलकानगिरी जिले के मथिलि ब्लॉक के अंतर्गत समिली गांव की रहने वाली संध्या ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक छोटे से स्कूल से की। इसके बाद उनका दाखिला नवोदय विद्यालय में हो गया। नवोदय से निकलने के बाद उन्होंने भुवनेश्वर कॉलेज से ग्रैजुएशन किया।

इसके बाद उन्होंने एम.फिल में दाखिला ले लिया। एमफिल के साथ-साथ उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी भी शुरू कर दी और पहले ही प्रयास में इसे हासिल भी कर लिया। सबसे खास बात यह है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग की मदद से यह कारनामा कर दिखाया। हालांकि संध्या को एक प्रतिष्ठित और आपार संभावनाओं से भरी नौकरी मिल गई है, लेकिन उनकी नजर यूपीएससी पर है। उनका सपना है कि वे आईएएस बनें और बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करें।

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